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Bad Cholesterol: हाई कोलेस्ट्रॉल से हैं परेशान तो बंद कर दीजिए ये चीजें खाना, नहीं जमेगा बैड कोलेस्ट्रॉल

How to reduce High Cholesterol Level: शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल बहुत जरूरी है. ये सेल मेम्ब्रेन, डाइजेशन और कई तरह के हार्मोन जैसे टेस्टोस्टेरॉन, कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरॉन का निर्माण करता है लेकिन शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने पर व्यक्ति कई गंभीर रोगों से घिर सकता है. ऐसे में इस बीमारी से पीड़ित लोगों को इस पर नियंत्रण बनाए रखना बहुत जरूरी है.

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इस तरह कम कीजिए अपना कोलेस्ट्रॉल
इस तरह कम कीजिए अपना कोलेस्ट्रॉल

शरीर के ठीक तरह से काम करने के लिए कोलेस्ट्रॉल बेहद जरूरी है. ये हार्मोन, सेल मेम्ब्रेन बनाने, मेटाबॉलिज्म तेज करने और शरीर के लिए जरूरी बाइल एसिड्स को बनाता है. ये एक मोम जैसा पदार्थ होता है जो ब्लड के अंदर पाया जाता है. साथ ही ये कोशिकाओं को स्वस्थ रखने और नई कोशिकाओं के निर्माण की जिम्मेदारी भी निभाता है. लेकिन जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है यानी शरीर में लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) अधिक हो जाता है तो ये दिल के रोगों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देता है. अगर आप इस बीमारी से बचना चाहते हैं या फिर इसे काबू करना चाहते हैं तो आप इस आर्टिकल में बताए गए तरीके अपनाकर अपना कोलेस्ट्रॉल कम कर सकते हैं.

पहले जान लें क्या होता है गुड और बैड कोलेस्ट्रॉल
शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल बेहद जरूरी है लेकिन इसका लेवल बढ़ने से आपको कई बीमारियां भी घेर सकती हैं. दरअसल कोलेस्ट्रॉल दो तरह के होते हैं. पहला गुड कोलेस्ट्रॉल, जो शरीर के लिए जरूरी है. वहीं, दूसरा बैड कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए हानिकारक है. कोलेस्ट्रॉल लिपिड्स और प्रोटीन्स से बनता है जिसे आम तौर पर लीपोप्रोटीन्स कहा जाता है. हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन को (HDL) गुड कोलेस्ट्रॉल होता है क्योंकि इसमें प्रोटीन ज्यादा और फैट कम होता है. ये शरीर को अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल से छुटकारा दिलाने में मदद करता है. वहीं, लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन  (LDL) बैड कोलेस्ट्रॉल होता है. इस स्थिति में लिपोप्रोटीन में प्रोटीन की जगह फैट की मात्रा अधिक हो जाती है. ये धमनियों  पर चिपक जाता है और दिल के रोगों का खतरा बढ़ाता है.

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क्यों बढ़ता है कोलेस्ट्रॉल

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का मुख्य कारण गलत खानपान और लाइफस्टाइल है. इसके अलावा जेनेटिक कारणों की वजह से भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है. 

20 साल की उम्र के बाद हो जाएं अलर्ट
खराब जीवनशैली की वजह से युवा भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. कई लोगों में शुरुआत में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण नजर नहीं आते जिससे बाद में व्यक्ति कई बड़ी बीमारियों का शिकार हो सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर आप 20 साल की उम्र पार कर चुके हैं तो आपको साल में दो बार कम से कम अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल जरूर चेक कराना चाहिए. अगर आप दिल की बीमारी के शिकार हो चुके हैं तो फिर आपको जल्दी-जल्दी जांच करानी होगी.

हाई कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं ये खाद्य पदार्थ
कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों में सैचुरेटेड फैट्स अधिक होता है जिन्हें कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित मरीजों को तुरंत छोड़ देना चाहिए. फुल फैट दूध-दही-मक्खन और चीज जैसे खाद्य पदार्थों में सैचुरेटेड फैट होता है. इसके अलावा रेड और प्रॉसेस्ड मीट, बीफ, पोर्क,  तेल में तला खाना, कुकीज और मिठाइयां भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं. 

कोलेस्ट्रॉल को काबू करने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थ खाने चाहिए
सभी कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ सेहत के लिए खराब नहीं होते हैं. कुछ शरीर को फायदे भी पहुँचाते हैं. ऐसे खाद्य पदार्थों में अंडे, शेलफिश, जानवरों का लीवर, किडनी और दिल शामिल है. इसके अलावा आपको कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए हरी सब्जियां, फल, अनाज, बीज और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का खूब सेवन करना चाहिए.

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कोलेस्ट्रॉल का सही पैमाना क्या है
कोलेस्ट्रॉल का स्तर बच्चों और बड़ों में अलग-अलग होता है. 200 मिलीग्राम / डीएल (डेसीलीटर) से नीचे कुल कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य माना जाता है. 200 और 239 मिलीग्राम/डीएल के बीच के कोलेस्ट्रॉल लेवल का मतलब है कि ये इससे ऊपर नहीं जाना चाहिए. इसके अलावा 240 मिलीग्राम/डीएल या उससे ऊपर का कोलेस्ट्रॉल का स्तर हाई माना जाता है और ये खतरे की घंटी है. 

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से घेर सकती हैं ये बीमारियां

अगर आपको हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी हो गई और लंबे समय तक आपने इसका इलाज नहीं किया तो ये आपकी धमनियों में प्लाक का निर्माण कर सकता है. प्लाक एक वसायुक्त, मोम जैसा पदार्थ होता है जो धमनी की दीवार पर जमा होने लगता है. ये धमनियों को संकीर्ण कर देता है और इस स्थिति को एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है. एथेरोस्क्लेरोसिस एक गंभीर स्थिति है. इससे धमनियों के माध्यम से होने वाला ब्लड फ्लो कम हो जाता है. इसकी वजह से स्ट्रोक, हार्ट अटैक, सीने में दर्द और किडनी में दिक्कत समेत बीमारियां हो सकती हैं.


 

 

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