#WorldAidsDay 1 दिसंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है. एड्स की रोकथाम के लिए पूरी दुनिया में वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे हैं. पिछले दिनों सामने आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इंफ्यूजन नाम की एक नई तकनीक एड्स को कंट्रोल करने में कारगर है. इसके जरिए HIV जैसी घातक बीमारी को 6-7 महीनों में रोका जा सकता है.
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इंफ्यूजन नाम की यह टेक्नोलॉजी एड्स की बीमारी से लड़ रहे लोगों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरी है. हालांकि इससे पहले भी कई बार इस तकनीक पर प्रयोग किए जा चुके हैं, लेकिन वैज्ञानिकों को इससे ज्यादा फायदा नहीं मिला.
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रॉकफेलर यूनिवर्सिटी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोधकर्ताओं ने HIV को नियंत्रित करने के लिए 2 तरह की एंटीबॉडी को मिलाया है. इस प्रयोग में वैज्ञानिकों ने 2 लोगों में HIV पर 30 हफ्तों में कामयाबी पाई. वहीं, दूसरे लोगों में इन एंटीबॉडी का असर 15 हफ्तों तक देखा गया है.
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डॉक्टर कार्ल डीफेनबैक के अनुसार, 'एड्स होने पर सिर्फ एक तरह की एंटीबॉडी से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. लेकिन यह तकनीक इस घातक बीमारी से लड़ने में कारगर हो सकती है. इससे एचआईवी के खतरे को भी कम किया जा सकेगा'
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लोग एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) द्वारा एचआईवी का इलाज किया करते हैं, जिसमें उन्हें हर एक दिन दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है. लेकिन, कई लोगों के लिए रोज-रोज दवाई लेना बहुत कठिन होता है.
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यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया के शोधकर्ताओं ने साल 2016 में एचआईवी वायरस से लड़ने के लिए जोरदार प्रयास किया था. लेकिन वे उसमें सफल नहीं हो पाए थे.
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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार पूरी दुनिया में करीब साढ़े तीन करोड़ लोग एचआईवी पीड़ित हैं. इनमें से केवल 62% लोगों को ही समय पर इलाज मिल पाता है.
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एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) इंसान के इम्यून सिस्टम को डैमज करता है. अगर इसका तुरंत इलाज न करवाया जाए तो यह शरीर में मौजूद सीडी4 सेल्स को खत्म कर देता है जिससे इंसान की मौत हो जाती है.
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वहीं, यूनिसेफ का दावा है कि हर रोज एड्स के कारण दुनियाभर में करीब 300 से ज्यादा बच्चों की मौत होती है.