जवानी के दिनों में ऐसा मौका लगभग सभी की जिंदगी में आता है, जब प्यार में खोया इंसान एक फूल की पंखुड़ियां लेकर ‘लव्ज मी, लव्ज मी नॉट’ पहेली को बड़बड़ाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि उसे लगता है कि फूल की पंखुड़ियां उसके प्यार का निर्णय कर देंगी. लेकिन जिंदगी में आगे बढ़ने पर भी इंसान अपने पार्टनर के बारे में कई बार सोचता है कि वो मुझे प्यार करता भी है या नहीं. अगर ऐसा है तो समझ लीजिए उस व्यक्ति को रिलेशनशिप ऑबेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर (आरओसीडी) है और यह उस व्यक्ति की सेक्स लाइफ के लिए बेहद खतरनाक है.
ऐसे लोग जिन्हें ये चिंता सताती रहती है कि उनका पार्टनर उनसे प्यार करता भी या नहीं और क्या वे अपने पार्टनर से अब भी प्यार करते हैं असल में अपने लिए खतरा मोल ले रहे हैं. क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार इस तरह की सोच उनकी सेक्स लाइफ को पूरी तरह से खराब कर सकती है.
आरओसीडी के लक्षणों को अकसर डॉक्टर (फैमिली एंड कपल थैरेपिस्ट) भी नजरअंदाज कर देते हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग अपने पार्टनर को लेकर असमंजस की स्थिति में रहते हैं और सोचते हैं कि उनका रिश्ता ठीक से चल भी रहा है या नहीं, असल में वे साधारण असुरक्षा की भावना से ग्रसित हैं. लेकिन जब यही चिंताएं उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डालने लगती हैं, उनके काम करने की क्षमताओं पर असर डालने लगती हैं तो इसे आरओसीडी कहा जाता है.
यह स्टडी जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन में छपी है.