जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, चीजों के बारे में जानने की जिज्ञासा उनके अंदर बढ़ती रहती है. कई बार बच्चे चीजों का एक अलग ही मतलब निकाल लेते हैं. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों से कुछ भी बोलते समय माता-पिता इस बात का ख्याल रखें कि बच्चे उस बात का गलत मतलब ना निकालें. अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा सही रास्ते पर चले तो इसके लिए जरूरी है कि आप अपने बच्चे से कुछ बातें गलती से भी ना कहें. आइए जानते हैं क्या हैं वो बातें जो आपको कभी भी अपने बच्चों से नहीं कहनी चाहिए.
बच्चे से ना करें पार्टनर या किसी और की बुराई- कई बार लोग गुस्से में आकर बच्चों से दूसरों की बुराई करने लगते हैं. बाल मनोवैज्ञानिक और पेरेंटिंग टिनेजर एक्सपर्ट एंजेला करंजा का कहना है कि कई बार लोग अपने पार्टनर की या फैमिली मेंबर की बच्चों से बुराई करते समय यह भूल जाते हैं कि बच्चा जितना आपके साथ रहता है उतना ही बाकी लोगों के साथ भी समय गुजारता है. ऐसे में आपकी बातों से वह खुद को दो अलग-अलग हिस्सों में बंटा हुआ महसूस करने लगता है. कई बार इससे बच्चे उन लोगों से नफरत करने लगते हैं जिनके बारे में आप उससे बुराई करते हैं.
जिम्मेदारियों को लेकर डर- बच्चों से बात करते समय ध्यान रखें कि उनके आगे कभी भी पैसों और बीमारी की बात ना करें. जब माता-पिता पैसों को लेकर टेंशन लेते हैं और बच्चों के आगे इसकी बातें करते हैं तो वह अपने डर को बच्चों में ट्रांसफर करते हैं. कई बार ऐसा करने से बच्चों पर बोझ पड़ता है क्योंकि बच्चे भी फिर इसे लेकर काफी टेंशन लेने लगते हैं जिसे हैंडल करना उनके बस की बात नहीं होती.
बच्चों की तुलना दूसरों से करना- एंजेला का कहना है कि बच्चों की तुलना किसी और से करना बिल्कुल भी सही नहीं होता. जब आप अपने बच्चे की तुलना किसी और से करते हैं तो इससे बच्चे खुद को दूसरों से कम आंकना शुरू कर देते हैं. दूसरे से तुलना किए जाने पर बच्चे का भरोसा टूटने लगता है और वो तनाव का शिकार हो जाते हैं. वहीं, जब आप अपने बच्चे को यह कहते हैं कि वह बाकी सब से काफी बेहतर है तो इससे भी बच्चे के मन पर गलत प्रभाव पड़ता है. इससे वह बाकी लोगों को खुद से कम आंकना शुरू कर सकते हैं.
उन्हें न बताएं कैसा महसूस करें कैसा नहीं- पेरेंटिंग एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों से कभी भी दुखी ना हो या यह इतना भी बुरा नहीं था जैसे शब्द नहीं बोलने चाहिए. अगर आपका बच्चा किसी चीज को लेकर दुखी है और आप उसे उस दुख में भी हसंते रहने के लिए कहते हैं तो इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है. इससे कई बार बच्चे अपने मन के दुख को जाहिर नहीं कर पाते हैं और बाहर वालों की नजर में खुद को खुश ही दिखाते है जो उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चे से कहें कि कभी-कभी ठीक नहीं होना भी ठीक होता है.
'काश तुम कभी पैदा नहीं होते'- आप कितने भी नाराज क्यों ना हो लेकिन बच्चे से भूलकर भी ना बोलें कि 'काश तुम कभी पैदा नहीं होते'. कोई भी बच्चा अपने पेरेंट से ये नहीं सुनना चाहता है. ये बातें ना सिर्फ आपके बच्चे की भावनाओं को आहत करती हैं बल्कि उसके आत्म सम्मान को भी ठेस पहुंचाती हैं. इससे बच्चे के मन में ये बात आ सकती है कि उसे कोई पसंद नहीं करता है.
रूढ़िवादी टिप्पणियां करने से बचें- लड़के नहीं रोते या लड़कियों को चुपचाप बैठना चाहिए. इस तरह के टिप्पणियां बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर डालती हैं. जब आप बच्चों को उनकी भावनाएं व्यक्त करने से रोकते हैं तो वह चुप रहना सीख लेते हैं और अपने मन की बातों को भी सुनना बंद कर देते हैं. ऐसे मे जब उन्हें कोई गलत बोलता है तो वह आवाज नहीं उठा पाते और ना ही अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं जिससे वह मन ही मन में घुटते रहते हैं.