25 दिसंबर को ब्रिटिश मेडिकल जर्नल मैगजीन में छपे अब तक के सबसे लोकप्रिय मेडिकल लेख को 20 साल हो जाएंगे. चिकित्सा के क्षेत्र में इस पत्रिका को कई पुरस्कार मिल चुके हैं. इस आर्टिकल ने अब तक सबसे ज्यादा पढ़े और डाउनलोड किए जाने वाले आर्टिकल का रिकॉर्ड भी बनाया था.
प्रतीकात्मक तस्वीर
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आखिर क्या था इस आर्टिकल में?
इस आर्टिकल में एक रिसर्च के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी. इस रिसर्च को एनाटॉमी (शारीरिक संरचना) के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए डच वैज्ञानिकों ने कराया था.
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इस रिसर्च के जरिए शारीरिक संबंध बनाने के समय पुरुष और महिलाओं के प्राइवेट पार्ट में होने वाले बदलाव के बारे में जानने की कोशिश की गई थी.
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कैसे किया गया था रिसर्च?
संबंध बनाने के समय महिलाओं और पुरुषों के प्राइवेट पार्ट कैसे हो जाते हैं, ये देखने के लिए उनसे MRI स्कैनर में इंटिमेट होने को कहा गया.
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संबंध बनाने के दौरान महिलाएं और पुरुष कैसे व्यवहार करते हैं और उनके प्राइवेट पार्ट में किस तरीके का बदलाव होता है, इन्हें स्कैनर के जरिए बारीकी से समझने की कोशिश की गई.
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इस रिसर्च के लिए 8 जोड़ों को निजी तौर पर आमंत्रित किया गया था. इनमें से एक कपल ऐसा था जो स्ट्रीट कलाकार था और लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के एक्ट करता था.
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रिसर्च में 3 सिंगल महिलाएं भी थीं जिन पर 13 तरह के प्रयोग किए गए थे. स्टडी के मुताबिक तीन कपल ने MRI मशीन में दो बार सेक्स किया जबकि सिंगल महिलाओं ने बिना पार्टनर के ऑर्गेज्म महसूस किया.
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स्टडी के लिए इन सभी का चुनाव शारीरिक बनावट के आधार पर भी किया गया था ताकि ये मशीन में पूरी तरह से फिट आ सकें.
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MRI मशीन में ये रिसर्च नीदरलैंड के एक यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में किया गया था. MRI स्कैनर को चारों तरफ से पर्दे से ढक दिया गया था ताकि कपल्स को इंटिमेट होने में झिझक ना हो.
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MRI स्कैनर का सामने की तरफ एक कंट्रोल रूम बनाया गया था जिसमें बैठकर रिसर्चर अपने प्वाइंट्स को समझने की कोशिश कर रहे थे.
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स्कैनर के जरिए महिलाओं और पुरुषों की ऑर्गेज्म होने से पहले और बाद की अलग-अलग कुछ तस्वीरें ली गईं.
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स्टडी में पाया गया कि मशीन में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को संबंध बनाने में ज्यादा दिक्कत हो रही थी और सिर्फ एक जोड़े को छोड़कर सबने वियाग्रा के इस्तेमाल से संबंध बनाया.
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रिसर्च टीम ने पाया कि मिशनरी पोजीशन में संबंध बनाने के दौरान पुरुषों के प्राइवेट पार्ट स्ट्रेट या एस शेप में नहीं बल्कि बुमरैंग शेप में हो जाते हैं वहीं ये पूर्व धारणा भी गलत निकली कि सेक्सुअल अराउजल के वक्त यूटेरस फैलता है.
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इस स्टडी को पूरा करने में एक साल लग गए. रिसर्च टीम का कहना था कि इन तस्वीरों से एनाटॉमी की जानकारी में बहुत इजाफा हुआ.
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साल 2000 में इस स्टडी को एलजी नोबेल अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिसे लोगों ने खूब मजे लेकर पढ़ा और बाद में इस पर अपने विचार भी रखे.
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द बीएमजे मैगजीन के डिप्टी एडिटर के रूप में रिटायर हुए डॉक्टर टोनी डेलमॉथ ने पत्रिका के इस साल के क्रिसमस अंक में इस स्टडी की वर्षगांठ और इसकी लोकप्रियता के बारे में लिखा है.
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डेलमॉथ ने लिखा कि ये स्टडी अपने आप में अनोखी थी और हर कोई मुफ्त में इसकी तस्वीरें देखने और इसके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए उत्सुक रहता था.
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20 साल पहले क्रिसमस विशेष अंक में इस स्टडी को छापा गया था. डेलमॉथ का कहना है कि उस समय आम आदमी से लेकर वैज्ञानिक तक किसी भी तरह उस मैगजीन को पाना चाहते थे.
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डेलमॉथ का कहना है कि मैगजीन के जिस अंक में MRI में सेक्स विषय का जिक्र था, उसकी इतनी बिक्री हुई थी, जिसका रिकॉर्ड अब तक नहीं टूटा है.
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डेलमॉथ का कहना है कि उस समय की इस स्टडी को याद कर अब भी चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और 20 साल के बाद भी उस आर्टिकल को पढ़ना उतना ही रोचक और दिलचस्प लगता है.