
Weight-loss drug mounjaro launched in India: मोटापा तब होता है जब आपके शरीर में अत्यधिक फैट जमा हो जाता है. मोटापे को कम करने के लिए लोग लाइफस्टाइल, खान-पान और फिजिकल एक्टिविटी को सुधारते हैं ताकि उसे कंट्रोल किया जा सके. मार्केट में अब ऐसी दवाएं भी आ गई हैं जो वजन कम करने में मदद कर सकती हैं. हालांकि वजन घटाने वाली दवाएं पहले से ही यूके, यूरोप और अन्य देशों में प्रयोग में लाई जा रही है, वो अब भारत में आ गई है. हालांकि, विदेशों में ओजेम्पिक का यूज भी होता है लेकिन भारत में ओजेम्पिक औपचारिक रूप से लॉन्च नहीं हुई है.
मोटापे को कंट्रोल करने के लिए भारतीय बाजार में वजन घटाने वाली दवा औपचारिक रूप से लॉन्च की गई है. इस दवा का नाम मौनजारो (टिर्जेपेटाइड) है. यह मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज के लिए नया इलाज माना जा रहा है. अब इसके लॉन्च होने के बाद लोगों के मन में मौनजारो को लेकर काफी सवाल भी हैं, जैसे कि मौनजारो कैसे काम करती है, इसकी कीमत क्या है, इसे कैसे लेते हैं, इसके साइड इफेक्ट क्या हैं और इसकी कीमत क्या है. तो आइए इन सभी सवालों के बारे में डिटेल में जान लीजिए.
मौनजारो क्या है?
मौनजारो (टिर्जेपेटाइड) को एली लिली (Eli Lilly) ने भारत में लॉन्च किया है. मौनजारो ने फेज 3 SURPASS क्लिनकल ट्रायल में सभी कम्पेरेटर्स के मुकाबले बेहतर रिजल्ट दिए थे. मौनजारो को रासायनिक रूप से टिर्जेपेटाइड के रूप में जाना जाता है. यह GIP (ग्लूकोज-निर्भर इंसुलिनोट्रोपिक पॉलीपेप्टाइड) और GLP-1 (ग्लूकागन-जैसे पेप्टाइड-1) हार्मोन रिसेप्टर्स को एक्टिव करके अपना काम करता है.
मौनजारो शरीर में ब्लड शुगर को और भी अधिक प्रभावी तरह से काम करने में करने में मदद करता है, भूख को कम करता है और पाचन को धीमा करता है जिससे व्यक्ति का पेट लंबे समय तक भरा रहता है जिससे व्यक्ति कम खाता है. यह इंजेक्शन के रूप में आता है और इसकी खुराक हर हफ्ते ली जाती है. लेकिन किस व्यक्ति को क्या मात्रा दी जाएगी, यह डॉक्टर डिसाइड करते हैं.
क्लिनिकल ट्रायल में पाया गया कि डाइट और एक्सरसाइज के साथ मौनजारो लेने वाले वयस्कों ने 72 हफ्तों तक अधिकतम डोज (15 mg) पर औसतन 21.8 किलो वजन कम किया था और सबसे कम खुराक (5 mg) पर औसतन 15.4 किलो वजन कम किया था. मौनजारो इंजेक्शन को हफ्ते में 1 बार लेना होता है और इसका उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करने की हिदायत दी गई है.
मौनजारो कैसे काम करता है?
मौनजारो अपनी श्रेणी का पहला ग्लूकोज-निर्भर इंसुलिनोट्रोपिक पॉलीपेप्टाइड (GIP) और ग्लूकागन-जैसे पेप्टाइड-1 (GLP-1) एगोनिस्ट है, जिसे भारत में डाइट और एक्सरसाइज के साथ प्रयोग करने की सिफारिश की गई है. Mounjaro.lilly की ऑफिशिअल वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, मौनजारो शरीर में 3 तरह से काम करता है जिससे इंसान का वजन कम होता है.
इंसुलिन एक तरह का हॉर्मोन होता है, जो शरीर के अंदर प्राकृतिक रूप से बनता है और खून में मिलकर ग्लूकोज के लेवल को कम करता है. मौनजारो, इंसुलिन स्त्राव बढ़ाने में मदद करता है यानी इससे इंसुलिन हार्मोन अधिक मात्रा में रिलीज होता है. जितनी मात्रा में इंसुलिन रिलीज होता है तो वह ब्लड में मौजूद शुगर (ग्लूकोज) को कोशिकाओं तक ले जाता है और कोशिकाएं उनसे एनर्जी देती हैं और शरीर को फैट और प्रोटीन को ठीक से इस्तेमाल करने में मदद मिलती है.
इंसुलिन सेंसेटिविटी यानी आपका शरीर इंसुलिन के प्रति कितना प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करता है जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है. यदि कोई अधिक इंसुलिन प्रतिरोधी और कम इंसुलिन सेंसेटिव होता है तो उसे टाइप 2 डायबिटीज हो सकती है. ऐसे में मौनजारो इंसुलिन सेंसेटिविटी को सुधारती है और डायबिटीज में फायदा मिलता है.
