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'सर्विक्स कैंसर' की जांच के लिए देश में ही सस्ती डिवाइस तैयार

एक से ज्‍यादा सेक्स पार्टनर, कम उम्र में शादी, अनहाइजीनिक कंडीशन- ये कुछ ऐसे कारण हैं, जिसके चलते देश में सर्विक्स कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले यह कैंसर गांव की महिलाओं में ज्यादा देखा जाता था, पर आजकल महानगरों की जीवनशैली में भी इस बीमारी की घुसपैठ बढ़ चुकी है.

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एक से ज्‍यादा सेक्स पार्टनर, कम उम्र में शादी, अनहाइजीनिक कंडीशन- ये कुछ ऐसे कारण हैं, जिसके चलते देश में सर्विक्स कैंसर (Cervix Cancer) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले यह कैंसर गांव की महिलाओं में ज्यादा देखा जाता था, पर आजकल महानगरों की जीवनशैली में भी इस बीमारी की घुसपैठ बढ़ चुकी है.

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दरअसल सेक्स के दायरे में बदलाव, कम उम्र की लड़कियों का सेक्‍स के प्रति झुकाव इस कैंसर को तेजी से बढ़ा रहा है. आपको बता दें कि देश में हर साल लगभग 74 हजार महिलाएं सर्विक्स कैंसर के कारण मौत का शिकार बन जाती हैं. हर साल देश में एक लाख 32 हजार के करीब सर्विक्स कैंसर के नए मामले सामने आते हैं. चिंता की बात यह है कि 17-18 साल की लड़कियों में प्री-सर्विक्स कैंसर के लक्षण देखने को मिल रहे हैं.

ऐसे में देश में पहली बार एक ऐसी डिवाइस बनाई गई है, जिससे बड़ी आसानी से प्री-सर्विक्स कैंसर के लक्षणों को पहचान कर उसका इलाज शुरू किया जा सकता है. अहम बात यह है कि इस डिवाइस की विश्वसनीयता का स्तर 95 फीसदी के करीब है. यहां यह जानना भी जरूरी है कि यदि इस कैंसर की पहचान शुरू में ही हो जाए, तो इसे 99-100 फीसदी तक ठीक किया जा सकता है. कैंसर की शुरुआत होने के बाद इसे पूरी तरह से विकसित होने में 10 साल तक का समय लगता है.

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हेल्थ मिनिस्टर गुलाम नबी आजाद ने इस डिवाइस को सोमवार को लॉन्‍च किया है, जिसका नाम रखा गया है एवी मैग्‍नीविजुअलाइजर. इसे इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च की टीम ने तैयार किया है. अच्छी बात यह है कि बैटरी से चलने वाली इस डिवाइस का इस्तेमाल करने के लिए किसी भी लैब या अनुभवी डॉक्टर की जरूरत नहीं होती है. पैरामेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग देकर भी इस डिवाइज का इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है.

इसके मैग्‍नीफाइंग ग्लास की मदद से लड़कियों, महिलाओं की जांच के दौरान उनमें प्री-कैंसर लक्षणों को पहचाना जा सकता है. इस डिवाइस की सबसे खास बात है इसकी कीमत, जो 10 हजार रुपये के आसपास है. इससे टेस्ट की कीमत 22 से 23 रुपये के बीच आएगी.

उम्मीद है कि आने वाले कुछ महीनों में इसे देश के बड़े अस्पतालों से लेकर प्राइमरी सेंटर तक में लॉन्‍च किया जाएगा. अभी तक सर्विक्स कैंसर की जांच के लिए पेप्समेयर जांच तकनीक उपलब्ध है, लेकिन इसके लिए लैब के साथ-साथ अनुभवी हाथों की भी जरूरत होती है.

उम्मीद की जा रही है कि इस डिवाइस के आने से कम उम्र में लड़कियों और महिलाओं में आसानी से टेस्ट हो सकेगा और वो सर्विक्स कैंसर के खतरे को समय पर पहचान कर इलाज शुरू कर सकेंगी.

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