इंटरनेट पर कामोत्तेजक फोटो और वीडियो देखने के कई साइड इफेक्ट हैं. कुछ लोगों का मानना है कि पोर्न देखने में कोई हर्ज नहीं है. इसके उलट कई तथ्य ऐसे हैं, जो इस तरह के काम को नुकसानदेह साबित करते हैं.
मामला गंभीर है. यही वजह है कि देश की सबसे बड़ी अदालत को भी सरकार से यह कहना पड़ता है कि वह इंटरनेट पर मौजूद पोर्न पर रोकथाम के लिए उपाय सुझाए और इसके लिए कदम उठाए. इसके बावजूद, आलम यह है कि सरकार हर बार अपनी लाचारी ही जाहिर करके अपना काम खत्म मान लेती है.
खैर, मुद्दा यह है कि क्या पोर्न देखने के कुछ फायदे हैं? क्या इसे देखने से होने वाला नुकसान 'क्षणिक संतुष्टि' पर भारी पड़ता है? क्या पोर्न वैवाहिक जीवन में जहर घोल सकता है? यहां इन्हीं बातों पर विस्तार से चर्चा की गई है.
रेप जैसे क्राइम के लिए कितना जिम्मेदार?
समाज में रेप जैसी घटनाओं में हो रही बेतहाशा बढ़ोतरी के लिए अश्लील सामग्रियों को भी जिम्मेदार ठहराया जाता है. एक हद तक यह बात वाजिब भी लगती है. इसका दूसरा पक्ष यह है कि पोर्न देखने वाला शख्स 'इसी तरह' खुद को संतुष्ट कर लेता है और इस वजह से किसी बड़े सामाजिक अपराध से बच जाता है.
वैवाहिक जीवन पर पोर्न का असर
सतही तौर पर देखने में ऐसा लगता है कि पोर्न शादीशुदा जिंदगी में 'जोश' लाने में मददगार साबित हो सकता है. पर इसकी लत वैवाहिक जीवन को तबाह कर सकती है. ऐसा मानने से पीछे कई कारण हैं:
पार्टनर से 'ज्यादा' की उम्मीद करना नुकसानदेह
पोर्न देखने वाले जोड़े अपने पार्टनर से वैसी ही उम्मीद करते हैं, जैसा वे अश्लील वीडियो में देखते हैं. हकीकत यह है कि उन फिल्मों को जानबूझकर ज्यादा भड़काऊ बनाया जाता है, जिसे हकीकत में उतारना हर बार मुमकिन नहीं होता. इससे दोनों में असंतोष तो पनपता है, स्वभाव में क्रूरता और उग्रता भी आ सकती है, जो आगे चलकर नुकसानदेह साबित होता है.
पार्टनर को प्यार देने में हो सकती है कमी
बार-बार अश्लील वीडियो देखने वाला शख्स जब इसकी लत का शिकार हो जाता है, तो वह ख्वाब बुनने में लग जाता है और हर बार इसी तरीके से खुद को संतुष्ट करना चाहता है. यहां तक कि कई बार पार्टनर से सचमुच संभोग करने की उसकी इच्छा खत्म हो जाती है. ऐसा भी हो सकता है कि सेक्स के चक्कर में पार्टनर के प्रति उसका सच्चा प्यार ही कम हो जाए. ऐसे में रिश्ते में दरार आना तय है.
शरीर का 'स्वाभाविक गुण' खोने का खतरा
अगर बार-बार उत्तेजना पैदा करने के लिए पोर्न जैसे बाहरी साधनों का सहारा लिया जाए, तो शरीर का 'स्वाभाविक जोश' खोने का खतरा बढ़ जाता है. तब ऐसी भी स्थिति पैदा हो सकती है कि बिना पोर्न देखे उत्तेजना ही न पैदा हो. यह एक बड़ा खतरा है.
अनजाने में विवाहेतर संबंध को बढ़ावा
अश्लील फिल्मों की वजह से नैतिकता को ताक पर रखने की प्रवृति बढ़ सकती है. इससे लोग विवाहेतर संबंधों के लिए प्रेरित हो सकते हैं. मतलब मर्यादा तार-तार होने की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
अब क्या सही और क्या गलत यह फैसला आप खुद कर सकते हैं.