तनावग्रस्त माता-पिता के लालन-पालन का नकारात्मक तरीका उनके बच्चों पर असर डालता है.
अमेरिका की मेरीलैन्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि तनावग्रस्त महिला अपने बच्चों से गुस्से से पेश आती है, जिसका असर उन पर नकारात्मक पड़ता है.
लाइवसाइंस ने शोध के प्रमुख मनोवैज्ञानिक लेआ डगहार्टी के हवाले से कहा कि माता-पिता के लिहाज से यह शोध काफी ‘उम्मीद भरा’ है. उन्होंने कहा ‘‘अगर हम लालन-पालन पर ध्यान केन्द्रित करें, तो बच्चे के बाल्यकाल के दौरान हम जल्द हस्तक्षेप कर माता-पिता की मदद कर सकते हैं.’’
अध्ययन इस बात को ध्यान में रखकर किया गया कि बच्चे के जीवन का शुरुआती व्यवहार कैसे तनाव को जन्म देता है और क्या माता पिता के बच्चे को पालने के तरीके का इससे कुछ लेना देना है.
अध्ययनकर्ताओं ने तीन से चार साल उम्र के बीच के 160 बच्चों और उनके माता-पिता पर अध्ययन किया. इनमें बालक और बालिकाओं का बराबर अनुपात था और उनके माता-पिता अधिकतर मध्यम वर्ग के थे.
उन्होंने पहले माता-पिता के अवसादग्रस्त रहने का इतिहास जाना, फिर वे माता-पिता और बच्चों से मिले. माता-पिता से बच्चों के साथ खेलने को कहा गया. अध्ययनकर्ताओं ने इस दौरान माता-पिता द्वारा बच्चों की आलोचना उनके प्रति गुस्सा और हताशा जैसे पहलुओं पर गौर किया.{mospagebreak}
बच्चों पर कुछ प्रयोग किये गये. मसलन एक खाली कमरे में बच्चों को छोडा गया और उनसे बातचीत के लिये एक अजनबी पुरुष को भेजा गया. एक अन्य प्रयोग में उन्हें एक पारदर्शी बन्द सन्दूक दिया गया, जिसके ताले में चाबी फिट नहीं आती थी.
तनाव देखने के लिये तीसरे प्रयोग में बच्चों को उपहार का लालच दिया गया, लेकिन बाद में खाली डिब्बा उन्हें थमा दिया गया. डगहार्टी ने बताया कि प्रयोग के दौरान बच्चों के तनाव को बढाने वाले हार्मोन कोरटिसोल का स्तर देखा गया. उन्होंने कहा कि केवल तनावग्रस्त माता-पिता का होना ही कोरटिसोल को नहीं बढाता, लेकिन अगर तनावग्रस्त मां हो और बच्चे से गुस्से से पेश आये तो उसके हार्मोन के स्तर में तेजी आयेगी.
पत्रिका साइक्लोजिकल साइंस में छपी रिपोर्ट के अनुसार बच्चों में तनाव और झुंझलाहट से लालन पालन के बीच संबंध के बारे में अभी और अध्ययन किया जाना है, लेकिन शोध से यह बात सामने आयी है कि शुरुआती जीवन में तनाव बाद के जीवन में अवसाद के लिये जोखिम भरा पहलू है.