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हाथी जितना सूज गया महिला का पैर...समझ रही थी शरीर की चर्बी, निकली दुर्लभ बीमारी, आप लक्षणों को ना करें अनदेखा

Swollen and painful legs: एक 36 साल की महिला के पैर का आकार लगातार बढ़ रहा था. जब उसने डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने बोला कि उसके पैरों में चर्बी जम रही है, बाकी सब ठीक है. लेकिन बाद में इस महिला को गंभीर बीमारी निकली, जिसका पुख्ता इलाज भी संभव नहीं है.

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(Image credit: Instagram/theresasweetpeach)
(Image credit: Instagram/theresasweetpeach)

Swollen and painful legs: गलत खान-पान, सुस्त लाइफस्टाइल, हार्मोन असंतुलन के कारण लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कुछ समस्याएं तो जल्दी ठीक हो जाती हैं लेकिन कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जो जिंदगी भर ठीक नहीं होतीं. 36 साल की महिला को ऐसी ही एक बीमारी हो गई है जिसके कारण उसकी लोअर बॉडी (निचला शरीर) का आकार इतना बढ़ गया कि उसे चलने फिरने में भी बहुत समस्या होती है. यह बीमारी दुनिया भर में फैली हुई है. अगर आपको भी इस बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत एक्सपर्ट से मिलना चाहिए. यह महिला कौन हैं? यह बीमारी कौन सी है? इसके लक्षण क्या हैं और इसका इलाज क्या है? इस बारे में जान लीजिए.

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कौन है यह महिला और उसे कौन सी बीमारी है?

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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36 वर्षीय थेरेसा फ्रेडेनबर्ग-हिंड्स (Theresa Fredenburg-Hinds) के पैर बचपने से ही मोटे होने लगे थे. जब उसने एक बार डॉक्टर को दिखाया था तो डॉक्टर ने सिर्फ इतना कहा था, सब ठीक है बस उसके पैरों में फैट (चर्बी) जमा हुआ है. डॉक्टर की बात सुनकर उसने बात को अनदेखा कर दिया और समय के साथ-साथ उसके पैर का आकार और बढ़ता गया.

थेरेसा स्टॉकिंग्स (ट्रांसलूसेंट नायलॉन या सिल्क से बने टाइट मोजे जो जांघ तक आते हैं) पहनती थी ताकि चलते समय उसकी लोअर बॉडी का फैट हिलने के कारण बैलेंस ना बिगड़े. एक बार जब वह किसी स्टोर पर स्टॉकिंग्स लेने गई तो दुकानदार ने उसकी बीमारी को तुरंत पहचान लिया. दुकानदार ने बताया कि उसे लिम्फोएडेमा या लिपोएडेमा (Lymphoedema or Lipoedema) है. दुकानदार के पास पहले भी कई कस्टमर ऐसे आए थे इसलिए वह देखकर ही समझ गई कि मेरे पैरों में फैट नहीं जमा बल्कि मुझे लिम्फोएडेमा (Lymphoedema) है. इसके बाद जब थेरेसा डॉक्टर के पास गई तो रिपोर्ट में लिपो-लिम्फोएडेमा की बात सामने आई. 

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थेरेसा ने लिपोएडेमा के बारे में एक इंटरव्यू के दौरान कहा, "मैंने लिपोएडेमा के बारे में सुना था और कुछ ऑनलाइन सर्च भी किया था. लिपोएडेमा, जिसका कारण हार्मोन असंतुलन माना जाता है उसमें किसी व्यक्ति के पैरों और कभी-कभी हाथों में काफी अधिक मात्रा में फैट जमने लगता है. यह समस्या महिलाओं में काफी आम है. इसके लक्षण सबसे पहले पैरों में दिखाई देते हैं. इसके कारण पैरों का आकार काफी बढ़ा हो जाता है. 

थेरेसा को जब दुकानदार ने इस बीमारी के बारे में बताया तो उसने डॉक्टर से संपर्क किया. थेरेसा कहती हैं, "मुझे बताया गया था कि मैं बस मोटापे से ग्रस्त हूं और इस कारण ही लोअर बॉडी में फैट जम रहा है. लेकिन मेरी स्थिति ने मेरी लाइफ को प्रभावित करना शुरू कर दिया था. मैं ज्यादा देर खड़ी नहीं हो पा रही थी, सीढ़ी नहीं चल पा रही थी क्योंकि मेरी लोअर बॉडी काफी भारी थी. ऑर्म्स वाली कुर्सियों पर बैठना मेरे लिए काफी चैलेंजिंग था क्योंकि मैं उसमें फंस जाती थी. मैं कार में बैठकर ट्रैफिक में देरी तक नहीं रुक सकती थी. 

थेरेसा आगे कहती हैं, "मैं दर्द और सूजन को कम करने के लिए कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पहनती हैं जिससे स्किन कुछ फिट हो जाती है और चलने में मेरा बैलेंस नहीं बिगड़ता. मैं अब अपने पैर पर ध्यान नहीं देती और ना ही मैंने अभी तक सर्जरी के बारे में सोचा है. अगर भविष्य में मेरे सामने नए लक्षण नजर आए तो भविष्य में किसी इलाज के लिए सोचूंगी.

