यह कोई मजाक नहीं, बल्कि सच्चाई है कि मर्द मानते हैं कि वो औरतों से ज्यादा मजाकिया होते हैं. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में भी मर्दों को औरतों से ज्यादा मजाकिया पाया गया.
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इस अध्ययन के अंतर्गत कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ने पत्रिका के कार्टूनों के लिए अनुशीर्षक लिखने की परीक्षा ली. ‘न्यूयार्कर’ पत्रिका में छपे 20 कार्टूनों के लिए 16 पुरुषों और 16 महिलाओं से हास्य अनुशीषर्क लिखने के लिए कहा गया था.
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विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि इसमें पुरुष पाठकों को महिला पाठकों की तुलना में अधिक अंक आए. शोधकर्ताओं ने पाया कि महिला अनुशीर्षक लेखकों की तुलना में पुरुष अनुशीर्षक लेखक अपशब्दों और वयस्क मजाकों का अकसर प्रयोग करते हैं.
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हालांकि पुरुषों और महिलाओं के बीच अंकों का अंतर बहुत ही कम था. दोनों के बीच केवल 0.11 अंकों का अंतर था. दोनों के अंकों का निर्धारण एक से पांच के अधिकतक स्तर पर किया गया था. मुख्य लेखक लौरा मिक्स ने कहा कि यह अंतर बहुत ही कम था, इसके कारण किसी तरह की धारणा नहीं बन सकती.
बाद में इस संबंध में प्रश्न पूछने पर इनमें से लगभग 90 प्रतिशत लोगों ने माना कि वो इस प्रचलित धारणा का मानते हें कि मर्द औरतों से ज्यादा मजाकिया होते हैं.
सहलेखिका प्रोफेसर निकोलस क्रिस्टीनफेल्ड ने कहा कि हमारे शोध से उन मर्दों को निराशा होगी, जो मानते है कि वो अपने मजाकों से महिलाओं का प्रभावित कर सकते हैं. असल में वो दूसरे मर्दों को प्रभावित कर सकते हैं जिन्हें लगता है कि पुरुष ज्यादा मजाकिया होते हैं. यह अध्ययन ‘साइकोनॉमिक बुलेटिन एंड रिव्यू’ में प्रकाशित की गयी है.