वे दिन लद गए, जब सिर्फ महिलाओं को घर बसाने और बच्चों की चाहत होती थी. अब महिलाओं की जगह पुरुषों ने ले ली है. हाल ही में हुए शोधों की मानें, तो अब पुरुषों को घर बसाने और बच्चों की ज्यादा जल्दी होती है.
अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित रटगर्स विश्वविद्यालय में किए गए इस अध्ययन में 5,000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया. इनमें से आधे से अधिक पुरुषों ने माना कि वे बच्चों की चाहत रखते हैं और परिवार जल्दी बढ़ाना चाहते हैं जबकि ऐसी महिलाओं की संख्या 46 प्रतिशत थी.
शोधकर्ता प्रोफेसर हेलेन फिशर का कहना है, ‘‘आर्थिक वृद्धि के बाद पुरुषों और महिलाओं में बढ़ी आर्थिक समानता की वजह से महिलाओं में परिवार के प्रति लगाव कम हो रहा है, जबकि पुरुषों में लगाव बढ़ रहा है.’’
मनोविशलेषक डॉक्टर वंदना प्रकाश का कहना है, ‘‘बदलते वक्त के साथ पुरुषों की सोच बदली है. पहले पुरूषों को सिर्फ अपने काम की चिंता होती थी. वे कमाते थे और घर की बाकी जिम्मेदारियां महिलाएं निभाती थीं. मगर अब दोनों के कामकाजी होने के कारण महिलाओं के पास भी घर के अलावा तमाम जिम्मेदारियां आ गयी हैं. वे अब पहले की भांति घर बसाने और बच्चों के लिए जल्दबाजी में नहीं रहतीं.{mospagebreak}
वे अपने करियर को प्राथमिकता देने लगी हैं. ऐसे में पुरुषों में परिवार और बच्चों से दूर होने की चिंता सताने लगी है. उनकी यह मानसिक स्थिति ही उन्हें परिवार और बच्चों के इतना करीब ला रही है.’’
वे कहती हैं, ‘‘पुरुषों के जीन की बनावट के अनुसार उन्हें बच्चों से बहुत ज्यादा लगाव होता है. पुरुषों को ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करना और बड़ा परिवार पसंद होता है. परिस्थितियों के कारण उनके भीतर की यह इच्छा दबी हुयी थी, मगर जैसे ही उन्हें अनुकूल परिस्थिति मिली उनका ध्यान बच्चों की ओर चला गया.’’
एक जमाने में यह माना जाता था कि मर्द घर बसाने के नाम से बचते हैं और महिलाएं इस चिंता में घुली जाती थीं. अमेरिका में हुए एक अध्ययन के मुताबिक अब पुरुषों को घर बसाने की ज्यादा जल्दी है. अध्ययन करने वाली टीम की प्रमुख वैज्ञानिक हेलेन ने कहा, ‘‘मर्द अब वैसे होते जा रहे हैं जैसा हमने पीढ़ियों तक महिलाओं को देखा. वे संतान के इच्छुक होते जा रहे हैं और जल्द से जल्द घर बसाना चाह रहे हैं.’’{mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘‘अध्ययन को जटिल बनाने वाली चीजें जिंदगी और संबंधों को लेकर महिलाओं का बदलता रुख है. महिलाओं ने काम करके आत्मविश्वास, आत्म-योग्यता, धन और अनुभव कमाया और अब वे उन चीजों की इच्छा कर रही हैं, जिन्हें मर्द ज्यादा तवज्जो नहीं देते.’’
पुरुषों में परिवार के लिए बढ़ते चाव के लिए न सिर्फ मनोवैज्ञानिक तथ्य बल्कि आर्थिक परिस्थितियां भी जिम्मेदार हैं. पहले पुरुषों का पूरा ध्यान कमाने में लगा होता था, मगर अब दोनों के कामकाजी होने के कारण उन्हें अपने परिवार के लिए भी वक्त मिल रहा है.
मनोविशलेषक डॉक्टर राकेश का कहना है, ‘‘पुरुषों में घर बसाने और परिवार बढ़ाने के लिए जल्दबाजी का कारण आर्थिक बदलाव से सोच में आया परिवर्तन है. आर्थिक समानता के कारण अब उन पर पूरे दिन पैसे कमाने का भूत सवार नहीं रहता है. वह परिवार को पूरा वक्त देते हैं. परिवार के प्रति बढ़ते लगाव का यह बड़ा कारण है.’’
उनका कहना है, ‘‘पुरुषों में यह मनोवैज्ञानिक बदलाव महिलाओं में बढ़ती आर्थिक निर्भरता के कारण भी है. पुरूषों को अब यह डर सताता रहता है कि कहीं उनका साथी उसे छोड़ न दे, इसलिए भी वे जल्द से जल्द बच्चे चाहते हैं.’’