पुराने तौर तरीकों वाली लेकिन एक स्वस्थ और खुशहाल रिलेशनशिप पर टेक्नोलॉजी का खतरा मंडरा रहा है. मनोविज्ञान पर रिसर्च करने वाली एक संस्था ने हाल ही में लव लाइफ और दोस्ती पर टेक्नोलॉजी के प्रभाव का आकलन किया है.
कई जोड़ों के लिए टेक्नोलॉजी दोधारी तलवार की है. अब 'उसका' और 'उसकी' टॉवेल स्मार्टफोन के जरिए रिप्लेस हो रहे हैं और यह उन्हें दिन भर एक दूसरे से जोड़े रखता है. चाहे शॉपिंग लिस्ट शेयर करनी हो या दिल के आकार का इमोजी. हालांकि इन जोड़ों के जीवन में तब परेशानी शुरू हो जाती है, जब एक व्यक्ति डिनर के समय सेलफोन यूज करने लगता है या बेड पर जाने से पहले आईपैड से चिपक जाता है.
पिछले महीने इंटरनेशनल जर्नल ऑफ न्यूरोसाइकोथेरेपी ने यह अध्ययन प्रकाशित किया. उदाहरण के लिए रिलेशनशिप में जब एक व्यक्ति दूसरे से ज्यादा टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है, तो दूसरा खुद को उपेक्षित और असुरक्षित महसूस करता है. या आपका थेरेपिस्ट कह सकता है कि यह अकेलेपन से जुड़े बहुत सारे मसलों की वजह बनता है.
ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ साइकोलॉजी में वरिष्ठ शोधकर्ता क्रिस्टिना लेगेट कहती हैं, 'पार्टनर की मौजूदगी में टेक्नोलॉजी का उपयोग करना जुड़ाव के बजाय, अलगाव को जन्म देता है.' संस्थान के प्रोफेसर पीटर. जे रोसोवो के साथ मिलकर अध्ययन लिखने वाली क्रिस्टीना के मुताबिक रिलेशनशिप में अलगाव की भावना असंतोष और समझौते की शक्ल में आती है और व्यक्तिगत रूप से सुरक्षा, जुड़ाव और नियंत्रण को प्रभावित करती है.
इसी साल प्रकाशित हुई इस रिसर्च में प्यू रिसर्च ने पाया कि 25 प्रतिशत सेलफोन यूजर मानते हैं कि एक साथ होने पर सेलफोन के उपयोग से उनके पार्टनर का ध्यान भटकता है. इसके साथ ही 8 प्रतिशत का कहना है कि वे आपस में इस बात पर बहस करते हैं कि कौन, कितना टाइम ऑनलाइन खर्च करता है.
2013 में ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने एक शोध में कहा था कि रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े में से किसी एक का बहुत ज्यादा मैसेज करना दूसरे में असंतोष की भावना को जन्म देता है. इसके साथ ही इन मामलों में 'सॉरी' कहना मामले को और उलझा देता है.
इसके अलावा 2012 में बेलोर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भी पाया कि सेलफोन से ज्यादा चिपकना व्यक्ति के दोस्तों और रिश्तेदारों से रिश्तों को बर्बाद कर सकता है.
टेक्नोलॉजी और रिश्ते में बैलेंस बनाने के लिए रिसर्चरों का सुझाव है कि आउटिंग को डिवाइस फ्री रखें. वीकएंड पर जाए, तो सेलफोन साथ ना रखें या फिर उसे घर रख कर जाएं.
डॉ. रोसोवो कहते हैं कि घर पर भी बेडरूम में टेक्नोलॉजी को ना घुसेड़े. वे कहते हैं कि घर पर रहकर काम करने वाले जोड़ों को, तो इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए. इसके साथ बेहद कड़ाई से घर में टेक्नोलॉजी की सीमा निर्धारित करनी चाहिए.