कैंसर से बचाव के लिए एक बिल्कुल नयी उपचार पद्धति हाजिर है. जी हां, शादीशुदा होना भी कैंसर जैसी भंयकर बीमारी से निजात दिलाने में कारगर उपाय हो सकता है.
बाल्टिमोर में स्टीवर्ट ग्रीननीबम कैंसर सेंटर और मेरीलैंड मारलीन विश्वविद्यालय के एक शोध के मुताबिक फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे विवाहित मरीजों के लंबे समय तक बचने की उम्मीद होती है, बनिस्पत उनके जो अविवाहित होते हैं. प्रोस्टेट, मस्तिष्क और गला समेत अन्य कैंसर में भी शादी का फायदा ही मिलता है.
अध्ययनकर्ताओं ने फेफड़े के कैंसर का एक सामान्य रूप तीसरे चरण के नॉन स्माल सेल लंग कैंसर के 168 मरीजों का अध्ययन किया. इन मरीजों का 10 साल से कीमोथरेपी और विकिरण से इलाज चल रहा था.
उन्होंने पाया कि 10 फीसदी अविवाहित मरीजों की तुलना में 33 फीसदी विवाहित मरीज तीन साल बाद भी जीवित रहे और इसमें भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अच्छे नतीजे देखने को मिले.
विवाहित महिला में तीन साल तक जीवित रहने की दर 46 प्रतिशत रही जबकि अविवाहित लोगों में केवल तीन प्रतिशत ही रहा.
अध्ययनकर्ता एलिजाबेथ निकोलस ने कहा कि वैवाहिक स्थिति मरीजों के बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. इसका कारण तो अभी नहीं पता, लेकिन सामाजिक मदद एक कारण हो सकता है जिससे जीने का हौसला बढ़ता हो.