जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है. भारत के लिए ये एक ऐतिहासिक लम्हा है, क्योंकि देश ने पहली बार ट्रैक एंड फील्ड ईवेंट में गोल्ड पर कब्जा जमाया है. इंटरनेट से लेकर टेलीविजन तक हर जगह नीरज की बातें हो रही हैं. पूरी दुनिया नीरज और उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में जानने को भी उत्सुक है.
Photo Credit: Neeraj chopra/Kapil Dev Officials
नीरज चोपड़ा की उम्र 23 साल है और फिलहाल उन्हें सबसे एलिजबल बैचलर बताया जा रहा है. गूगल पर भी लोग उनकी गर्लफ्रेंड का नाम खोज रहे हैं.
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नीरज से जब एक इंटरव्यू में शादी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'अभी मेरा पूरा फोकस सिर्फ और सिर्फ स्पोर्ट्स की तरफ है. आने वाला साल मेरे लिए बेहद अहम है क्योंकि एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप्स हैं. उसके बाद ओलंपिक तक पहुंचने के लिए कई सारे टूर्नामेंट हैं.' फीमेल फैंस से मिल रही अटेंशन को लेकर नीरज ने कहा, मैं खुश हूं कि मुझे सबसे इतना प्यार मिल रहा है.
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'क्या उन पर शादी को लेकर दबाव है?' इस सवाल के जवाब में नीरज ने कहा, 'नहीं, फिलहाल तो मेरा पूरा फोकस खेल की तरफ है. ये सब चीजें तो चलती रहेंगी. लेकिन अभी मैं सिर्फ अपने खेल पर ही ध्यान देना चाहता हूं.' नीरज से जब पूछा गया कि क्या उनकी कोई गर्लफ्रेंड है तो उन्होंने कहा, फिलहाल कोई नहीं है.
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लव या अरेंज मैरिज करने के सवाल पर नीरज ने कहा कि घर वाले अपनी मर्जी से शादी करना चाहे तो भी कोई दिक्कत नहीं है और अगर मुझे लव मैरिज करनी होगी तो भी कोई दिक्कत नहीं है. नीरज ने बताया कि अगर उनको कोई लड़की पसंद आई तो वह अपने घर वालों से बात करेंगे और शादी करेंगे. हालांकि, अभी वह अपने खेल पर ही ध्यान लगाना चाहते हैं.
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नीरज चोपड़ा ने बताया कि बचपन में उनका वजन काफी ज्यादा था और वह बहुत मोटे थे. इसलिए उनके परिवार ने उन्हें फिट होने के लिए एथलेटिक्स की ट्रेनिंग लेने भेज दिया था. नीरज ने बताया कि उन्हें कभी इस बात का अंदाजा नहीं था कि एक दिन वह जेवलिन थ्रो के चैंपियन बन जाएंगे.
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नीरज ने बताया कि बचपन में जब वह कुर्ता-पयजामा पहनकर घर से बाहर निकलते थे तो लोग उन्हें सरपंच कहने लग जाते थे. मोटे होने की वजह से नीरज की फिटनेस बहुत ज्यादा खराब थी. बच्चे उनका बहुत मजाक भी बनाते थे.
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नीरज ने कहा, 'जब मुझे पहली बार स्टेडियम भेजा तब यह खेल मेरे प्लान का हिस्सा नहीं था. ना ही मुझे पता था कि एक दिन मैं देश को मेडल दिलाने के लिए खेलूंगा. मेरे परिवार या गांव से कोई शख्स पहले इस खेल से जुड़ा नहीं रहा है. हालांकि इसके लिए मुझे हर किसी ने सपोर्ट किया था.'
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नीरज ने बताया कि उनके चाचाजी सुरेंद्र कुमार उनका वजन कम करने के लिए स्टेडियम लेकर गए थे, लेकिन धीरे-धीरे उनका रुझान जेवलिन थ्रो की तरफ बढ़ने लगा और उन्होंने इस खेल में हाथ आजमाना शुरू कर दिया.
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