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शादीशुदा नहीं सिंगल रहने में है आपकी भलाई...

शादीशुदा लोगों को आपने अक्सर कहते सुना होगा कि बैचलर लाइफ या फिर सिंगल ही अच्छे थे और अब इस बात को साइंस ने साबित कर दिया है कि सिंगल लोगों की लाइफ मैरिड लोगों से ज्यादा अच्छी होती है...

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सिंगल लोग रहते हैं ज्यादा खुश
सिंगल लोग रहते हैं ज्यादा खुश

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कई बार सुनने को मिलता है कि शादी का लड्डू जो खाए वो भी पछताए और जो न खाए वो भी तो क्यों न खाकर ही पछताया जाए. अगर आप भी शादी के बारमें ये ख्याल रखते हैं तो हाल में हुई यह स्टडी आपकी सोच बदल सकती है.

हाल ही में एक खोज की गई है जिसमें सिंगल लोगों के बारे कई तरह की बातों को गलत ठहरा दिया है. सिंगल रहने के साथ कई बातें जुड़ी हुई होती हैं जैसे, तनाव और अर्थपूर्ण और पूर्ण जीवन न जीना, साथी पाने के लिए उत्सुक रहना आदि. कई सालों से सिंगल लोग, लोगों की इस विचारधारा को बदलने की कोशिश करने में लगे हुए हैं लेकिन दुनिया सबूत मांगनी है और साइंस ने इस बात को अपनी स्टडी में प्रूफ कर दिया है.

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इस अध्ययन के मुताबिक शादीशुदा जीवन का आनंद केवल हनीमून तक ही सीमित रहता है. स्वाभाविक तौर से नए शादीशुदा जोड़े शादी से पहले की तुलना में अधिक खुश होने का दावा करते हैं लेकिन जब एक-दूसरे के प्रति अच्छे होने की बात आती है तो लोग खुशी या गम के उसी स्तर पर पहुंच जाते हैं जहां वे शादी से पहले थे.

दूसरी तरफ शादीशुदा लोगों की तुलना में सिंगल लोगों के दोस्त ज्यादा होते हैं. ये सामाजिक संबंधों से अच्छी तरह जुड़े होते हैं और अपने मित्रों, परिवार और सहकर्मियों के ऊपर खर्च भी करते हैं. अभी तक ये धारणा थी कि सिंगल लोग स्वार्थी होते हैं और वे कोई भी जिम्मेदारी लेने से डरते हैं. शोध से पता चला है कि सिंगल लोग समाज में सार्थक योगदान देते हैं और ये लोग ऐसी गतिविधियों में बिजी रहते हैं जिससे बहुत सारे लोगों को लाभ पहुंचता है.

सिंगल लोगों के बारे में एक और सोच लोगों के बीच फैली हुई है कि वह हमेशा दूसरे का साथ ढूंढने की कोशिश करते रहते हैं. खासकर अकेली लड़की या महिला के लिए तो ये बात पर्याय बनने लगती है. शायद आप विश्वास नहीं करेंगे कि वास्तव में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपनी इच्छा से अकेले हैं. जी हां, ऐसे लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है.

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शादी करने का निर्णय अपने कौशल और व्यक्तित्व पर आधारित होना चाहिए न कि इस विचार पर कि अकेले रहने से अच्छा है कि शादी कर ली जाए. अब तो इस बात को साइंस ने भी मान लिया है तो क्या लोगों की सोच भी बदल जाएगी?

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