भले ही हमारे मस्तिष्क का भार पूरे शरीर के भार का महज दो फीसदी ही होता है, लेकिन दिमाग को शरीर के अनुपात में 20 फीसदी ऊर्जा की जरूरत होती है. इसलिए बेहतर होगा कि जब भी आप किसी से, खासतौर पर अपने जीवनसाथी से अहम मुद्दे पर बात करने जा रहे हों, तो उससे पहले यह तय कर लें कि कहीं आप खाली पेट तो नहीं हैं.
अमेरिका में शादीशुदा लोगों पर तीन हफ्ते तक किए गए शोध के बाद यह हिदायत दी जा रही है. शोधकर्ताओं ने इस बात पर रिसर्च की कि आखिर किस तरह शरीर का शुगर लेवल व्यवहार पर असर डालता है. 100 से ज्यादा कपल्स को उनके शादीशुदा जीवन से जुड़े सवाल पूछे गए. साथ ही सुबह-शाम उनका ब्लड शुगर लेवल भी नापा गया. दिलचस्प यह कि रात में उनके गुस्से का लेवल टेस्ट करने के लिए उन सभी लोगों को जादू-टोना के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गुड़िया और 51 पिन दिए गए. उनसे कहा गया कि जब भी उन्हें अपने जीवनसाथी पर गुस्सा आए, तो वह गुड़िया पर पिन चुभाकर अपना फ्रस्ट्रेशन उतार लें. प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकैडमी ऑफ साइंसेज की रिपोर्ट में यह पाया गया कि वॉलेंटियर्स का ब्लड शुगर जितना कम था, उतनी ही ज्यादा बार उन्होंने गुड़िया पर पिन से वार किया. वो जोड़ी जिन्होंने दावा किया था कि उनका रिश्ता मजबूत है, उन्हें भी अपने जीवनसाथी पर गुस्सा आया, जब उनके खून में ग्लूकोज की मात्रा कम थी.
शोध के दूसरे दौर में पुरुषों और महिलाओं को कंम्प्यूटर गेम खेलने को कहा गया. सभी प्रतिभागियों को इस भुलावे में रखा गया कि वह अपने जीवनसाथी के खिलाफ यह गेम खेल रहे हैं. यह भी कहा गया कि जब भी वह गेम जीतें, अपनी खुशी का इजहार करने के लिए ऐसी आवाजें निकालें जिनसे आमतौर पर लोगों को नफरत होती है. अंत में यह पाया गया कि जिनमें भी एनर्जी की कमी थी, उन्होंने उतनी तेज और ज्यादा समय तक शोर मचाया.
जिस तरह शाम होते ही घटती एनर्जी की वजह से सेल्फ-कंट्रोल कम होता जाता है, उसी तरह खाली पेट तकरार की संभावना ज्यादा होती हैं.