मौनजारो लेने के बाद ऐसा महसूस होता है कि आपका पेट भरा हुआ है और ये जाहिर सी बात है कि अगर किसी का पेट भरा हुआ होगा तो वह खाना कम नहीं खाएगा. खाना कम खाएगा तो उसका वेट लॉस होता है.
मौनजारो की कीमत क्या है?
भारत में मौनजारो, 2.5 मिलीग्राम की शीशी की कीमत 3500 रुपये (एमआरपी) और 5 मिलीग्राम की शीशी की कीमत 4375 रुपये (एमआरपी) है. चूंकि मौनजारो प्रिस्क्रिप्शन-बेस्ड प्रोडक्ट है इसलिए इसका ट्रीटमेंट हेल्थकेयर प्रोफेशनल द्वारा किया जाना चाहिए. यदि किसी को इसकी 2.5 मिलीग्राम की शुरुआती खुराक हर हफ्ते दी जाती है तो मासिक खर्चा (4 हफ्ते)14,000 रुपये होगा.वहीं यदि किसी को 5 मिलीग्राम की खुराक दी जाती है तो उसका मासिक खर्चा लगभग 17,500 रुपये होगा.
मौनजारो के साइड इफेक्ट
Mounjaro.lilly.com की ऑफिशिअल वेबसाइट पर इसके कुछ साइड इफेक्ट भी बताए गए हैं जिसमें अग्न्याशय की सूजन, हाइपोग्लाइसीमिया, ब्लड शुगर की कमी, एलर्जी, किडनी की समस्याएं (किडनी फेलियर), पेट की गंभीर समस्याएं, आंखों की परेशानी, पित्ताशय थैली की समस्याएं शामिल हैं.
वहीं मौनजारो के सबसे आम दुष्प्रभावों में मतली, दस्त, भूख में कमी, उल्टी, कब्ज, अपच और पेट में दर्द शामिल हैं. ये मौनजारो के सभी संभावित दुष्प्रभाव नहीं हैं. किसी भी दुष्प्रभाव के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें.
मौनजारो से थायरॉयड में ट्यूमर हो सकता है जिसमें थायरॉयड कैंसर भी शामिल है. इसलिए इसके संभावित लक्षणों पर नजर रखें, जैसे गर्दन में गांठ या सूजन, निगलने में परेशानी या सांस लेने में तकलीफ भी शामिल हैं. अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण है तो डॉक्टर से संपर्क करें.
ये लोग न करें मौनजारो का उपयोग
Mounjaro.lilly.com की ऑफिशिअल वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, यदि आपको या आपके परिवार में किसी को कभी मेडुलरी थायरॉइड कार्सिनोमा (एमटीसी) नामक थायरॉइड कैंसर हुआ हो तो मौनजारो का प्रयोग न करें. यदि आप मल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लासिया सिंड्रोम टाइप 2 (एमईएन 2) से पीड़ित हैं तो मौनजारो का उपयोग न करें. यदि आपको मौनजारो या मौनजारो में मौजूद किसी भी घटक से एलर्जी है तो इसका उपयोग न करें.
वेट लॉस की दवाओं की स्थिति
पिछले कुछ समय में वजन कम करने में मदद करने वाली GLP-1 दवाओं की मांग में उछाल आया है. गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, GLP-1 दवाओं का बाजार 2030 तक 10 हजार करोड़ (100 बिलियन डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है.
जानकारी के मुताबिक, मौनजारो के द्वारा लिली कंपनी ने भारत में कदम रख लिया है. वहीं सिप्ला, डॉ रेड्डीज, ल्यूपिन, नैटको फार्मा, मैनकाइंड फार्मा और बायोकॉन जैसी शीर्ष जेनेरिक मेकिंग कंपनियां ओजेम्पिक की सस्ती जेनेरिक दवाइयां लॉन्च करने की तैयारियां कर रही हैं. इसी बीच भारत की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज अपनी खुद की GLP-1 दवा पर काम कर रही है.
भारत में मोटापे की स्थिति क्या है?
पीएम मोदी ने कुछ समय पहले लैंसेट मैगजीन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था, '2050 तक 44 करोड़ भारतीय मोटापे से ग्रस्त होंगे, जो खतरनाक है.' भारत की बात करें तो करीब 40 प्रतिशत लोग ओवरवेट हैं और उनमें से 11.4 प्रतिशत लोगों को डायबिटीज है.
भारत की वयस्क आबादी में मोटापे की दर लगातार बढ़ रही है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, द लैंसेट में पब्लिश नई स्टडी में चेतावनी दी गई है कि यदि कोई उचित कदम नहीं उठाए गए तो 2050 तक 25 वर्ष से अधिक आयु के 380 करोड़ वयस्क मोटे या अधिक वजन वाले होंगे. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) से पता चला है कि 18-69 उम्र के मोटे पुरुषों का प्रतिशत NFHS-4 में 18.9 प्रतिशत से बढ़कर NFHS-5 में 22.9 प्रतिशत हो गया है. वहीं पांच साल से कम उम्र के अधिक वजन वाले बच्चों का प्रतिशत NFHS-4 में 2.1 प्रतिशत था जो NFHS-5 में बढ़कर 3.4 प्रतिशत हो गया है.
इनपुट: मिलन शर्मा