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महिलाओं के बारे में 10 मिथक...

अक्‍सर हर कोई महिलाओं के बारे में अपनी कुछ धारणाएं बना लिया करता है. इनमें से कुछ सरासर गलत भी हो सकते हैं. जानिए महिलाओं से जुड़े 10 मिथक और उनके बारे में स्‍पष्‍टीकरण.

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अक्‍सर हर कोई महिलाओं के बारे में अपनी कुछ धारणाएं बना लिया करता है. इनमें से कुछ सरासर गलत भी हो सकती हैं. जानिए महिलाओं से जुड़े 10 मिथक और उनके बारे में स्‍पष्‍टीकरण.

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हमें बड़े स्तन की चाहत है.
बड़ा ही हमेशा बेहतर नहीं होता. कोई भी महिला यह पसंद नहीं करती कि उसके चेहरे से नीचे आंखें गड़ाकर बातें की जाए.

हम पुरुषों को लुभाने के लिए अच्छे कपड़े पहनती हैं.
हम या तो अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए या दूसरी महिलाओं का आत्मविश्वास डगमगाने के लिए अच्छे कपड़े पहनती हैं. यहां तक कि अधोवस्त्र भी इसलिए पहनती हैं ताकि हम सेक्सी महसूस करें.

हम हमेशा अपनी भावनाओं को साझा करना चाहती हैं.
संसर्ग के बाद सिर्फ पुरुष ही टीवी देखना या सोना नहीं चाहते. हम नहीं जानना चाहतीं कि जब तुम मसखरे जैसा व्यवहार कर रहे थे और हमने तुम्हें ऐसा करने से रोका तो तुम्हें दुख हुआ था.

अगर हम भावात्मक रूप से उखड़ी हुई हैं तो मतलब है मासिक धर्म शुरू होने वाला है.
यदि आज महिला भावनात्मक रूप से उखड़ी हुई है तो ऐसा इसलिए है क्योंकि वह यह सहन नहीं कर पा रही है कि आखिर उसे क्यों सारा काम करना चाहिए जबकि उसका पुरुष या तो बल्ब बदलेगा, या नहाएगा या फिर किराने के सामान का ऑर्डर देगा, मगर वह तीनों काम नहीं करेगा. और एक साथ तो हरगिज नहीं.

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{mospagebreak}पुरुषों की तुलना में हमारी कामुकता कमजोर होती है.
पुरुषों में 18 वर्ष की उम्र में सबसे अधिक कामुकता होती है लेकिन जैसा कि सभी महिलाओं ने खुलासा किया कि 30 के दशक के मध्य तक आते-आते पुरुष बेहतर प्रदर्शन से चुकने लगते हैं.

हम चिपकू हैं और दूसरे को आजादी नहीं देतीं.
हम चाहती हैं कि जब आप हमसे मिलें तो आपका सारा ध्यान हम पर हो लेकिन सारा दिन इसी तरह बीत जाए. ऐसा नहीं चलेगा. और हां, हमारी ई-मेल्स और हमारी निजी बातों पर आंख-कान गड़ाने की जरूरत नहीं है. हम भी रात को आवारगी करना चाहती हैं.

काम यानी अंतरंगता. संतुष्टि तो बाद की चीज है.
अंतरंगता तो ठीक है, लेकिन यदि आप हमें कुछ देना ही चाहते हैं, तो कुछ तो आपको खुद को देना चाहिए. और हां, अच्छा हो कि आप स्त्री शरीर के बारे में कुछ सीख लें.

हम चाहती हैं कि हमारे पुरुष पूरा अधिकार जताने वाले लड़कों की तरह पेश आएं.
कुश्ती का मैदान तो अखाड़े में होता है, बार में नहीं. हम ऐसा पुरुष चाहती हैं, जो अपने विरोधी को अपनी बुद्धिमत्ता से चित कर दे.

{mospagebreak}हम छोटी उम्र से ही अपनी शादी के सपने बुनने लगती हैं.
कोई जॉर्ज क्लूनी या ब्रैड पिट हो तो बात दीगर है. हमारी फंतासी में शादी नहीं, बल्कि सपनों का राजकुमार होता है.

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30 वर्ष की उम्र के बाद हम अपनी शारीरिक जरूरतों को लेकर पागल हो जाती हैं.
आधुनिक विज्ञान ने यह साबित कर दिया है कि महिलाएं 42 वर्ष की उम्र में भी मां बन सकती हैं. मुद्दा यह है कि क्या आपमें बढ़ती उम्र में पिता बनने का हौसला बाकी है?

(भगत मनोरमा 'सिक्स फीट अंडर', 'बचना ऐ हसीनो' और 'आइशा' की लेखक हैं)

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