वैसे तो जहां प्रेम होता है वहां स्वार्थ और अहंकार जैसी भावनाओं के लिए कोई जगह नहीं होती लेकिन कई बार हमें अपने जीवन में पार्टनर को इस कदर शामिल करते हैं कि हमें अपनी ही सुध नहीं रहती है. लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि प्यार बेशक पार्टनर से बहुत है लेकिन कुछ मामलों में प्राथमिकता खुद को देने में कोई बुराई नहीं है.
स्वयं से प्रेम करना सीखिए-
अगर आप अपनी समस्याओं में उलझी रहेंगी तो किसी और को कैसे खुश रख पाएंगी. बेहतर होगा कि पहले आप अपनी परेशानियों का हल निकाल लें और खुश रहें. इससे दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा.
ना कहना सीखें-
मर्जी हमेशा अपनी होनी चाहिए. इससे आपके अंदर किसी भी तरह की ग्लानि नहीं रह जाती है. कई बार होता है कि हम कुछ काम पार्टनर के दबाव में आकर कर लेते हैं लेकिन इससे हमारे अंतर्मन को चोट पहुंचती है.
करियर पर दें ध्यान-
प्यार मोहब्बत अपनी जगह है तो करियर अपनी जगह. दोनों को मिक्स करने की कोशिश करेंगी तो बाद में पछताने के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा. इसलिए प्यार करिए, ख्याल रखिए लेकिन करियर के लिए फोकस्ड रहिए.
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खुद को समय दें-
कई बार हम बिना वजह ही उलझन और तनाव से ग्रस्त हो जाते हैं. स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है, किसी से बात करने का मन नहीं करता है. ऐसे में अगर थोड़ी फुरसत में बैठकर खुद से बातें करने का मन हो तो मत चूकिए. पूरा समय लीजिए.
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नजरिया उधार मत लीजिए-
दुनिया को अपनी तरह से देखना शुरू कीजिए. किसी से अगर किसी की नहीं बनती को जरूरी नहीं है कि वो इंसान बुरा है. उसके बारे में धारणा बनाने के बजाय फैसला अपने अनुभव के आधार पर करें. यकीनन आपका अनुभव अलग होगा. हो सकता है अच्छा भी हो.