scorecardresearch
 
Advertisement
लाइफस्टाइल

पर्यावरण बचाने में इन महिलाओं का बड़ा योगदान, एक ने तो जान तक गंवाई

पर्यावरण बचाने में इन महिलाओं का बड़ा योगदान, एक ने तो जान तक गंवाई
  • 1/8
आज पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. पर्यावरण के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 5 जून को यह दिन मनाया जाता है. पर्यावरण संरक्षण करने के लिए कई आंदोलन किए गए. बावजूद इसके आज प्रदूषण अपने चरम पर है. पर्यावरण संरक्षण में भारतीय महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है. आइए जानते हैं आखिर कौन सी थीं वो भारतीय महिलाएं और कौन से अंदोलन करके उन्होंने पर्यावरण संरक्षण करने में अपना अहम योगदान दिया है.
पर्यावरण बचाने में इन महिलाओं का बड़ा योगदान, एक ने तो जान तक गंवाई
  • 2/8
खेजड़ली आंदोलन-
राजस्थान में हुआ खेजड़ली आंदोलन पर्यावरण चेतना का एक बहुत बड़ा उदाहरण है. इस आंदोलन को करने वाले राजस्थान के खेजड़ली गांव के स्थानीय लोग थे. बताया जाता है कि सन 1730 में जोधपुर के महाराजा ने अपेन महल के निर्माण के लिए लकड़ी लेने के लिए सिपाहियों को भेजा तो वो कुल्हाड़ी लेकर खेजड़ली गांव पहुंच गए.
पर्यावरण बचाने में इन महिलाओं का बड़ा योगदान, एक ने तो जान तक गंवाई
  • 3/8
खेजड़ली आंदोलन-
यहां गांव की ही एक महिला अमृता देवी ने सिपाहियों के पेड़ काटने का विरोध किया और अपनी तीनों बेटियों के साथ पेड़ पर लिपट गई. वृक्ष बचाते हुए इस महिला ने अपने प्राणों की आहुति तक दे दी थी. इसके बाद इस खबर के गांव में फैलते ही 363 लोगों ने भी वृक्ष संरक्षण हेतु अपने प्राणों की आहुति दे दी. इस घटना को रिचर्ड बरवे द्वारा सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण देते हुए प्रचारित भी किया गया.
Advertisement
पर्यावरण बचाने में इन महिलाओं का बड़ा योगदान, एक ने तो जान तक गंवाई
  • 4/8
चिपको आंदोलन-
वृक्षों को कटने से बचाने के लिए यह आंदोलन उत्तराखंड के चमोली में सन् 1973 में शुरू किया गया. इस आंदोलन को शुरू करने वाले श्री सुन्दर लाल बहुगुणा थे लेकिन महिलाओं ने भी इस आंदोलन के दौरान में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
पर्यावरण बचाने में इन महिलाओं का बड़ा योगदान, एक ने तो जान तक गंवाई
  • 5/8
चिपको आंदोलन-
इस आंदोलन को ईको फेमिनिस्ट आंदोलन कहकर भी बुलाया जाता है. ऐसा इसलिेए क्योंकि इसकी कार्यकर्ताएं  अधिकांश महिलाएं ही थीं. बता दें, गौरा देवी नाम की एक महिला के नेतृत्व में 26 मार्च 1974 को रेणी के वृक्ष काटने आए लोगों को चमोली गांव की महिलाओं ने यह कहकर भगा दिया कि 'जंगल हमारा मायका है, हम इसे कटने नहीं देंगे'.
पर्यावरण बचाने में इन महिलाओं का बड़ा योगदान, एक ने तो जान तक गंवाई
  • 6/8
नवधान्या आंदोलन-
1987 में पर्यावरणविद वंदना शिवा के नेतृत्व में नवधान्या आंदोलन महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है. इस आंदोलन मे जैविक कृषि के लिए लोगों को प्रेरित करने के साथ किसानों को बीज वितरित किये जाते है तथा जंकफूड व हानिकारक कीटनाशकों व उर्वरकों के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक किया जाता है.

पर्यावरण बचाने में इन महिलाओं का बड़ा योगदान, एक ने तो जान तक गंवाई
  • 7/8
नर्मदा बचाओ आंदोलन-
नर्मदा बचाओ आंदोलन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में मेधा पाटेकर की अहम भूमिका रही है. पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन में महिलाओं की भूमिका देखते हुए राष्ट्रीय वन नीति 1988 में उनकी सहभागिता को स्थान दिया गया.
पर्यावरण बचाने में इन महिलाओं का बड़ा योगदान, एक ने तो जान तक गंवाई
  • 8/8
नर्मदा बचाओ आंदोलन-
2006 में राजस्थान के राजसमन्द जिले के पिपलन्तरी गांव मे पुत्री के जन्म पर 111 पौधे लगाने का नियम बनाया और इस योजना की उपलब्धियों को देखते हुए 2008 में इस गांव को निर्मल गांव का पुरस्कार भी मिला.
Advertisement
Advertisement