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दिल नहीं, दिमाग दीवाना कहता है प्यार कर...

एक शोध में दावा किया गया है कि अगर आप किसी के प्यार के चक्कर में पड़ते हैं, तो इसके लिए आपका दिल नहीं, दिमाग जिम्मेदार होता है.

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रिलेशनशिप
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एक शोध में दावा किया गया है कि अगर आप किसी के प्यार के चक्कर में पड़ते हैं, तो इसके लिए आपका दिल नहीं, दिमाग जिम्मेदार होता है.

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न्यूयॉर्क के स्टेट विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि किसी को प्यार होता है, तो मुख्य भूमिका दिमाग की होती है, दिल की नहीं.

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 10 महिलाओं और सात पुरुषों के मस्तिष्क का चुंबकीय चित्र निकाला. इन्होंने दावा किया था कि ये अपने साथी से बहुत प्यार करते हैं.

लाइवसाइसं के मुताबिक स्टेट विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक और अध्ययन के सह-लेखक ऑर्थर एरॉन का कहना है कि सामान्य भाषा में कहें, तो एक व्यक्ति को अपने प्रेमी के लिए वैसी ही तड़प महसूस होती है, जैसी मादक पदार्थ का नशा करने वालों को नशे के लिए होती है.

न्यूयॉर्क में अल्बर्ट आइंस्टाइन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के न्यूरोसाइंटिस्ट लकी ब्राउन का कहना है कि जब आप किसी के प्यार में होते हैं, तो खुशी महसूस करते हैं, लेकिन कई बार आप बेचैनी भी महसूस कर सकते हैं.

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उनका कहना है कि दूसरा व्यक्ति (आप जिससे प्यार करते हैं) आपके जीवन का लक्ष्य बन जाता है और सच कहें तो आपके लिए वह पुरस्कार जैसा होता है.

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