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Parenting mistakes: भारतीय पैरेंट्स की ये गलतियां भाई-बहन को बना देती हैं दुश्मन

दुनिया में हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चों के बीच हमेशा प्यार रहे और वो हमेशा सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ निभाएं। लेकिन कई बार मां-बाप पैरेंटिंग के दौरान ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिनकी वजह से उनके बच्चों के मन में अपने भाई और बहन के लिए जलन पैदा होने लगती है और वो बढ़े होते-होते एक दूसरे से काफी दूर हो जाते हैं।

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पैरेटिंग की गलतियां बच्चों में बढ़ाती हैं दूरियां
पैरेटिंग की गलतियां बच्चों में बढ़ाती हैं दूरियां

भाई-बहन का रिश्ता बेहद खास और अनोखा होता है. वो लड़ते भी हैं और एक-दूसरे से प्यार भी करते हैं. दुनिया में शायद ही ऐसे भाई-बहन होंगे जिनके बीच कभी नोक-झोंक ना हुई हो. बचपन से लेकर टीनएजर तक भाई-बहनों के बीच अक्सर छोटी-छोटी बातों पर लड़ाइयां होना आम बात है. हालांकि, हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चों के बीच प्यार हो और उनकी कोशिश भी होती है कि उनके बच्चे जिंदगी भर एक-साथ जुड़े रहें. लेकिन कई बार मां-बाप की छोटी सी भूल बच्चों के दिलों में एक-दूसरे के लिए नफरत भर देती हैं जो समय के साथ बढ़ती जाती है. इस खबर में हम बताएंगे कि ऐसी कौन सी वो गलतियां हैं जिनकी वजह से सगे भाई-बहनों के बीच मुकाबले की स्थिति पैदा होती है और वो एक-दूसरे को अपना दुश्मन तक मानने लगते हैं.

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गलती नंबर 1- दूसरे बच्चे की खुशी में अति उत्साहित होना

किसी के घर जब दूसरे या तीसरे बच्चे का जन्म हो रहा होता है तो मां-बाप अपने बच्चों से कहते हैं कि वो बड़े भाई या बहन बनने जा रहे हैं. उन्हें लगता है कि इस खबर से जैसे वो खुश हैं वैसे ही उनके बच्चे भी होंगे जो गलत है. वास्तव में अगर बच्चा छोटा है तो वो इस स्थिति को ज्यादा समझ भी नहीं पाता. ऊपर से बच्चे के जन्म के बाद मां-बाप का प्यार और अटेंशन दो बच्चों में बंट जाता है. उनके पास बड़े बच्चे को देने के लिए ज्यादा समय भी नहीं होता. बच्चों की वजह से व्यस्तता भी बढ़ जाती है. इसके अलावा बड़े बच्चे के लिए अपना कमरा, चीजें और खिलौने शेयर करना भी अलग अनुभव होता है. मां-बाप इस स्थिति पर ज्यादा ध्यान नहीं देते लेकिन बच्चे के लिए ये काफी परेशान करने वाला है. ऐसे में माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे के मन में अपने आने वाले भाई या बहन के लिए मनमुटाव ना हो.

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गलती नंबर 2: दूसरे बच्चे के आने पर पहले को इग्नोर करना

मां-बाप के लिए ये उम्मीद करना गलत है कि नए बच्चे की खुशी को उनके बड़े भाई-बहन उसी तरह मनाएंगे जैसे वो मना रहे हैं. वास्तव में उनके लिए इस बात को दरकिनार करना काफी मुश्किल है कि अब उन्हें मां-बाप की पूरी अटेंशन नहीं मिलने वाली. छोटे बच्चे ये नहीं बता पाते कि वो क्यों नाराज हैं लेकिन उन्हें बखूबी ये बात चुभती है और वो गुस्सा कर, चीजें तोड़कर और रोकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं. ऐसे में मां-बाप को खासतौर पर अपने पहले बच्चे की इस मनोदशा को समझना चाहिए और उनको बराबर तवज्जो देने की कोशिश करनी चाहिए.

गलती नंबर 3- चीजें शेयर करने के लिए मजबूर करना

मां-बाप की सबसे बड़ी गलती अपने बच्चों को आपस में चीजें शेयर करने के लिए मजबूर करना है हालांकि, सामान्य तौर पर हर घर में ऐसा होता है लेकिन छोटे बच्चों के लिए ये समझना थोड़ा मुश्किल होता है. वो अपनी चीजें और खिलौने किसी को नहीं देना चाहते. ये बच्चों का सामान्य व्यवहार होता है. ऐसे में मां-बाप को चाहिए कि वो बच्चे को 'शेयरिंग एंड केयरिंग' का फॉर्मूला बताएं. उसे प्यार से अपने भाई-बहन और दूसरे बच्चों के साथ चीजें शेयर करना सिखाएं. बच्चे के व्यवहार को देखकर उन्हें उसके साथ डील करनी चाहिए ना कि उसको मजबूर करना चाहिए.

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गलती नंबर 4- बच्चों की लड़ाई में किसी एक का साथ देना

बच्चों में जब भी झगड़ा होता है तो इस स्थिति में मां-बाप को दोनों को प्यार से समझाना चाहिए. इस दौरान अगर एक बच्चे की गलती होती भी है तो उसे अलग से उसकी गलती बतानी चाहिए ना कि दूसरे बच्चे के सामने उसे डांटना या मारना चाहिए. बच्चों के अंदर भी आत्मसम्मान होता है और किसी दूसरे बच्चे के सामने डांट और मार का उन पर बहुत बुरा असर पड़ता है. वो शर्मिंदगी महसूस करते हैं. इससे उनके मन में दूसरे बच्चे और अपने मां-बाप के लिए भी नाराजगी पैदा होने लगती है. अक्सर मां-बाप जाने-अनजाने में अपने बच्चों में फर्क करने लगते हैं और लड़ाई-झगड़े में भी वो उसी का साथ देते हैं. हमेशा किसी एक बच्चे की तरफदारी करना गलत है.

गलती नंबर 5- एक बच्चे की दूसरे से तुलना करना

सभी बच्चों का व्यक्तित्व, तौर-तरीके, आदतें और व्यवहार अलग होता है. ऐसे में दोनों को एक-दूसरे से कम्पेयर करना ठीक नहीं है. कोई बच्चा बहुत शांत होता है तो कोई बहुत शैतान, अगर आप दोनों को एक-दूसरे की तरह बनने की सीख देंगे तो इसके उनके कोमल मन पर बुरा असर पड़ेगा. इस स्थिति में वो अपने भाई या बहन को खुद से बेहतर समझेंगे और उनसे ईर्ष्या करने लगेंगे. एक बच्चे को दूसरे का उदाहरण देना मां-बाप की बहुत बड़ी भूल होती है और ये वो अक्सर बच्चों के बड़े होने तक करते रहते हैं. लगातार मां-बाप की इस तुलना से बच्चे तंग हो जाते हैं और धीरे-धीरे उनके मन में अपने भाई और बहन के लिए खीझ पैदा होने लगती है.

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