मां,
आपको पता है लोग कहते हैं मैं बिल्कुल आपके जैसी दिखाई देती हूं. आप जितनी लंबी नहीं हूं लेकिन चेहरा, आंखें, रंग सबकुछ आपके जैसा है. पर कभी आपकी फोटो उठाकर आंख, नाक, रंग नहीं मिलाया. आपकी फोटो देखने पर आपके नहीं होने का दर्द बढ़ जाता है. बहुत बार आपकी कमी ने रुलाया है.
झूठ नहीं बोलूंगी आपके नहीं होने पर जितना दुख होता है, उतना ही गुस्सा भी आता है. बहुत ज्यादा गुस्सा...पीजी में मेरे साथ आठ लड़कियां रहती थीं. उनके लिए घर जाना किसी सेलिब्रेशन की तरह होता था. मुझे घर जाना अच्छा लगता था लेकिन मैं उनके जैसे पागल नहीं होती थी. उनके पास बहुत सी वजहें होती थीं और मेरे पास सिर्फ इतनी कि बाकी घरवालों से मिलना है. वो कहती थीं कि इस बार घर जाकर खूब सोएंगे, मम्मी से दही-बड़े बनवाकर खाएंगे. लड्डू बनवाकर लाएंगे...ये खाएंगे, वो खाएंगे. बाल में तेल लगवाएंगे और पता नहीं क्या-क्या.
जब वो घर जाती थीं तो एक बैग में गंदे कपड़े ठूंसकर ले जाती थीं. कहती थीं कि मम्मी धो देंगी. जब घर से लौटती थीं तो उनका वो एक बैग तीन-चार छोटे-छोटे बैग में बदल जाता था. एक में दाल, चावल, आटा और जरूरत का सारा सामान होता था. एक में खाने-पीने की वो चीजें जो उनकी पसंदीदा होती थीं और एक में उनके धुले हुए कपड़ों के साथ एक-दो नए कपड़े. जिस दिन वो लौटती थीं, उस रात वो मुझे अपने कमरे में बुलाती थीं. सामान दिखाती थीं और खाने-पीने की चीजें देती थीं. मुझे अच्छा लगता था लेकिन मन ही मन मुझे उनसे बहुत जलन होती थी. बहुत ज्यादा. अपनी कमतरी का एहसास होता था.
उस दिन भी बहुत बुरा लगा जब मैं जिंदगी की नई शुरुआत करने जा रही थी. सब खड़े थे मेरे साथ लेकिन आप नहीं थीं. सब कह रहे थे मैं बहुत सुंदर दिख रही हूं, मैं ये बात आपसे सुनना चाहती थी. चाहती थी मेरी हर रस्म आपके हाथ से हो पर ऐसा नहीं हुआ. बहुत रोई मैं उस दिन. और कभी-कभी आपके बारे में कल्पनाएं कर-करके ही खुश हो जाती. उस दिन लगा वाकई एक बेटी की जिंदगी में बहुत से ऐसे मौके आते हैं जब उसे सिर्फ अपनी मां चाहिए होती है और सिर्फ वही चाहिए होती है. अब मेरा अपना एक छोटा सा घर है जिसे मैं बहुत जतन से रखती हूं. जैसे आप रखती थीं. आपसे बहुत कुछ सीखा लेकिन खाना बनाना नहीं सीखा और इसका खामियाजा अब भुगत रही हूं. यू-ट्यूब पर देखकर खाना बनाती हूं या फिर मोबाइल पर पूछ-पूछकर.
आपसे ऐसी ढेरों छोटी-बड़ी शिकायतें हैं लेकिन मैं खुश हूं कि आपने मुझे कभी 'फूल-कुमारी' की तरह ट्रीट नहीं किया. मजबूत बनाया. हर वो काम सिखाया जिसके बिना सर्वाइव करना मुश्किल हो जाता और सबसे बड़ी बात खुद पर भरोसा करना सिखाया. मैं करती हूं. एक मां अपने बच्चों को बहुत कुछ सिखाती है, जिंदगीभर सिखाती रहती है लेकिन जो सबसे जरूरी चीज सिखाती है वो है विश्वास करना. खुद पर और उन पर जो वाकई उसके लिए हों. आपने कम समय में ही मुझे ये सिखा दिया. आप होतीं तो मैं और भी बहुत कुछ सीख जाती. सबकुछ और अच्छा होता...पर आपका नहीं होकर भी होना ही मेरी स्ट्रेंथ है. थैंक्यू इतना सबकुछ देने के लिए...हैप्पी मदर्स डे मम्मी.
और हां...मैं रोज शाम को एक गिलास दूध पीती हूं. जैसा कि आपने नियम बनाया था लेकिन मैं अब भी उतनी ही दुबली-पतली हूं...जितना आप छोड़कर गई थीं.
आपकी बेटा...