हर दंपति की यह चाहत होती है कि उनके आंगन में भी 'किलकारी' गूंजे. अधिकतर दंपतियों का यह सपना साकार होता है और इसी तरह जीवनचक्र आगे बढ़ता जाता है.
जब महिलाएं गर्भधारण कर लेती हैं, तो उसके बाद मन में अजन्मे बच्चे को लेकर कई तरह ही आशंकाएं होती हैं. मन में यह सवाल उमड़ता है कि पता नहीं उनका बच्चा स्वस्थ होगा या नहीं. अब वैज्ञानिकों ने दंपतियों के इस डर को दूर करने की दिशा में काफी हद तक कदम उठा लिए है.
वैज्ञानिकों ने गर्भवती महिला के रक्त और पिता के लार के नमूने से भ्रूण के समूचे जीनोम का पहली बार निर्धारण करने में सफलता हासिल की है.
इस उपलब्धि के बारे में उनका कहना है कि इसके जरिए अजन्मे बच्चे में 3,500 से ज्यादा अनुवांशिक बीमारियों की जांच की जा सकती है.
‘वाशिंगटन विश्वविद्यालय’ के जीनोम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अध्ययन पर नैतिक स्तर पर कई सवाल खड़े किए जा सकते हैं, क्योंकि इसके परिणामों का उपयोग गर्भपात के लिए भी किया जा सकता है.
‘डेली टेलीग्राफ’ की खबर के मुताबिक, अनुसंधान के परिणाम ‘साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसीन’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. वैज्ञानिकों ने इस अनुसंधान के लिए उच्च-क्षमता वाली ‘डीएनए सीक्वेंसिंग’ प्रक्रिया और कुछ अन्य तरीकों का उपयोग किया.