
Whey Protein: प्रोटीन पाउडर का उपयोग इंडिया के साथ-साथ दुनिया भर में काफी बड़े स्तर पर किया जा रहा है. हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें लंदन में रहने वाले 16 साल के रोहन गोधनिया की प्रोटीन शेक पीने से मौत हो गई है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लड़के के शरीर में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के कारण उसे एक दुर्लभ बीमारी हो गई थी, जिसे ऑर्निथिन ट्रांसकार्बामाइलेज की कमी (ओटीसी) नाम से जाना जाता है.
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स में पैकेज्ड फूड्स की अध्यक्ष दीपिका भान ने पिछले साल मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, 'स्वास्थ्य-खाद्य उद्योग का अनुमान है कि भारत के प्रोटीन सप्लीमेंट मार्केट की कीमत 3-4 करोड़ रुपये है जो अगले कुछ सालों में 15-20 प्रतिशत बढ़ जाएगी.'
इंडिया की बात करें तो रिसर्च से पता चलता है कि बाजार में उपलब्ध कई सप्लीमेंट की क्वालिटी खराब है. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की एक रिसर्च में पाया गया कि भारत में बेचे जाने वाले लगभग 15 प्रतिशत प्रोटीन पाउडर और डाइट्री सप्लीमेंट असुरक्षित या क्वालिटी मापदंडों से नीचे हैं.
प्रोटीन पाउडर वैसे तो सेफ माने जाते हैं लेकिन कई मामलों में यह गंभीर बीमारी का भी कारण बन सकते हैं. कई लोगों को प्रोटीन पाउडर की जानकारी नहीं होती और वो बिना डॉक्टर और एक्सपर्ट्स की सलाह के उसका सेवन करना शुरू कर देते हैं. अगर आप भी प्रोटीन पाउडर का सेवन करते हैं या लेने के बारे में सोच रहे हैं तो उसके बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है. तो आइए सबसे पहले जानते हैं, आखिर प्रोटीन पाउडर है क्या ?
प्रोटीन पाउडर क्या है? (What is protein powder)

हॉवर्ड मेडिकल स्कूल के मुताबिक, प्रोटीन पाउडर, एक तरह का सूखा पाउडर होता है जो पौधे, अंडे और दूध से प्राप्त होता है. यह प्रोटीन का मुख्य सोर्स होता है. इसमें चीनी, कृत्रिम स्वाद, विटामिन, एंजाइम और मिनरल्स जैसे तत्व शामिल होते हैं. इसमें शरीर की जरूरत के मुताबिक सारे अमीनो एसिड भी होते हैं जो अलग-अलग तरीके से शरीर को फायदा पहुंचाते हैं.
मार्केट में मिलने वाले अलग-अलग प्रोटीन पाउडर के प्रति स्कूप में प्रोटीन की मात्रा 5 से लेकर 35 ग्राम तक हो सकती है. मसल्स गेन करने, वेट लॉस करने, इंटेस वर्कआउट के बाद मसल्स रिकवरी करने के लिए इसका प्रयोग सबसे अधिक होता है.
प्रोटीन पाउडर के फॉर्म (Forms of protein powder)

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, प्रोटीन पाउडर कई फॉर्म में आता है, जिन्हें लोग अपनी जरूरत के मुताबिक लेते हैं. प्रोटीन पाउडर से शरीर में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने में मदद मिल सकती है. इनमें मिलाए जाने वाले एंजाइम से इनका डाइजेशन जल्दी होता है और शरीर को तुरंत फायदा मिलता है. प्रोटीन पाउडर की कीमत उनकी शुद्धता के आधार पर कम या ज्यादा होती है. यह कई रूपों में उपलब्ध है. जैसे,
प्रोटीन कंसंट्रेट (Protein Concentrate): अमीनो एसिड, हीट और एंजाइमों का उपयोग करके इस प्रोटीन को बनाया जाता है. इसमें 60 से 80 प्रतिशत तक प्रोटीन, 20 से 40 प्रतिशत फैट और कार्बोहाइड्रेट होता है. इंडिया में सबसे अधिक यही प्रोटीन पाउडर बिकता है. इसकी कीमत ब्रांड के हिसाब से अलग-अलग होती है. 2 किलो प्रोटीन की कीमत लगभग 4 से 6 हजार के बीच होती है.
