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...क्योंकि दफ्तर का हर मर्द 'भेड़‍िया' नहीं होता

ऐसा नहीं है कि केवल कामकाजी महिलाओं को ही ऑफिस में कभी-कभी असहज स्थ‍िति का सामना करना पड़ता है. कई बार मर्दों के सामने भी आफतें बिन बुलाए आ खड़ी होती हैं. महिला सहकर्मियों के साथ काम करते हुए उन्हें कई बार 'गलत' समझ लिया जाता है, जबकि उनका इरादा ऐसा कतई नहीं होता.

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ऐसा नहीं है कि केवल कामकाजी महिलाओं को ही ऑफिस में कभी-कभी असहज स्थ‍िति का सामना करना पड़ता है. कई बार मर्दों के सामने भी आफतें बिन बुलाए आ खड़ी होती हैं. महिला सहकर्मियों के साथ काम करते हुए उन्हें कई बार 'गलत' समझ लिया जाता है, जबकि उनका इरादा ऐसा कतई नहीं होता.

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ऐसी ही 7 स्थ‍ितियां यहां दी जा रही हैं, जब मर्दों को महिलाओं के सामने गाहे-बगाहे तकलीफ उठानी पड़ जाती है. ऐसा हर बार हो, यह भी जरूरी नहीं.

1. चाय के लिए ही पूछा है, 'डेट' के लिए नहीं
ऑफिस में जब पुरुष किसी महिला सहकर्मी से चाय के लिए पूछे, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह चाय के बहाने उससे आगे डेट पर मिलने की बात करने वाला है. काम करते हुए चाय या कॉफी की तलब होना आम बात है और श‍िष्टाचार के नाते महिला सहकर्मी से भी इसके लिए पूछना कहीं से भी गलत संकेत नहीं है.

2. चेहरा निहारने और घूरने में फर्क है
बातें करते हुए किसी का चेहरा देखना एकदम स्वाभाविक बात है. कई बार बालों या इसमें सजी किसी चीज की ओर भी ध्यान जा सकता है. ऐसे में अगर कोई पुरुष किसी महिला के चेहरे पर गौर करे, तो यह नहीं माना जा सकता है कि वह जानबूझकर 'घूर' रहा है.

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3. सलीके से ड्रेस पहनी है, तो तारीफ होगी ही
कई बार ऑफिस में कोई मह‍िला सलीके के साथ ड्रेस पहनकर आती है, जो सबको अच्छा लगता है. ऐसे में किसी के भी मुंह से यह निकल सकता है, 'आज आप बेहद खूबसूरत लग रही हैं', 'आप तो एकदम कहर ढा रही हैं'. कई बार आज के जमाने के हिसाब से यह भी कह जाते हैं, 'आज तो आप कातिल लग रही हैं'. इन सारी बातों से केवल इतना ही झलकता है कि आपकी ड्रेस अच्छी लग रही है. इससे ज्यादा मतलब निकालना बेकार की कवायद है.

4. प्यार से बोलने और 'इश्क वाला लव' में फर्क है
कई बार पुरुष किसी महिला सहकर्मी से मीठे स्वर में बातें करते हैं. प्यार से बातें करने और 'इश्क वाला लव' में फर्क है. महिलाओं में इस अंतर को पहचानने का विवेक होना चाहिए.

5. घर पर फोन करने का मतलब...
अगर कोई महिला घर पर हो और कोई सहकर्मी उससे मोबाइल पर बातें करता है या मैसेज करता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है, बशर्ते बातचीत का टॉपिक सीधा-सादा हो.

6. 'ब्वायफ्रेंड है या नहीं'...
अगर कोई महिला सहकर्मी से यह पूछ बैठे कि आपका ब्वायफ्रेंड है या नहीं, तो इससे यह अर्थ नहीं निकालता है कि वह दोस्ती गांठने या रिश्ता जोड़ने के लिए ऐसा पूछ रहा है. यह एक स्वाभाविक जिज्ञासा भी हो सकती है.

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7. हर पुरुष आपके प्रति कामुक ही नहीं
कई बार महिलाएं पुरुषों से सिर्फ इसी बात से दूरी बनाकर चलती हैं कि कहीं वह पुरुष आपके प्रति कामुक तो नहीं हो रहा है. महिलाओं का शक उन पुरुषों की ओर ज्यादा होता है, जो बोलचाल में केवल हिंदी का ही इस्तेमाल करते हैं. यहां समझना होगा कि संभलकर रहना एक बात है और सिर्फ शक के आधार पर पुरुषों से हमेशा कटे-कटे रहना अलग बात‍ है...क्योंकि दफ्तर का हर मर्द भेड़‍िया नहीं होता.

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