मां बनने जा रही महिलायें ध्यान दें. स्तनपान उनके शिशु को आगे जाकर न केवल मोटापे से दूर रखेगा बल्कि मधुमेह का जोखिम भी कम करेगा.
डेनमार्क में कोपनहेगन विश्वविद्यालय स्थित जीवन विज्ञान संकाय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि स्तनपान करने वाले बच्चों का विकास बाहर के दूध पीने वालों से अलग होता है और भविष्य में उन्हें कई लाभ मिलते हैं.
उन्होंने शोध में पाया कि मां का दूध आईजीएफ-1 हार्मोन और रक्त में इंसुलिन की बृद्धि को कम करता है और यह तब भी इस वृद्धि को कम करता है जब बच्चा ठोस आहार लेने लगता है. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि वजन का अधिक नहीं बढना स्वस्थ्य आहार विहार को प्रोत्साहित करता है. इसके विपरीत फार्मूला दूध से चर्बी की कोषिकायें बढ़ती हैं जो पूरे बचपन में वजन बढ़ाते रहते हैं.
अध्ययन के लिये नौ 18 और 36 माह के 330 बच्चों के आहार और स्वास्थ्य का विस्तृत अध्ययन किया गया.
डेली मेल के अनुसार जिनती अधिक अवधि तक स्तनपान बच्चा करेगा उसका वजन 18 माह में उतना ही कम होगा. शोधकर्ता अंजा लिके माडसन के अनुसार, ‘हम देख सकते हैं कि स्तनपान का रक्त आईजीएफ-1 और इंसुलिन में वृद्धि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. जितना अधिक बच्चा स्तनपान करेगा उतना ही हार्मोन का स्तर कम होगा.’ अध्ययन से पता लगता है कि स्तनपान से बच्चा बाद में कम मोटापा ग्रहण करेगा.
अनुसंधान में पाया गया कि स्तनपान पेट और सीने में संक्रमण अस्थमा और एलर्जी से बच्चे को बचाता है और आगे के जीवन में उसे स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ मिलते हैं.
यही नहीं यह समयपूर्व माहवारी स्तन एवं गर्भाशय के कैंसर तथा हड्डी के रोग से भी मां की रक्षा करता है. साथ ही मां को बच्चा जनने के बाद उसके शरीर को सही आकार देने में भी मददगार होता है क्योंकि यह प्रतिदिन अतिरिक्त 500 कैलोरी को जलाता है.
इन लाभों को देखते हुए शिशु को पहले छह माह तक केवल स्तनपान कराने का सुझाव दिया गया है. इससे पहले के अनुसंधान में पाया गया था कि फार्मूला दूध पीने वाले तथा छह माह से पहले ठोस आहार लेने वाले शिशु तेजी से बढ़ते हैं.
कोपनहेगन विश्वविद्यालय के प्रो. किम फ्लेचर मिशेलसन के अनुसार, ‘यह सर्वविदित है कि जो बच्चे स्तनपान करते हैं वे फार्मूला दूध लेने वालों से कुछ कम तेजी से बढते हैं लेकिन बाद के जीवन में वे जीवनशैली से जुडी बीमारियों के जोखिम से भी बचे रहते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन नये नतीजे दर्शाते हैं कि स्तनपान नौ माह में आईजीएफ-1 तथा इंसुलिन के स्तर को प्रभावित करता है. यह वही समय है जब बच्चा ठोस आहार लेने योग्य हो जाता है. जितना अधिक समय तक शिशु स्तनपान करेगा 18 माह में उसका वजन उतना ही कम होगा.’