प्रोटीन आइसोलेट्स (Protein isolates): इस प्रोटीन को प्रोटीन कंसंट्रेट से अधिक फिल्टर करके बनाया जाता है जिससे फैट और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम हो जाती है. प्रोटीन आइसोलेट पाउडर में लगभग 90 से 95 प्रतिशत प्रोटीन होता है. 2 किलो आइसोलेट प्रोटीन की कीमत लगभग 6 से 8 हजार के बीच होती है.
प्रोटीन हाइड्रोलाइज्ड (Protein Hydrolyzed): यह प्रोटीन का सबसे शुद्ध फॉर्म है. प्रोटीन हाइड्रोलाइज्ड आपके शरीर और मसल्स द्वारा सबसे जल्दी अवशोषित किया जाता है. इसमें 100 प्रतिशत प्रोटीन होता है. 2 किलो आइसोलेट प्रोटीन की कीमत लगभग 8 से 12 हजार के बीच होती है.
प्रोटीन पाउडर के प्रकार (Types of protein powder)

2018 की एक रिसर्च के मुताबिक, कई प्रोटीन पाउडर में सीसा, कैडमियम और आर्सेनिक जैसी धातुएं होती हैं इसलिए लोगों को प्रोटीन पाउडर खरीदते समय हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए और किसी विश्वसनीय दुकान या सोर्स से ही खरीदना चाहिए.
प्रोटीन पाउडर कई प्रकार के होते हैं जिन्हें लोग अपनी सुविधा और कीमत के मुताबिक अपनी डाइट में जोड़ते हैं. जैसे,
व्हे प्रोटीन (Whey protein): दुनिया में सबसे अधिक यही प्रोटीन बिकता है. पनीर बनाने के प्रोसेस के दौरान जो पानी निकलता है, उससे व्हे प्रोटीन बनाया जाता है. यह कंप्लीट प्रोटीन का सोर्स है, जिसका अर्थ है कि इसमें वे सभी अमीनो एसिड होते हैं जो शरीर को भोजन से मिलते हैं.
व्हे प्रोटीन शरीर में 30 मिनट से भी पहले डाइजेस्ट हो जाता है. इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है लेकिन इसमें लैक्टोज भी होता है. जो लोग दूध को डाइजेस्ट नहीं कर पाते हैं, वे लोग इसका प्रयोग नहीं करते. ब्रांच्ड-चेन अमीनो एसिड (बीसीएए), ल्यूसीन जैसे अमीनो एसिड भी इसमें मौजूद होते हैं.
व्हे प्रोटीन एक्सरसाइज के बाद मसल्स रिकवरी तेज करने, बॉडी कंपोजिशन सुधारने, भूख कम करने, मसल्स की सूजन कम करने और हार्ट हेल्थ सुधारने में भी मदद कर सकता है.
2009 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, रेजिस्टेंस ट्रेनिंग के बाद व्हे प्रोटीन लेने से सोया प्रोटीन से 31 प्रतिशत और कैसीन प्रोटीन से 122 प्रतिशत मसल्स रिकवरी अधिक होती है.
2021 में हुई एक अन्य स्टडी के मताबिक, रिसर्चर्स ने पाया कि डेयरी से प्राप्त प्रोटीन (व्हे और कैसीन प्रोटीन) से सोया प्रोटीन की तुलना में अधिक मसल्स रिकवरी होती है.
कैसीन प्रोटीन (Casein protein): कैसीन पाउडर भी दूध से बनता है. इसमें ग्लूटामाइन अमीनो एसिड अधिक मात्रा में होता है जो एक्सरसाइज के बाद मसल्स रिकवरी को तेज करता है. शरीर इस प्रोटीन को अधिक धीरे-धीरे पचाता है, इसलिए इसे रात में लेना सबसे अच्छा हो सकता है.
जब कैसीन पाउडर पेट के एसिड के संपर्क में आता है तो एक गाढ़ा पदार्थ (Gel) बनता है जो पेट भरा होने का अहसास दिलाता है और आप कम खाते हैं. रिसर्च बताती हैं कि सोया प्रोटीन और व्हीट प्रोटीन की अपेक्षा व्हे प्रोटीन ताकत बढ़ाने और मसल्स रिकवरी तेज होती है.
