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सावन में पिया के नाम से 'मेहंदी रंग लाएगी'

वैसे तो महिलाओं के सजने-संवरने में मेहंदी का इस्‍तेमाल सालोंभर होता है, पर सावन में मेहंदी का रंग कुछ अलग ही मोहक हो जाता है. महिलाएं सावन में अपने जीवनसाथी के नाम से हाथों में मेहंदी रचाती हैं, ताकि दाम्‍पत्‍य जीवन में प्‍यार बढ़ता रहे.

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रिलेशनशिप
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वैसे तो महिलाओं के सजने-संवरने में मेहंदी का इस्‍तेमाल सालोंभर होता है, पर सावन में मेहंदी का रंग कुछ अलग ही मोहक हो जाता है. महिलाएं सावन में अपने जीवनसाथी के नाम से हाथों में मेहंदी रचाती हैं, ताकि दाम्‍पत्‍य जीवन में प्‍यार बढ़ता रहे.

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सावन में जब चारों ओर हरियाली का साम्राज्य रहता है, ऐसे में भारतीय महिलाएं भी अपने साजो-श्रृंगार में हरे रंग का खूब इस्तेमाल करती हैं. श्रृंगार की बात मेहंदी के बिना अधूरी ही रह जाती है. वैसे भी सावन में मेहंदी का अपना महत्व है.

मान्यता है कि जिसकी मेहंदी जितनी रंग लाती है, उसको उतना ही अपने पति और ससुराल का प्रेम मिलता है. मेहंदी की सोंधी खुशबू से लड़की का घर-आंगन तो महकता ही है, लड़की की सुंदरता में भी चार चांद लग जाते हैं. इसलिए कहा भी जाता है कि मेहंदी के बिना दुल्हन अधूरी होती है.

अक्सर देखा जाता है कि सावन आते ही महिलाओं की कलाइयों में चूड़ियों के रंग हरे हो जाते हैं तो उनका पहनावा भी हरे रंग में तब्दील होता है. सावन में मेंहदी की छोटी-बड़ी हर दुकान लड़कियों और महिलाओं से पटे रहते हैं.

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सिल्वर मेहंदी, गोल्डन मेहंदी, ब्राउन मेहंदी को छोड़कर सारे डिजाइन असली मेहंदी से बनते हैं और इसका रंग भी काफी दिनों तक टिकता है, जबकि सिल्वर, गोल्डन और ब्राउन मेहंदी ग्लीटर का होता है जो अक्सर लोग समारोह में जाने के पूर्व लगवाते हैं और पानी से धोने के बाद पूरी तरह साफ हो जाता है.

इन दिनों मेहंदी फैशन की वस्तु बन गई है जिस कारण मांग भी बढ़ गई है. दावा तो यहां तक किया गया है कि है मेहंदी हार्मोन को तो प्रभावित करती ही हैं, रक्त संचार में भी नियंत्रण रखती हैं. मेहंदी दिमाग को शांत और तेज भी बनाता है.

आखिर मेहंदी सजने की वस्तु है, तो महिलायें सावन में इससे अलग नहीं रह पातीं. आखिर सजना जो है 'सजना' के लिए.

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