एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि भारत में ज्यादातर कामकाजी महिलाएं अपने कार्यालय के काम और व्यक्तिगत जिंदगी के बीच संतुलन बनाकर चलना चाहती हैं.
यह सर्वेक्षण रपट विभिन्न उम्र की 2,500 से अधिक विवाहित एवं अविवाहित महिलाओं की प्रतिक्रिया पर आधारित है. सर्वेक्षण में 95 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने कहा कि प्रभावी ढंग से काम करने और सफल रहने के लिए दफ्तर के काम और घरेलू जिम्मेदारी के बीच बेहतर संतुलन रखना बहुत महत्वपूर्ण है.
सर्वेक्षण के नतीजों में यह बात भी सामने आई कि महिलाओं को घर चलाने और बच्चों की देखभाल में अपने पतियों से काफी सहयोग मिलता है. कॉनसिम इन्फो प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ मुरुगवेल जानकीरमन ने कहा, ‘‘काम और घर चलाने के बीच संतुलन एक महिला के जीवन में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सर्वेक्षण मुख्य तौर पर इसी चुनौती के बारे में महिलाओं का नजरिया जानने के लिए कराया गया है. सर्वेक्षण में कई अन्य बातें उजागर हुईं. मसलन एचआर विभाग में महिलाएं आरामदायक एवं खुशी का माहौल चाहती हैं.’’{mospagebreak}
पचास प्रतिशत महिलाओं ने काम और निजी जीवन के बीच अच्छा संतुलन बताया, जबकि 25 प्रतिशत महिलाओं ने उत्कृष्ट संतुलन बताया. सर्वे के मुताबिक 50 प्रतिशत महिलाएं रोज 8.9 घंटे काम करती हैं और केवल 10 प्रतिशत महिलाओं के काम का समय 12 घंटे से ऊपर जाता है.
सर्वे के अनुसार 50 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उनका जीवन संतुलित चल रहा है. 25 प्रतिशत ने संतुलन को बहुत अच्छा, 15 प्रतिशत ने ठीका ठाक और 10 प्रतिशत ने गड़बड़ बताया. सर्वे में 35 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं ने कहा कि वे पूरे समय का काम चाहती हैं, जबकि 20 प्रतिशत ऐसा काम करना चाहती है जहां समय की अधिक पाबंदी नहीं हो.
गैरकामकाजी महिलाओं में 80 प्रतिशत से अधिक ने कहा कि उन्हें घर संभालने में ही संतोष है, पर ऐसी 40 प्रतिशत महिलाओं को घर में ही रह कर कोई दूसरा काम करने का अवसर मिले तो वे उसे चुन सकती हैं.