मटर प्रोटीन (Pea protein): मटर प्रोटीन पाउडर उन लोगों के लिए है जो डेयरी से बनने वाले प्रोटीन (व्हे और कैसीन प्रोटीन) को डाइजेस्ट नहीं कर सकते. यह पौधों से बना प्रोटीन पाउडर होता है, जिसे मटर या सोया से प्रोटीन प्राप्त करके बनाया जाता है. यह पीले मटर के दाने से बनता है, जिसमें फाइबर काफी अधिक होता है. इसमें सभी 9 आवश्यक अमीनो एसिड भी मौजूद हैं.
2015 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, मटर प्रोटीन, व्हे प्रोटीन की तुलना में धीमे और कैसीन प्रोटीन की तुलना में तेजी से डाइजेस्ट होता है.
एग प्रोटीन (Egg protein): अंडा प्रोटीन पाउडर आमतौर पर पूरे अंडे के बजाय अंडे की सफेदी से बनाया जाता है. एग प्रोटीन लेने के बाद पेट भरा हुआ नहीं लगेगा क्योंकि उसमें फैट नहीं होता. इसमें भी सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं जिन्हें शरीर खुद नहीं बना सकता. अंडे से बने प्रोटीन पाउडर में ल्यूसीन सबसे अधिक पाया जाता है जो मसल्स रिकवरी में सबसे अहम भूमिका निभाता है. अंडे से बने प्रोटीन पाउडर पर अभी और रिसर्च की जरूरत है.
एक रिसर्च के मुताबिक, अगर कोई भोजन से पहले एग प्रोटीन का सेवन करता है तो उसे कैसीन या मटर प्रोटीन की तुलना में भूख कम लगती है.
भांग प्रोटीन (Hemp protein): भांग प्रोटीन पाउडर पौधे से प्राप्त प्रोटीन को प्लांट प्रोटीन की श्रेणी में रखा गया है. भांग ओमेगा-3 फैटी एसिड और कई आवश्यक अमीनो एसिड से भरपूर होता है और मार्केट में इससे प्रोटीन पाउडर बनाकर भी बेचा जाता है. इसे कंपलीट प्रोटीन नहीं माना जाता है क्योंकि इसमें अमीनो एसिड लाइसिन और ल्यूसीन काफी कम होते हैं.
अन्य प्रोटीन पाउडर (Other protein powder): मार्केट में इसके अलावा भी कई तरह के प्रोटीन पाउडर मौजूद हैं जैसे ब्राउन राइस प्रोटीन, मिक्स प्लांट प्रोटीन, सोया प्रोटीन आदि. लोग इन्हें अपनी-अपनी जरूरत के मुताबिक खरीदते हैं.
कौन लोग ले सकते हैं व्हे प्रोटीन? (Who can consume whey protein)

कल्याण (मुंबई) के फोर्टिस हॉस्पिटल की क्लिनिकल डाइटिशियन और सीडीई लक्ष्मी मिश्रा के मुताबिक, 'प्रोटीन पाउडर से हर किसी को फायदा नहीं होता. यदि आप डाइट में पहले से ही पर्याप्त प्रोटीन ले रहे हैं तो आपको प्रोटीन पाउडर लेने से कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि जरूरत से अधिक प्रोटीन लेने से प्रोटीन बर्बाद हो जाता है और यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर आ जाता है.'
डाइटिशियन लक्ष्मी आगे कहती हैं, 'एथलीट्स और रोजाना जिम जाने वाले लोग एक्स्ट्रा प्रोटीन की मात्रा ले सकते हैं क्योंकि प्रोटीन पाउडर लेने मसल्स ग्रोथ होगी और फैट लॉस में मदद मिलेगी. प्रोटीन पाउडर उन लोगों की भी सहायता कर सकता है, जिनके शरीर में सिर्फ खाने से प्रोटीन की कमी पूरी नहीं हो रही है. जैसे बीमार, वृद्ध, वयस्क, जिम जाने वाले लोग, प्रोटीन की कमी वाले लोग, शाकाहारी या वीगन लोग आदि.'
प्रोटीन पाउडर कितना सुरक्षित? (How safe is protein powder)
डायटिशियन लक्ष्मी मिश्रा ने प्रोटीन के अधिक प्रयोग के बारे में कहा, '20 साल से कम उम्र के लोगों को किसी भी तरह के प्रोटीन पाउडर का सेवन करने से बचना चाहिए. उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि प्रोटीन की कमी को नेचुकल फूड्स से ही लें. प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें क्योंकि अगर शरीर में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो गई तो भी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं.'
