जितना कम सामान रहेगा, उतना सफ़र आसान रहेगा
जितनी भारी गठरी होगी, उतना तू हैरान रहेगा...
कवि गोपाल दास नीरज की ये पंक्तियां किसी गहरी फिलॉस्फी से कम नहीं. क्या आप भी कभी इस सोच में पड़े हैं कि आखिर क्यों आपके पास सब कुछ होते हुए भी एक खालीपन सा है? या फिर आपको कई बार अपनी अलमारी, घर, और सामान से भरे कोनों को देखकर तनाव होने लगता है? अगर हां, तो शायद आपको Minimalism की तरफ बढ़ना चाहिए. 20 मार्च को वर्ल्ड हैप्पीनेस डे पर आइए जानते हैं कि कैसे Minimalism Movement पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है और किस तरह कम चीजों के साथ ज्यादा खुशी का फंडा लोगों को भाने लगा है.
क्या है Minimalism Movement
Minimalism एक जीवनशैली है, जिसमें फालतू चीजों को त्यागकर सिर्फ उन्हीं चीजों को रखा जाता है जो वास्तव में जरूरी हैं और हमें खुशी देती हैं. यह आंदोलन 1960 के दशक में कला और डिजाइन के क्षेत्र से शुरू हुआ था, लेकिन आज एक जीवनशैली का रूप ले चुका है. जोशुआ फील्ड्स मिलबर्न और रयान निकोडेमस ने नेटफ्लिक्स पर अपनी डॉक्यूमेंट्री 'Minimalism: A Documentary About the Important Things' से इस विचार को एक नए स्तर तक पहुंचाया.
बेकार चीजें हमें दुखी करती हैं, क्या कहती हैं रिसर्च?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के अनुसार अत्यधिक सामान होने से हमारा मानसिक तनाव बढ़ता है और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है. वहीं प्रिंसटन न्यूरोसाइंस इंस्टीट्यूट की रिसर्च कहती है कि जब हमारे आसपास जरूरत से ज्यादा चीजें होती हैं, तो हमारा दिमाग उन पर ध्यान देने में ही उलझा रहता है, जिससे हमारी फोकस करने की क्षमता घटती है. इसी पर कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की स्टडी के मुताबिक ज्यादा सामान रखने से खुशी का हार्मोन कहा जाने वाला डोपामिन का रिलीज होना कम हो जाता है और एंग्जायटी बढ़ती है.
ये हैं Minimalism के फायदे
Minimalism का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह हमारे दिमाग से अनावश्यक तनाव को कम करता है. मनो वैज्ञानिक और लाइफ कोच डॉ. विधि एम. पिलनिया कहती हैं कि जब हम सिर्फ उन्हीं चीजों को अपने पास रखते हैं, जो हमारे लिए मायने रखती हैं, तो हमारा मन ज्यादा शांत और खुश रहता है. इस जीवनशैली के कई और फायदे नीचे दिए जा रहे हैं.
पैसे की बचत
जो लोग मिनिमलिस्ट लाइफ अपनाते हैं, वे बिना सोचे-समझे शॉपिंग करने से बचते हैं. इससे वो पैसों का उपयोग यादगार अनुभवों पर करते हैं, जैसे कि कोई टूर करना या किताबें खरीदना या परिवार के साथ कहीं बाहर जाना.
रिश्तों में सुधार
जब हम चीजों की बजाय अनुभवों को महत्व देने लगते हैं, तो हमारे रिश्तों में सुधार आता है. कम सामान यानी कम तनाव और अपना के साथ ज्यादा समय देना.
काम करने की क्षमता में वृद्धि
कम सामान का मतलब कम अव्यवस्था (clutter), जिससे हमारा दिमाग बेहतर तरीके से काम करता है. न्यूरोसाइंटिस्ट्स के अनुसार एक साफ-सुथरा माहौल हमारी उत्पादकता 40% तक बढ़ा सकता है.
पर्यावरण को बचाना
जब हम अनावश्यक चीजें खरीदने से बचते हैं, तो इससे कचरा और कार्बन फुटप्रिंट कम होता है. Minimalism पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है.
ऐसे अपना सकते हैं मिनिमलिज्म
90/90 Rule अपनाएं: अगर आपने किसी चीज़ का पिछले 90 दिनों में उपयोग नहीं किया है और अगले 90 दिनों में करने की योजना नहीं है, तो उसे हटा दें.
One in, One out का रूल: अगर आप एक नई चीज खरीदते हैं, तो पुरानी एक चीज को दान कर दें या किसी जरूरतमंद को दें.
डिजिटल Minimalism से शुरू करें: फालतू ईमेल, फोटो और सोशल मीडिया अकाउंट्स को क्लीन करने से शुरू करें.
Capsule Wardrobe बनाएं: जरूरत से ज्यादा कपड़ों की बजाय सिर्फ वे कपड़े रखें, जो आप नियमित रूप से पहनते हैं.
Netflix पर डॉक्यूमेंट्रीज ने बदली लोगों की सोच
Minimalism: A Documentary About the Important Things डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि कैसे दो दोस्त, जोशुआ फील्ड्स मिलबर्न और रयान निकोडेमस, भौतिक चीजों से मुक्त होकर ज्यादा संतुष्टि भरी जिंदगी जीते हैं. इस फिल्म को देखकर लाखों लोगों ने अनावश्यक चीजों से खुद को अलग किया और एक सरल जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा ली.
Tidying Up with Marie Kondo सीरीज घरों को व्यवस्थित करने और सिर्फ उन्हीं चीजों को रखने पर केंद्रित है जो खुशी देती हैं. इस शो ने दुनिया भर में लोगों को प्रेरित किया कि वे अपने घरों को क्लीन और ऑर्गेनाइज रखें. कई लोगों ने इस सीरीज के बाद सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा किए कि कैसे उन्होंने अपने जीवन से फालतू चीजें हटाकर मानसिक शांति पाई.