दुनिया में जितने तरह के खेल हैं, उनमें ज्यादातर में खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंद्वी को जल्दी से जल्दी शिकस्त देने को आतुर रहता है. लेकिन जहां तक 'कामक्रीडा' की बात है, इस गेम का मन-मिजाज कुछ अलग तरह का है.
सेक्स संबंध बनाते वक्त जोड़े एक-दूसरे को भरपूर वक्त देना चाहते हैं और खुद भी खेल में लंबे वक्त तक टिके रहना चाहते हैं. यहां एक-दूसरे से जीतना मकसद नहीं होता है, बल्कि एक-दूसरे को बराबर आनंद का एहसास कराना लक्ष्य होता है. यही वजह है कि इसे 'संभोग' नाम दिया गया है, जिसका शाब्दिक मतलब है 'समान रूप से भोग'.
कई बार जोड़े जरूरी जानकारी के अभाव में 'चरम सुख' लेने से वंचित रह जाते हैं. कुछ सावधानियां बरतकर इस गेम को ज्यादा आनंददायक बनाया जा सकता है.
सबसे जरूरी शर्त है धीरज. अगर पैसेंस से काम लिया जाए, तभी इस खेल में टिका जा सकता है. ज्यादा उतावलापन दिखाना पूरा मजा किरकिरा करने के लिए काफी है...फिर दोनों का मूड खराब.
'फोरप्ले' (Foreplay) के सही इस्तेमाल से इस खेल का पूरा-पूरा मजा लिया जा सकता है. इसमें आलिंगन, चुंबन और अपने पार्टनर के संवेदनशील अंगों को सहलाना आदि शामिल है. इसके बाद ही कोई स्त्री शारीरिक और मानसिक तौर पर सेक्स संबंध बनाने के लिए ठीक से तैयार हो पाती है. बिना 'फोरप्ले' के बनाया गया संबंध न केवल कष्टदायक होता है, बल्कि इस 'क्रीड़ा' के 'बुनयादी नियमों' के उल्लंघन जैसा ही है.
एक और खास बात. अगर सेक्स संबंध सही तरीके से और एकदम आनंददायक तरीके से बनाया जाए, तो आगे भी इसकी तलब बनी रहती है. अगर बार-बार जल्दबाजी में मजा किरकिरा हो जाए, तो आगे इसमें अरुचि की समस्या हो सकती है. वैसे इस बारे में कोई भी जानकारी प्रामाणिक स्रोतों (Authentic Sources) से लेना बेहतर है. जरूरी होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.