प्रेम ना सरहदें जानता है और ना ही मजहब. प्रेम केवल जुनून की भाषा ही समझता है. वैलेंटाइंस वीक चल रहा है और ऐसे में अगर कुछ जिद और जुनून से भरी प्रेम कहानियों का जिक्र ना हो तो बेकार है. आज हम आपको एक ऐसी महिला की प्रेम कहानी के बारे में बताएंगे जिसने अपने पिता से बगावत की, दो सरहदों के बीच अपनों का बंटवारा करने को मजबूर हुईं, घर-परिवार से बेदखल हुईं लेकिन अपने प्रेम की कुर्बानी नहीं चढ़ने दी.
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की बेटी दीना जिन्ना की प्रेम कहानी कुछ ऐसी ही है. दीना मोहम्मद अली जिन्ना की इकलौती बेटी थीं. दीना को उनकी राजनीतिक विरासत और साहसिक फैसलों से ज्यादा अपने पिता से टकराव के लिए याद किया जाता है. दीना वाडिया का जन्म 15 अगस्त 1919 को हुआ था. वह मोहम्मद अली जिन्ना और रति बाई पेटिट की बेटी थीं.
स्टैनली वॉलपर्ट की पुस्तक 'जिन्ना ऑफ पाकिस्तान' के मुताबिक, "दिलचस्प संयोग था कि जिन्ना की दूसरी औलाद 'पाकिस्तान' के पैदा होने से ठीक 28 साल और एक घंटा पहले ही उनकी पहली औलाद का जन्म हुआ था."
दीना ने अपने जन्म से ही अपने माता-पिता को चौंकाना शुरू कर दिया था. जब जिन्ना और
उनकी पत्नी सिनेमा हॉल में एक फिल्म देख रहे थे उसी बीच दीना का जन्म प्रीमेच्योर
बेबी के तौर पर हुआ था. दीना बिल्कुल अपनी मां की तरह दिखती थीं.
दीना की परवरिश एक मुस्लिम की तरह ही हुई. दीना की मां जन्म से पारसी थीं लेकिन जिन्ना से शादी करने के लिए उन्होंने अपना धर्म छोड़ इस्लाम कबूल कर लिया था. जिन्ना की पत्नी की मौत के बाद जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना उनके साथ आकर रहने लगीं. जिन्ना ने फातिमा से दीना को इस्लाम की शिक्षा देने के लिए कहा.
दीना जिन्ना ने कई मौकों पर बताया था कि बुआ फातिमा से उनके रिश्ते अच्छे नहीं थे. पिता से खराब रिश्तों के लिए वह उन्हें ही दोषी ठहराती थीं. दीना की शिक्षा मुंबई और लंदन में हुई और इस दौरान बाप-बेटी मुश्किल से ही साथ वक्त गुजार पाते थे. पत्नी की मौत के बाद जिन्ना अपनी बेटी के ज्यादा करीब हो गए थे और उसका खास ख्याल रखने की कोशिश करते थे.
(Photo: NATIONAL ARCHIVES, ISLAMABAD)
दीना और उनके पिता के बीच सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन जब दीना ने
एक गैर-मुस्लिम से शादी करने की इच्छा जाहिर की तो दोनों के बीच अनबन हो गई.
दीना नेविले वाडिया नाम के एक पारसी से शादी करना चाहती थीं. जिन्ना ने
नेविले के मुस्लिम ना होने की वजह से रिश्ते के लिए ना कर दी थी. लेकिन दीना
अपने पिता से भी ज्यादा जिद्दी थीं. दीना ने अपने पिता से कहा कि
उनकी पत्नी भी एक पारसी महिला ही थीं. जिन्ना ने फिर तर्क दिया कि भले ही
यह सच है लेकिन उनकी पत्नी ने इस्लाम में धर्म परिवर्तन कर लिया था जबकि
नेविले ने नहीं किया है.
जब दीना को नेविले वाडिया से पहली बार मिलवाया गया था तो वह सिर्फ 17 साल की थी. नेविले
एक पारसी पिता और ईसाई मां की संतान थे. उनके पिता सर नेस वाडिया भारत में
मशहूर कपड़ा उद्योगपति थे, वहीं नेविले इंग्लैंड के लिवरपूल में पैदा हुए थे और
उनकी पढ़ाई मेलबर्न कॉलेज और ट्रिनिटी कॉलेज कैम्ब्रिज से हुई थी.
जिन्ना
और उनकी बेटी के बीच बहस का जिक्र जिन्ना के असिस्टेंट रहे मोहम्मदली करीम
चगला ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में कुछ इस तरह से किया है- "जिन्ना ने दीना
से पूछा कि भारत में लाखों मुस्लिम हैं, क्या यही एक शख्स तुम्हारा इंतजार
कर रहा है? तो दीना ने झट से जवाब दिया- भारत में लाखों मुस्लिम लड़कियां
थीं तो आपने मेरी मां (गैर-मुस्लिम) से ही शादी क्यों की?"
वाकई जिन्ना खुद प्रेम से अनजान शख्स नहीं थे. पहली पत्नी की मौत के
20 साल बाद उन्हें 16 साल की रति से प्रेम हुआ. दोनों की उम्र में काफी
फासला था. दोनों सिविल मैरिज करना चाहते थे और कानून के मुताबिक कोर्ट में
शादी के लिए धर्म की शपथ लेनी पड़ती.
