आमतौर पर किसी के पास बेशुमार दौलत होना ही उसकी बड़ी कामयाबी मान ली जाती है, पर हकीकत में ऐसा होता नहीं है. बेहिसाब धन जमा करने वाले भी प्यार और बेहतर संबंध की तलब में रहा करते हैं.
ऐसे लोगों के लिए पहले पैसा थी प्राथमिकता और जब पैसा बरसने लगा, तो अब प्यार की खलने लगी कमी. बढ़ गया काम का बोझ और होने लगी बच्चों के भविष्य की परवाह. एक अध्ययन में इस बात का खुलाया हुआ है कि दुनिया के धनाढ्य लोगों में शुमार लोगों की तकलीफ दिखाई भले ही न दे, लेकिन सचाई यही है कि बेशुमार धन-दौलत और शोहरत के बावजूद भी आज ये लोग मन से खुश नहीं हैं.
‘खुशियां एवं धन की दुविधाएं’ शीषर्क से जारी इस अध्ययन को अंजाम देने वाले बोस्टन कालेज के वेल्थ एंड फिलैनथ्रोपी सेन्टर की माने तो केवल पैसा ही खुशियां नहीं दे सकता. इस अध्ययन पर हुए खर्च का बीड़ा गेट्स फाउंडेशन ने उठाया है.
अध्ययन में पाया गया है जिनके पास अधिक पैसा है, वे ज्यादा बेचैन रहते हैं, उनका मन नहीं लगता और इनके अकूत धन ने इनके प्यार, कामकाज और परिवार को भी प्रभावित किया है.