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क्या है लिम्फेडिमा और लिपिडेमा (What is lymphedema and lipedema)

(Image Credit : Getty images)

लिम्फेडेमासर्जन डॉट कॉम के मुताबिक, लिम्फेडिमा और लिपिडेमा (Lymphedema and Lipedema) दो अलग-अलग मेडिकल डिसऑर्डर हैं. लिपिडेमा को लिपोएडेमा (Lipoedema) भी कहते हैं. भले ही लिम्फेडिमा और लिपिडेमा दोनों डिसऑर्डर में हाथ और पैरों में सूजन आती है लेकिन ये दोनों अलग हैं. लिम्फेडेमा, लिम्फेटिक सिस्टम (लसीका तंत्र) का डिसऑर्डर है जो कि आमतौर पर हाथ या पैरों में लसीका तंत्र में लिक्विड जमा होने के कारण होता है. लिम्फेडिमा में शरीर के हाथ और पैरों के टिश्यूज में सूजन आ जाती है. यह दो प्रकार का होता है प्राइमरी लिम्फेडिमा और सेकेंडरी लिम्फेडिमा. प्राइमरी लिम्फेडिमा 6 हजार लोगों में से एक को होता है और सेकेंडरी लिम्फेडिमा संक्रमण, चोट लगना, कैंसर जैसी अन्य स्वास्थ समस्याओं के कारण होता है.Airosmedical.com के मुताबिक, लिम्फोएडेमा एक लाख में से एक इंसान को होता है और वहीं लिपोडेमा से दुनिया की 11 प्रतिशत महिलाएं पीड़ित हैं.

लिपिडेमा या लिपोएडेमा की बात करें तो रिपोर्ट बताती हैं कि इस विकार में त्वचा के नीचे फैट जमा हो जाता है जिसके कारण पैरों का आकार असामान्य रूप से बढ़ने लगता है. पैरों के साथ इस विकार में जांघ, हिप्स में भी फैट जमने लगता है. कई बार फैट इतना अधिक बढ़ जाता है कि इंसान जैसे ही चलता है तो उसका फैट हिलने के कारण उसका बैलेंस भी नहीं बन पाता. 

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लिम्फेडिमा और लिपिडेमा के लक्षण (Lymphedema and lipedema symptoms)

लिम्फेडिमा आमतौर पर एक पैर या हाथ को प्रभावित कर सकता है लेकिन कुछ गंभीर मामलों में यह दोनों पैर और हाथों को भी प्रभावित कर सकता है. लिम्फेडिमा के लक्षणों में पैर में सूजन आना, किसी हाथ में अधिक सूजन आना, प्रभावित हिस्से में दर्द होना, सूजन के साथ त्वचा मोटी होना आदि इसके लक्षण हो सकता हैं. 

लिपिडेमा की बात करें तो इसमें त्वाचा ढीली हो जाती है और महिलाओं में यह समस्या अधिक दिखती है. इस स्थिति में जांघ, हाथ और पैर का आकार बढ़ने लगता है. एक्सपर्ट अभी लिपिडेमा के कारण का पता नहीं लगा पाए हैं. उनका मानना है कि यह विकार जेनेटिक भी हो सकता है या फिर प्यूबर्टी में हार्मोनल बदलाव, मेनापॉज आदि के कारण भी हो सकता है. यह स्थिति मोटापा जैसी दिखती है इसलिए अधिकतर मामलों में इसका पता लगाना मुश्किल होता है. इसमें आई सूजन गर्म या ठंडी सिकाई से भी सही नहीं होती. 

लिम्फेडिमा और लिपिडेमा का इलाज (Treatment of lymphedema and lipedema)

रिपोर्ट बताती हैं कि लिम्फेडिमा और लिपिडेमा का परमानेंट इलाज अभी तक नहीं आया है. इसका कारण है कि इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है लेकिन जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता. मायोक्लीनिक के मुताबिक, मेडिकेशन, एक्सरसाइज, मैनुअल ड्रंफ डैनेज, कंप्रेशन बैंडेज, कंप्रेशन गारमेंट, न्यूमेटिक कॉम्प्रेशन डिवाइस, सर्जरी से इसका इलाज किया जा सकता है.

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नेशनल हेल्थ सर्विस यूके के मुताबिक,  बैलेंस डाइट, कॉम्प्लेक्स डीकंजेस्टिव थेरेपी, भावनात्मक सहयोग, वेट लॉस सर्जरी, कंप्रेशन बैंडेज, लिपोसक्शन आदि से लिपिडेमा का इलाज किया जा सकता है. 

अगर किसी को भी अपने शरीर के किसी भाग में लंबे समय तक कोई फैट या चर्बी बढ़ी दिखे या फिर लगातार वजन बढ़ता दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

(Disclaimer: यह जानकारी विभिन्न मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर है. कोई भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें.)

 

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