ख्वाजा
राजी हैदर की किताब 'द स्टोरी टोल्ड ऐंड अनटोल्ड' में बताया गया है कि एक
पारसी महिला से शादी करने की वजह से जिन्ना को 'इंपीरियल लेजिसलेटिव
काउंसिल' की मुस्लिम सीट से इस्तीफा देना पड़ता इसलिए रति ने इस्लाम कबूल
कर समस्या सुलझा ली और जिन्ना से शादी कर ली.
रति के पिता सर दीनशॉ पेटिट उद्योगपति थे और उन्हें इस बात से ऐतराज था कि
उनकी इकलौती संतान किसी दूसरे धर्म के युवक से शादी करना चाहती है.
उन्होंने दोनों के मिलने पर भी पाबंदी लगा दी थी. लेकिन जैसे ही रति बालिग
हो गईं, उन्होंने अपने पिता का घर छोड़कर जिन्ना से शादी कर ली. बेटी दीना ने अपनी मां की ही तरह प्रेम की राह अपनाई और परिवार के खिलाफ बगावत कर दी.
जिन्ना ने दीना को रोकने के लिए पूरा दम लगाया लेकिन आखिरकार दीना ने
अपने पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर पारसी नेविले से शादी की. इस शादी के बाद
जिन्ना ने दीना से अपने सारे संबंध तोड़ लिए हालांकि कोई कानूनी नोटिस
जारी नहीं किया. इस शादी के बाद बाप-बेटी
के रिश्ते में दरार आ गई. दोनों एक-दूसरे को पत्र लिखते थे लेकिन यह बस एक
औपचारिकता तक ही सीमित था. अगर किसी कार्यक्रम में दोनों की मुलाकात हो जाती तो जिन्ना अपनी बेटी को व्यंग्य से 'मिसेज वाडिया' कहकर बुलाया करते थे.
कहा जाता है कि जिन्ना ने आजादी के बाद दीना को पाकिस्तान आने के लिए
कहा लेकिन दीना ने मुंबई में रह रहे अपने पति और ससुराल वालों को छोड़कर
आने से मना कर दिया. वह विभाजन के बाद भी मुंबई में ही रहीं. इस बात से
जिन्ना बहुत ज्यादा आहत हो गए. भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद दीना ने कई
बार अपने पिता से मिलने की कोशिश की लेकिन उन्हें वीजा नहीं दिया गया.
(Photo: ANI)
दीना-नेविले की शादी 5 साल बाद ही टूट गई थी. दोनों ने भले ही कभी तलाक नहीं
लिया लेकिन बाकी जिंदगी दोनों अलग-अलग ही रहे. दोनों के दो बच्चे भी हुए-
नुस्ली और डियाना. दोनों की परवरिश में धर्म कभी आड़े नहीं आया.
अपनी पूरी जिंदगी में दीना ने सिर्फ दो बार पाकिस्तान का दौरा किया. 9
सितंबर 1948 को अपने पिता के अंतिम संस्कार पर वह पहली बार पाकिस्तान
पहुंची थीं. उन्हें लियाकत अली खान ने बुलाया था. उन्हें मुंबई से कराची लाने के लिए
एक प्लेन भेजा गया था. पिता के अंतिम संस्कार के बाद दीना तुरंत मुंबई लौट
आई थीं.
(Photo: GoogleImages)
दीना दूसरी बार मार्च 2004 में लाहौर में हुए पाकिस्तान और भारत के
बीच एक क्रिकेट मैच को देखने पहुंची थीं. दीना अपने बेटे नुस्ली और पोते
नेस-जहांगीर के साथ अपने पिता के मकबरे पर भी गई थीं. कहा जाता है कि कमरे में
रखीं कई तस्वीरों की उन्होंने फोटोकॉपी करवाने के लिए कहा. इनमें उनके
पिता, उनकी मां और बुआ की तस्वीरें थीं. वह अपने पिता के घर वाजिर हवेली भी
गई थीं.
जिन्ना की इकलौती बेटी होने के बावजूद दीना को पाकिस्तान में पिता की
संपत्ति में से कुछ नहीं मिला क्योंकि उन्होंने एक गैर-मुस्लिम से शादी
करके इस्लामिक कानून तोड़ा था.
(Photo: MINISTRY OF INFORMATION, ISLAMABAD, PAKISTAN)
दीना ने हर
उस चीज के लिए लड़ाई लड़ी जिस पर वह अपना हक समझती थीं. जिन्ना ने मुंबई में एक घर बनवाया था और इसे साउथ कोर्ट नाम दिया था.
2007 में दीना ने इस घर पर अपना दावा पेश किया. दीना ने तर्क दिया कि उनके
पिता खोजा, शिया थे जिससे उनके पिता पर हिंदू कानून लागू होगा.
दीना ने अपनी मर्जी से किए फैसलों की वजह से परिवार को छोड़ा. दूसरी
तरफ, भारत में जिन्ना की बेटी होने की वजह से कई बार उन्हें अपमान सहना
पड़ता था. वहीं पिता के मुल्क पाकिस्तान में भी उन्हें भारत में रुकने की
वजह से एक गद्दार कहा जाता था. दीना ने अपनी पूरी जिंदगी दो सरहदों के बीच
में चिथड़ी हुई पाई. 2 नवंबर 2017 को 98 साल की उम्र में दीना का निधन हो गया था.