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उनसे पूछिए, रूठे हुए हो क्यों...

समय के साथ वैवाहिक जीवन में शारीरिक संबंध में अरुचि एक ऐसी समस्या है जो देर-सवेर हर दंपति के सामने आती है. लेकिन समझदारी इसी में है कि इस परेशानी को झेलने की बजाय इससे जल्द से जल्द सुलझाया जाए.

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पिछले दिनों सोशल मीडिया की एक खबर ने खूब धूम मचाई, जिसमें एक पति ने अपनी पत्नी के साथ संबंधों को लेकर एक नोट तैयार किया था. उस नोट में उसने 7 हफ्तों में उन पलों की गिनती की थी, जब वह अपनी पत्नी के बेहद करीब आया था और दोनों ने प्रेम के परवान को महसूस किया था. उस शख्स ने नाराजगी जताते हुए लिखा था कि उसकी पत्नी ने उसके शारीरिक संबंध बनाने के प्रस्ताव को 27 ठुकराया और इस वजह से वह बहुत दुखी है.

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समय के साथ वैवाहिक जीवन की यह एक ऐसी समस्या है जो देर-सवेर हर दंपति के सामने आती है. लेकिन समझदारी इसी में है कि इस परेशानी को झेलने की बजाय इससे जल्द से जल्द सुलझाया जाए. विशेषज्ञों की मानें तो पति-पत्नी के रिश्तें में समय-समय पर शारीरिक संबंध का बनना जिंदा रहने के लिए भोजन के बराबर ही महत्वपूर्ण है. यह न सिर्फ दो लोगों को शारीरिक रूप से पास लाता है बल्कि‍ इससे भावनात्मक बंधन भी मजबूत होता है. गिले-शि‍कवे दूर होते हैं और रिश्तों में नयापन बना रहता है.

कब और कितनी बार
अपनी समस्या लेकर एक्सपर्ट्स के पास जाने वाले दंपति अक्सर यह सवाल करते हैं कि हफ्ते में कितनी बार और कब शारीरिक संबंध बनाना सही है. असल में इसका कोई मीटर नहीं है. यह व्यक्ति‍त्व पर निर्भर करता है कि आप कितनी बार संबंध बनाना चाहते हैं और कब. इसलिए ऐसी चिंताओं को त्यागना ही बेहतर है.

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एक रिसर्च के मुताबिक, 18-19 साल की उम्र में कपल्स साल में 112 से अधि‍क बार शारीरिक संबंध बनाते हैं. 30-39 साल की उम्र वालों में यह आंकड़ा घटकर 80-86 बार और 40-49 साल की उम्र सीमा में यह और भी कम होकर 66-69 पर पहुंच जाता है.

रिलेशनशि‍प एक्सपर्ट्स मानते हैं कि संबंध बनाने के क्रम में उम्र के साथ आकंड़े के घटने का एक कारण इस ओर अरुचि या व्यस्त जीवनशैली हो सकती है. लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि इसी के साथ या यह कहें कि बढ़ती उम्र के साथ ही वैवाहिक संबंधों में इस ओर समस्या भी शुरू हो जाती है. शि‍कायतें आती हैं कि उनका पार्टनर अब उनका खयाल नहीं रखता. यानी सबसे जरूरी शारीरिक संबंध को आनंद से ज्यादा एक जरूरत की तरह तरजीह देने की है. ठीक वैसे ही जैसे आप भोजन को जरूरी मानते हैं.

अरुचि का क्या करें
कई लोगों की शि‍कायत होती है कि उसका पार्टनर संबंध बनाने में ज्यादा रुचि नहीं रखता. अगर ऐसा है तो इस ओर आपको चुप रहने की बजाय आपस में बात करने की जरूरत है. आप चाहें तो बेडरूम के बार भी अपने पार्टनर से इस ओर बात कर सकते हैं. शारीरिक संबंध बनाने के बाद या उससे पहले कभी भी अपने पार्टनर से यह जिक्र नहीं करें कि यह जरूरत है इसलिए आप कर रहे हैं. बल्कि‍ उन्हें प्यार का एहसास होने दें. उन्हें बताएं कि आप उनसे प्यार करते हैं और उन्हें अपना सबकुछ सौंपना चाहते हैं.

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पसंद नापसंद का जिक्र
संबंध बनाने के क्रम में सबसे जरूरी है कि आप एक-दूसरे की पसंद-नापसंद को समझे, जानें और उस पर बात करें. जरूरी नहीं कि जो पोश्चर आपको पसंद है वह आपके पार्टनर को भी पसंद आए. समझने की कोशि‍श करें कि आपका साथी कब और किस तरह अधि‍क आनंद महसूस करता है. इन मुद्दों पर खुलकर बात करें.

थोड़ा हल्के में लें
दिन भर की थकान या चिंताओं को दूर भगाने के लिए सेक्स से बेहतर कोई दवा या व्यायाम नहीं है. इसलिए इसे इतनी भी गंभीरता से नहीं लें. थोड़ा लाइट मूड बनाए रखें. हर दिन कुछ नया करने की सोचें. कुछ रोचक और कुछ ऐसा जो आपको और आपके साथी दोनों को आनंद दे.

तुलना ना करें
अपने पार्टनर की किसी से कभी तुलना ना करें. अगर वह कुछ नया कर रहा है या रही है तो उसे समझे. आनंद का अनुभव नहीं कर रहे हैं तो उसके प्रयास की सराहना करते हुए उसमें अपनी ओर से भी कुछ जोड़ें. प्यार करना और प्यार को बनाए रखना कोई रॉकेट साइंस नहीं है. जरूरत है तो बस एक-दूसरे को समझने की.

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