एक्सरसाइज या योग करते समय अक्सर बहुत से लोग बैलेंस नहीं बना पाते. क्या आपके साथ भी ऐसा ही कुछ होता है? अगर हां, तो यह खबर आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है. अगर आपको भी एक पैर पर खड़े होने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है तो यह एक ऐसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है जिसके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा.
ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में छपी एक रिसर्च के मुताबिक, मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्ग लोग जो 10 सेकंड के लिए एक पैर पर संतुलन नहीं बना सकते, उनकी मौत का खतरा 10 सालों में लगभग दोगुना बढ़ जाता है. आपकी हेल्थ का पता इस चीज से लगाया जा सकता है कि आप कितनी अच्छी तरह से अपनी बॉडी को बैलेंस कर पाते हैं. इससे पहले हुई एक और रिसर्च में यह बात सामने आई थी कि जो लोग एक पैर पर खड़े होकर बॉडी को बैलेंस नहीं कर पाते, उनमें स्ट्रोक का खतरा काफी ज्यादा होता है.
इसके लिए यूके, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड और ब्राजील के एक्सपर्ट्स ने 12 साल तक एक स्टडी की, जिसमें खुलासा हुआ कि मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्ग लोग जो 10 सेकंड तक एक पैर पर खड़े होकर अपनी बॉडी को बैलेंस नहीं कर पाते, उनमें 10 सालों में मौत का खतरा दोगुना बढ़ जाता है.
जो लोग इस टेस्ट में फेल हुए, उनकी सेहत ज्यादा खराब पाई गई. 10 सेकेंड तक एक पैर पर ना खड़े रह पाने वाले लोगों में टाइप-2 डायबिटीज की समस्या टेस्ट में सफल रहे लोगों की तुलना में ज्यादा कॉमन थी. ऐसे लोगों में मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिसीज की शिकायत भी ज्यादा देखने को मिली.
रिसर्च के प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर क्लाडिओ गिल अराजुओ ने कहा, मुझे लगता है कि शरीर के खराब संतुलन का सीधा संबंध खराब जीवनशैली से है. इसका मतलब है कि ऐसे लोग फिजिकल एक्टिविटी या एक्सरसाइज नहीं करते हैं. बुजुर्ग लोग अक्सर गिरकर चोट खा जाते हैं या फिर उनकी हड्डियां टूट जाती हैं. खराब बैलेंस को इससे जोड़कर भी देखा जा सकता है. उन्होंने कहा, मेरे हिसाब से 51-75 साल के बुजुर्ग लोगों के रुटीन हेल्थ चेक अप में सेफ बैलेंस टेस्ट को भी शामिल किया जाना चाहिए.
क्या कहती है रिसर्च
रिसर्च में 51 से 75 साल के कुल 1702 लोगों को शामिल किया गया. यह रिसर्च साल 2008 से लेकर 2020 तक चली. शुरुआत में, सभी प्रतिभागियों को बिना किसी सहारे के 10 सेकंड के लिए एक पैर पर खड़े होने के लिए कहा गया. इस दौरान प्रतिभागियों से एक पैर को दूसरे पैर के पीछे रखने के लिए और दोनों हाथों को साइड में रखने के लिए कहा गया. एक पैर पर खड़े होने के लिए उन्हें सिर्फ तीन मौके दिए गए.
रिसर्च के दौरान 5 लोगों में से 1 व्यक्ति इस टेस्ट में फेल हो गया. टेस्ट के बाद अगले 10 सालों के अंदर 123 लोगों की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई. मरने वाले लोगों में ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा थी, जो इस टेस्ट को पास नहीं कर पाए थे.
शोधकर्ताओं ने कहा कि स्टडी में कुछ सीमाएं थीं, जिसमें सभी प्रतिभागी ब्राजीलियाई थे, जिसका मतलब है कि स्टडी के नतीजे अन्य नस्ल और देशों पर पूरी तरह लागू नहीं हो सकते हैं.
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