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लाइफस्टाइल

कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में दोबारा संक्रमण का खतरा नहीं!

कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में दोबारा संक्रमण का खतरा नहीं!
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कोरोना वायरस पर आई नई स्टडी राहत देने वाली है. शोध में पता चला है कि एक बार कोरोना वायरस से ठीक हो चुके लोगों में पर्याप्त एंटीबॉडी बन जाती है और वो लोग वायरस से दोबारा संक्रमित नहीं होते हैं. ये दावा वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में वायरोलॉजी लैब के सहायक निदेशक एलेक्जेंडर ग्रेनिंजर और फ्रेड हच कैंसर रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने किया है.
कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में दोबारा संक्रमण का खतरा नहीं!
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ये शोध सेरोलॉजिकल सर्वे  और RT-PCR टेस्ट के आधार पर किए गए हैं. शोध के लिए अमेरिका के सिएटल से एक मछली पकड़ने के जहाज को चुना गया था. इस जहाज में 122 लोग सवार थे. समुद्र में 18 दिनों की यात्रा के लिए निकलने से पहले और वापस आने के बाद इन लोगों के टेस्ट किए गए . टेस्ट में 122 में से 104 लोग एक ही सोर्स से कोरोना संक्रमित पाए गए.

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पूरे जहाज में कोरोना वायरस फैलने के बावजूद इसमें तीन लोग ऐसे पाए गए जो इस संक्रमण से बचे रह गए थे. दरअसल इन तीनों लोगों को जहाज पर आने से पहले ही कोरोना वायरस हो चुका था और ये उससे पूरी तरह ठीक हो चुके थे. इसकी वजह से इनके शरीर में एंटीबॉडी बन चुकी थी. स्टडी के अनुसार, इसी वजह से ये तीनों लोग दोबारा संक्रमित होने से बच गए.

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कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में दोबारा संक्रमण का खतरा नहीं!
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जहाज में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के दौरान इन तीन लोगों को कुछ भी नहीं हुआ. इन लोगों में कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं पाए गए. हालांकि शोधकर्ताओं ने एक संभावना ये भी जताई कि हो सकता है कि ये तीनों लोग कोरोना वायरस के सीधे संपर्क में ना आए हों.

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स्टडी के लेखक एलेक्जेंडर ने हिंदुस्तान टाइम्स को ईमेल के जरिए बताया, 'इससे पता चलता है कि एंटीबॉडी और Sars-CoV-2 से बचाव आपस में संबंधित हैं.' हालांकि उन्होंने इस पर और स्टडीज की जाने की जरूरत भी बताई.

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ये स्टडी प्रीप्रिंट सर्वर मेडरिक्स पर प्रकाशित की गई है. इस स्टडी के निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस महामारी को रोकने के लिए इम्यून रिस्पॉन्स की अहम भूमिका है और पूरी दुनिया इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए वैक्सीन पर सही दिशा में आगे बढ़ रही है.

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आपको बता दें कि इस समय पूरी दुनिया में 200 वैक्सीन पर काम किया जा रहा है. इनमें से 29 अपने क्लिनिकल ट्रायल में हैं. 

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शोधकर्ताओं ने लिखा, 'ह्यूमन ट्रायल के जरिए न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी से मिली सुरक्षा के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सकती है. हालांकि कोरोना वायरस गंभीर और काफी दिनों तक रहने वाले अज्ञात प्रभावों के चलते इन ट्रायल्स पर भी सवाल उठने लगे हैं.

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