वैवाहिक जीवन में नीरसता, क्लेश या फिर जिंदगी में गरमाहट लाने के लिए पति-पत्नी वैवाहिक जीवन की देहरी लांघने के लिए तैयार हैं. जीवन में कुछ नया पाने की तलाश उन्हें ऐसी वेबसाइट्स पर ले जा रही हैं, जहां वे अपने सीधे-सादे जीवन में कुछ रोमांच पैदा कर सकें . हाल ही में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नै, हैदराबाद और दूसरे छोटे शहरों के 65,000 सदस्यों वाले एशले मैडिसन (बेवफाई से जुड़ी नई वेबसाइट एशले मैडिसन इंडिया) ने भारत में विवाहेतर संबंधों पर कराए गए सर्वे में पाया कि शादीशुदा 87 फीसदी महिलाओं और 81 फीसदी पुरुषों ने अवैध संबंध रखने का दावा किया है. सिर्फ 81 फीसदी पुरुष अपने संबंधों को गुप्त रख पाए थे, जबकि 92 फीसदी महिलाएं अपने संबंध गुप्त रख रही थीं. सर्वे में पाया गया कि 76 फीसदी विवाहित महिलाएं इसे अनैतिक नहीं मानतीं और 47 फीसदी संबंध कारोबारी दौरों पर हुए. 62.3 फीसदी पुरुषों और 51.8 फीसदी महिलाओं के विवाहेतर संबंध उनके वर्कप्लेस पर बने.
नैतिकता से आगे की बात
एशले मैडिसन के यूरोपीय कम्युनिकेशन डायरेक्टर क्रिस्टोफर क्रेमर कहते हैं, 'जो लोग शादीशुदा जिंदगी में रहने के बावजूद विवाहेतर संबंध बनाए रखते हैं, उनकी संख्या करीब 95 फीसदी है. जाहिर है, इसके लिए एक विशाल बाजार है.' वे कहते हैं कि कंपनी जिन देशों में काम कर रही है, वहां नैतिकता की बात को कोई तवज्जो नहीं देती है. जहां अवैध संबंध कोई नई बात नहीं है और कुछ शादीशुदा लोग अविवाहित होने का स्वांग रचकर मैट्रीमोनियल या डेटिंग साइटों पर अपना प्रोफाइल दर्ज कराते हुए पाए गए हैं, वहीं एशले मैडिसन ऐसी पहली साइट है जो खुलेआम इस तरह के संबंधों को स्वीकार करती है. उसका नारा है—'चार दिन की जिंदगी है. संबंध बना लो.' सीधा कहें तो यह एक ऐसा मंच है जो वैवाहिक संबंधों में बंधकर नहीं रहना चाहते हैं.
अपने-अपने सुख
ऑनलाइन स्पेस अब ऐसा मंच मालूम होता है जहां सामाजिक वर्जनाएं, जो परंपरागत भारतीय विवाहों को संचालित करती हैं, टूटने की बजाए उलटा रास्ता अपना रही हैं. अवैध संबंध उन लोगों के लिए सुकून का एक विकल्प है, जो शादी के बंधन में खुद को कैद पाते हैं और शादी उन्हें किसी दूसरे के साथ सेक्स का आनंद लेने से रोकती है. साड़ी पहनने वाली बेंगलुरु की 36 वर्षीया सेनोरीटा14, जो कहती हैं कि वे जैसी दिखती हैं, वैसी नहीं हैं, स्वीकार करती हैं कि उनका अपना एक गुप्त आशियाना है. वे औरतों को पसंद करने वाली महिला के तौर पर खुद को वेबसाइट पर पेश करती हैं. वे 'प्रबल’ और 'जोशीला सेक्स’ पसंद करती हैं. वे अपनी इस इच्छा को अपने पति के सामने व्यक्त नहीं कर पातीं. एशले मैडिसन के मुताबिक, भारत में ऑनलाइन साथी के रूप में किसी महिला की तलाश करने वाली शादीशुदा महिलाओं और साथी के रूप में किसी पुरुष की तलाश करने वाले शादीशुदा पुरुषों का प्रतिशत क्रमश: 9 और 6 फीसदी है, जबकि दुनिया में यह औसत 4 फीसदी है. मुंबई की 36 वर्षीया विवाहित महिला पिक्स28एफ ''टु माइ हस्बेंड्स वर्ल्ड” पर आवेदन करने वालों का स्वागत करती हैं. वे अपने 'मास्टर’ पति के लिए किसी महिला पार्टनर की तलाश कर रही हैं, जो उन्हें ज्यादा जोशीला, रोमेंटिक और लंबे समय तक टिकने का तरीका सिखा सके.
रोमांच की चाहत
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से जुड़ी कपल थेरेपिस्ट चेतना दुग्गल ऐसे नए तरीकों का अध्ययन कर रही हैं, जिनमें शादीशुदा जीवनसाथी अपने संबंधों को तय कर सकें. वे कहती हैं, जहां कुछ लोग अवैध संबंधों की घटनाओं का इस्तेमाल अपने वैवाहिक जीवन को पटरी पर लाने में करते हैं, वहीं कुछ लोग इसका इस्तेमाल शादी में खुलेपन के लिए करते हैं या अलग होने के लिए करते हैं. पुरुष अपनी पसंद की महिला, जो बिना किसी हिचक के उन्हें यह बता सकती है कि उसे क्या चाहिए, को पाकर खुश हो जाते हैं और संदेशों की झड़ी लगा देते हैं. जाहिर है, सामाजिक वर्जनाओं से मुक्त मंच ऐसे लोगों के लिए सुरक्षित घर बनता जा रहा है. इन साइट्स पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आपका एक ही जाति, सामाजिक बिरादरी, वर्ग या पेशे का होना जरूरी नहीं है. कोई भी आपका साथ दे सकता है. इस तरह की मुलाकातों में बिला शक एक तरह का रोमांच छिपा है. आप अचानक बनने वाले संबंधों में शायद सच्चे रोमांस का सुख प्राप्त कर सकते है.