वैवाहिक जीवन की सफलता और चुनौतियां हमेशा से ही समाजशास्त्रियों और रिसर्च करने वालों के लिए पसंदीदा विषय रही हैं. आज के बदलते दौर में भी इन विषयों पर शोध व सर्वेक्षण बदस्तूर जारी है. आगे ऐसे ही सर्वेक्षणों से उजागर कुछ तथ्यों की जानकारी दी गई है...
वैवाहिक जीवन में प्रवेश को लेकर भले ही कुंआरों के दिल में एक अनजाना-सा डर बैठा रहता हो कि पता नहीं भविष्य में शादी कहीं जी का जंजाल न बन जाए, पर नए शोध से मिली जानकारी के मुताबिक तो सफल शादीशुदा जिंदगी के फायदे ही फायदे हैं.
यहां तक कि सफल शादीशुदा जिंदगी के फायदों को रकम में भी आकलित किया जा चुका है.
क्या आप एक सफल शादी की कीमत तय कर सकते हैं? एक नई किताब के अनुसार इसकी कीमत है 65 हजार पौंड की सालाना आमदनी.
डेविड ब्रुक्स की नई किताब ‘सोशल एनिमल’ ने सफल शादी के मानसिक फायदे का आकलन कर यह रकम तय की है.
किताब के अनुसार सफल और स्थिर वैवाहिक जीवन बिताने वाले लोग अविवाहितों से ज्यादा संतुष्ट रहते हैं.
ब्रुक्स ने बताया, ‘‘शादी बहुत महत्वपूर्ण है.’’ उनके अनुसार रिश्तों की अहमियत संपति से कहीं ज्यादा है और विद्यार्थियों को इसका अध्ययन करना चाहिए कि वे किसे अपना जीवनसाथी चुनें.
हमेशा से ऐसा माना जाता रहा है कि महिलाओं की बड़ी-बड़ी आंखें पुरुषों को ज्यादा आकर्षित करती हैं. अगर इन आंखों में शर्म और हया हो, तो बात ही क्या?
इसी तरह मदमस्त होठों वाली स्त्रियां भी पुरुषों को खूब भाती हैं. लाल सुर्ख होठों को देखकर उससे रस चुराने को पुरुषों मन मचल उठता है.
सीधे-सीधे कहें, तो अन्य बातों के अलावा महिलाओं की आंखें और होठ पुरुषों के दिल पर गहरी छाप छोड़ती हैं.
अब एक शोध में भी इन पुरानी मान्यताओं की पुष्टि हो गई है.
न्यूयार्क और प्रिंसटन विश्वविद्यालयों के मनोविज्ञानियों ने पाया है कि बड़ी आंखों वाली और भरे-भरे होठों वाली स्त्रियां पुरुषों की पहली पसंद हैं.
वैज्ञानिकों ने पाया कि अधिकांश पुरुषों ने स्त्रियोचित गुणों वाले स्त्री चेहरों को पसंद किया.
मतलब एकदम स्पष्ट है. पुरुषों की चाहत होती है कि उनकी पार्टनर में सभ्य महिलाओं वाले सारे गुण हों.
लज्जा को महिलाओं का स्वाभाविक गुण माना गया है. तभी तो हमारे शास्त्रों में भी इसे नारी का 'सर्वश्रेष्ठ आभूषण' बताया गया है.
एक सर्वे के मुताबिक महिलाओं को सुबह-सुबह कॉफी की खुशबू के साथ जागना बहुत अच्छा लगता है.
सर्वे में यह पाया गया कि पुरुषों को रसोई से आने वाली तली-भुनी चीजों की खुशबू के साथ जगना पसंद होता है.
ब्रिटेन में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आयी है कि सुबह नींद से जागने के लिए महिलाएं कॉफी पसंद करती हैं, जबकि पुरुषों को तली हुई चीजें रास आती हैं.
सर्वे के मुताबिक, ब्रिटेन की 26 प्रतिशत महिलाएं अपने दिन की शुरुआत कॉफी के साथ करती हैं.
दूसरी ओर 27 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि उन्हें सुबह उठने के लिए अंडों, बेकॅन, सॉस और तली हुई ब्रेड की खुशबू पसंद है.
सर्वे के दौरान 23 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि ‘जिंजी शावर जेल’ की खुशबू भी सुबह की नींद से जगाने के लिए अच्छी होती है.
इनके अलावा 11 प्रतिशत लोगों ने माना कि ताजा कटी घास की खुशबू से भी सुबह की नींद खुल जाती है.
10 प्रतिशत लोगों ने माना कि बेक किए हुए ताजे ब्रेड की खुशबू उन्हें जागने में मदद करती है.
सर्वे के अनुसार पांच प्रतिशत रोमांटिक लोगों ने माना कि जब उनका पार्टनर उन्हें उठाता है, तो उनकी नींद बहुत आसानी से खुल जाती है.
वक्त भले ही बदल रहा हो, लेकिन अपने बच्चों की शादी को लेकर मां के विचार पहले जैसे ही बने हुए हैं. बच्चों के जीवनसाथी के चयन में मांओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती हैं.
एक सर्वेक्षण से पता चला कि 67 प्रतिशत मांओं का मानना है कि बच्चों के जीवनसाथी चुनने में उनकी राय महत्वपूर्ण है. हालांकि, 30 प्रतिशत मां ने बच्चों की राय को महत्वपूर्ण बताया.
शादी डॉट कॉम के वाणिज्य प्रमुख गौरव रक्षित कहते हैं, ‘‘यद्यपि, समय बदल रहा है, लेकिन इस परिणाम से स्पष्ट होता है कि अपने बच्चों के लिए सही जीवनसाथी चुनने के प्रति मां की राय में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.’’
महिलाओं के बारे में किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि तीन में से एक महिला वित्तीय मामलों में अपने पति पर भरोसा नहीं करती हैं और इसीलिए ऐसी महिलाएं घरेलू लेन-देन का प्रभार खुद संभालती हैं.
न्यूयॉर्क से प्रकाशित होने वाली ‘गुड हाउसकीपिंग’ पत्रिका द्वारा कराए गए अध्ययन के अनुसार धन के मामले में महिलाओं में अपने पति के प्रति विश्वास की कमी इस हद तक है कि पांच में से सिर्फ एक महिला ही अपने पति से वित्तीय मामलों में सलाह लेना पसंद करती है.
डेली मेल की खबर के मुताबिक महिलाएं अपने पतियों पर भरोसा नहीं करने के साथ ही बैंक पर भी भरोसा नहीं करतीं.
सर्वेक्षण में शामिल 90 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्हें इस बात को लेकर अपने बैंक पर भी विश्वास नहीं है कि वे उन्हें वित्तीय संकट से बाहर निकाल पाएगा.
अध्ययन के अनुसार 87 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें इस बात पर यकीन नहीं है कि स्थानीय राजनीतिज्ञ किसी काम के साबित होंगे. दूसरों पर निर्भर रहने की बजाय महिलाएं अपनी वित्तीय समस्याओं को खुद सुलझाना पसंद करती हैं.
सर्वेक्षण में शामिल एक-तिहाई महिलाओं ने कहा कि वे सलाह के लिए वित्तीय वेबसाइटों पर भरोसा करती हैं.
सिर्फ दो प्रतिशत महिलाओं ने यह माना कि बैंक मदद उपलब्ध कराएगा. पत्रिका से जुड़े लोगों का कहना है कि यह महिलाओं के जबर्दस्त सशक्तिकरण का उदाहरण है.