डायटिशियन लक्ष्मी ने आगे कहा, 'नॉर्मल इंसान को 0.8 ग्राम से 1.2 प्रतिकिलो बॉडी वेट के हिसाब से प्रोटीन लेना चाहिए. इससे अधिक अगर प्रोटीन की मात्रा लेंगे तो वो सारा बर्बाद हो जाएगा और किडनी पर भी अधिक दबाव पड़ सकता है. मैं सलाह दूंगी कि सामान्य लाइफस्टाइल वाले लोग भी प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए अगर प्रोटीन पाउडर ले रहे हैं तो पहले किसी डॉक्टर की सलाह लें और उनके गाइडेंस में ही कोई भी सप्लीमेंट का उपयोग करें.'
डायटिशियन लक्ष्मी आगे बताती हैं, 'डाइजेशन खराब रहना, डिहाइड्रेशन, थकान, जी मचलाना, चिड़चिड़ापन, सिर दर्द, दस्त, बार-बार यूरिन आना शरीर में प्रोटीन की अधिकता के संकेत हो सकते हैं, जिन पर तुरंत ध्यान देना चाहिए.'
रिसर्च के मुताबिक, प्रोटीन के अत्यधिक सेवन से हार्ट संबंधित बीमारी, ब्लड वेसिल्स डिसऑर्डर, लिवर-किडनी की बीमारी और मौत भी हो सकती है. डॉक्टर्स के मुताबिक, टाइप 2 डायबिटीज, कैंसर और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी भी प्रोटीन के अधिक सेवन से हो सकती है.
जिम वाले लोगों के लिए प्रोटीन, खरीदते समय सावधानी (Protein for gym people precautions)

सेलेब्रिटी फिटनेस कोच योगेश भटेजा का कहना है. 'प्रोटीन की मात्रा उम्र, शरीर की जरूरत और फिटनेस लेवल पर निर्भर करती है. सामान्य लोग 0.8 से 1.2 ग्राम प्रतिकिलो बॉडी वेट, एक्टिव लाइफस्टाइल और फिटनेस पर ध्यान देने वाले लोग 1.2 से 1.8 ग्राम प्रतिकिलो बॉडी वेट और प्रो लेवल एथलीट्स 1.5 से 2.2 ग्राम प्रतिकिलो बॉडी वेट के हिसाब से प्रोटीन ले सकते हैं.'
कोच योगेश आगे कहते हैं, ‘आज के समय में प्रोटीन काफी अधिक मात्रा में यूज हो रहा है. अगर कोई प्रोटीन लेना चाहता है तो पहले किसी फिटनेस एक्सपर्ट की सलाह ले, उसके बाद ही सेवन करे. कई लोग सस्ते प्रोटीन के चक्कर में किसी भी ऐसी कंपनी का प्रोटीन ले लेते हैं जिसकी क्वालिटी पर विश्वास नहीं किया जा सकता. फिर वे लोग पछताते हैं और उन्हें कई सारी समस्याएं हो सकती हैं. अब मानकर चलिए अगर आपको पानी भी पीना है तो आप मार्केट से किसी भी लोकल कंपनी की पानी बोतल खरीदकर तो पिएंगे नहीं. उसके लिए आप ब्रांड का नाम देखेंगे क्योंकि आपको पता है, वह ब्रांड शुद्धता के साथ बेस्ट क्वालिटी का पानी उपलब्ध कराता है. तो फिर प्रोटीन पाउडर खरीदते समय इतनी लापरवाही क्यों?’
कोच योगेश बताते हैं, ‘फिटनेस इंडस्ट्री में व्हे प्रोटीन का सबसे अधिक प्रयोग होता है. अगर आप प्रोटीन पाउडर लेते हैं तो किसी ऐसी कंपनी का लें जो बेस्ट क्वालिटी का प्रोटीन बनाती है और उस पर लोगों का विश्वास है. इसके अलावा एक बार में कभी भी 35 ग्राम से अधिक प्रोटीन का सेवन ना करें क्योंकि शरीर इससे अधिक प्रोटीन एक बार में डाइजेस्ट नहीं कर सकता. वहीं एक बार प्रोटीन लेने के साढ़े तीन घंटे बाद ही फिर से प्रोटीन का सेवन करें.’
Note: यह जानकारी एक्सपर्ट की सलाह लेकर और रिसर्च के मुताबिक बताई गई है. कभी भी एक्सपर्ट की सलाह लिए बिना प्रोटीन का सेवना ना करें.