एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि ऑफिस जाने वाली महिलाओं को ऐसे पुरुषों के मुकाबले ज्यादा तनाव होता है, जो ऑफिस जाते हैं.
ज्यादा तनाव लेने के कारण उनमें डिप्रेशन का खतरा भी पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होता है.
अध्ययन की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि करियर में महिलाएं जैसे-जैसे आगे बढ़ती हैं उनमें डिप्रेशन का खतरा उतना ही ज्यादा होता चला जाता है.
शोध के दौरान यह भी पाया गया कि पति से ज्यादा सैलरी पाने वाली महिलाओं में इसकी आशंका सबसे ज्यादा होती है.
इस अध्ययन को अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉइस के शोधकर्ताओं ने किया है.
शोधकर्ताओं के अनुसार परिवार को सबसे ज्यादा वित्तीय मदद कौन कर रहा है और इसका उनके मनोविज्ञान पर भी असर होता है.
अध्ययन में पाया गया कि अपने परिवार के दूसरे सदस्यों के मुकाबले महिलाओं की आय जैसे-जैसे बढ़ती है, उनमें डिप्रेशन के लक्षण आने लग जाते हैं.
शोधकर्ता करेन क्रामर और सुजिन पाक ने पाया कि दूसरी ओर आय में बढ़ोतरी के साथ पुरुषों का ना केवल जीवनस्तर सुधरता है, बल्कि उनकी मानसिक सेहत पर भी इसका सकारात्मक असर होता है.
इस अध्ययन में 1463 पुरुषों और 1769 महिलाओं को शामिल किया गया और उनके मनोविज्ञान और मानसिक सेहत की जांच की गई.
अध्ययन की रिपोर्ट में दावा किया गया कि जब एक महिला अपने बच्चों की देखभाल और परिवार के लिए छुट्टी लेकर घर पर रहने लगती है तो उसकी मानसिक सेहत पर इसका कोई खास नकारात्मक असर नहीं दिखता. लेकिन इसके विपरीत पुरुष जब बच्चों की देखभाल के लिए घर पर रुकते हैं तो उनकी मानसिक सेहत पर इसका असर देखने को मिलता है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के दौरान महिलाओं और पुरुषों में नौकरी और घर की जिम्मेदारियों और उनकी वजह से होने वाले अवसाद में अंतर नजर आया.
बच्चों या घर की देखरेख के लिए काम छोड़ने वाले पुरुषों में जहां डिप्रेशन का स्तर ज्यादा पाया गया, वहीं महिलाओं के मानसिक सेहत पर इसका कोई खास असर नहीं देखा गया.