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लोगों को खूब लुभाती है शादी की अंगूठी

बदलते समय के साथ शादी की अंगूठी के आकार, डिजाइन और इसके लिए इस्तेमाल की जाने वाली धातु में भले ही बदलाव आ गया हो, लेकिन अगर कुछ नहीं बदला है, तो वह है इसे लेकर दंपति की भावनाएं और प्यार.

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रिलेशनशिप
रिलेशनशिप

बदलते समय के साथ शादी की अंगूठी के आकार, डिजाइन और इसके लिए इस्तेमाल की जाने वाली धातु में भले ही बदलाव आ गया हो, लेकिन अगर कुछ नहीं बदला है, तो वह है इसे लेकर दंपति की भावनाएं और प्यार.
फोटो गैलरी: ताकि 'रिलेशनशिप' में बनी रहे ताजगी...

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अंगूठी का गोल आकार प्राचीन मिस्र युग से ही कभी खत्म या कम न होने वाले प्यार का प्रतीक है. प्राचीन काल में दुल्हन सन या घास आदि की अंगूठी पहनती थी, जिसे बदला जा सकता था. रोमन काल में इसकी जगह लोहे का इस्तेमाल किया जाने लगा जो स्थायित्व का प्रतीक है.

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 आजकल इसकी जगह सोने ने ले ली है, जो अपनी शुद्धता और खूबसूरती के लिए जाना जाता है. अब तो सोने के अलावा लोग ‘व्हाइट गोल्ड’ (सफेद सोना) या प्लेटिनम जैसी बहुमूल्य धातुओं की हीरा जड़ी अंगूठियों को अपनी शादी के लिए पसंद करते हैं.

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विवाह की अंगूठी के बारे में 55 वर्षीय शशि राय ने कहा कि आज के दौर की तरह ही पहले भी भावी दुल्हन के मन में इसे लेकर उत्साह तो काफी रहता था, लेकिन वह खुलकर उसे जाहिर नहीं कर पाती थी.

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उन्होंने कहा, ‘अब तो समय काफी बदल गया है. लड़कियां अपनी शादी के लिए अंगूठी की डिजाइन या धातु जैसे सोना, प्लेटिनम आदि का चुनाव खुद करती हैं, लेकिन हमारे वक्त में ऐसा नहीं था.’

शशि ने कहा, ‘उस समय तो माता-पिता ही गहनों के बारे में सारे फैसले करते थे और शादी की अंगूठी भी वे ही चुनते थे. हां, कुछ परिवारों में जरूर लड़की की राय ली जाती थी, लेकिन फिर भी भावी दुल्हन के मन में इसे लेकर खासा उत्साह रहता था.’

इस बारे में 28 वर्षीय अंकिता झा ने कहा कि किसी भी लड़की के लिए शादी की अंगूठी का अपना ही महत्व रहता है. उन्होंने कहा, ‘वैसे तो विवाह संबंधी हर चीज दंपति खासकर लड़की के लिए काफी मायने रखती है, चाहे वह शादी का जोड़ा हो या गहने, लेकिन इन सबमें अंगूठी का विशेष महत्व होता है. दरअसल विवाह से संबंधित सभी रस्मों में सबसे पहले इसे ही पहनाया जाता है, इसलिए इसका भावनात्मक महत्व काफी बढ़ जाता है.’

अंकिता ने कहा, ‘शादी की अंगूठी के लिए आजकल बड़ी-बड़ी दुकानों से लेकर ज्वेलरी डिजाइनर तो हैं ही, लेकिन अब इसके डिजाइन के लिए युवा इंटरनेट आदि का इस्तेमाल भी काफी करते हैं. दरअसल चाहे लड़का हो या लड़की हर किसी के लिए यह ताउम्र साथ रहने वाली चीज जो है.’

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शादी की अंगूठी इस बात का संकेत है कि इसे पहनने वाला शादीशुदा है या विवाह बंधन में बंधने वाला है. इसे हाथ की अनामिका में पहना जाता है. अंगूठी पहनने का रिवाज यूरोप में तेजी से फैला. शुरुआत में इसे मूल रूप से महिलाएं ही पहनती थीं, लेकिन 20वीं सदी के दौरान यह वर-वधू दोनों के लिए पारंपरिक रूप से पहनना आवश्यक हो गई.

उल्लेखनीय है कि कई पश्चिमी देशों में तीन फरवरी को ‘वेडिंग रिंग डे’ के रूप में मनाया जाता है. हमारे देश में इस तरह का कोई दिन मनाने की परंपरा भले ही न हो, लेकिन जिस दिन किसी ने अपने प्रिय के हाथ में शादी की अंगूठी पहनाकर उसका हो जाने की कसम खाई हो, उसके लिए यह भावना और इसकी याद किसी दिन की मोहताज तो नहीं है.

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