भारत मुंह के कैंसर के मामलों में पूरे विश्व में अब भी सबसे ऊपर बना हुआ है तथा देश में प्रत्येक वर्ष कैंसर के 75 से 80 हजार नये मामले सामने आते हैं.
कैंसर के अधिकतर मामलों के लिए तंबाकू चबाने को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है क्योंकि भारतीय धूम्रपान करने की बजाय तंबाकू अधिक चबाते हैं.
तंबाकू चबाने वालों की 26 प्रतिशत आबादी भारत में वास करती है जबकि धूम्रपान करने वालों में से 14 प्रतिशत भारतीय हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि गैर संचारी रोगों को कम करने के लिए तंबाकू चबाने पर रोक लगाना स्वास्थ्य मंत्रालय की महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की एकमात्र सबसे बड़ी चुनौती है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (एनआईएचएफडब्ल्यू) के विशेषज्ञों की ओर से गुटखा के हानिकारक प्रभावों का अध्ययन करने के लिए हाल में तैयार एक रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूरे विश्व के 86 प्रतिशत मुंह के कैंसर के मामले भारत में सामने आते हैं.
सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि तंबाकू और गुटखा का सेवन देश में मुंह के कैंसर के 90 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है. अब स्वास्थ्य मंत्रालय वर्ष 2011 की अधिसूचना के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन पर जोर दे रहा है जिसमें गुटखा में तंबाकू के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है.