सरकार ने अनचाहा गर्भ रोकने की गोलियां बनाने वाली कंपनियों को ऐसे उत्पादों का विज्ञापन नहीं करने को कहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सूत्र बताया, ‘‘मौजूदा नियमों के तहत दवा के विज्ञापन की मंजूरी नहीं है. ऐसे में हमने आपात गर्भनिरोधक गोलियां (ईसीपी) बनाने वाली सभी दवा कंपनियों को अपने उत्पाद का अखबार और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से विज्ञापन नहीं करने को कहा है.’’
अनचाहे गर्भ को रोकने के लिये असुरक्षित यौन संबंध के 72 घंटे के भीतर ईसीपी लेनी पड़ती है. ऐसी गर्भनिरोधक गोलियां अधिसूचित दवाएं नहीं हैं, ऐसे में बिना डाक्टरी सलाह के दवा दुकान से खरीदी जा सकती है. उपलब्ध सूचना के अनुसार हालांकि 15 कंपनियां देश में ईसीपी दवांए बनाती हैं, लेकिन पीरामल हेल्थकेयर, मोरेपेन और मैनकाइंड का इस खंड में बाजार हिस्सेदारी 80 फीसद से अधिक है.
राष्ट्रीय दवा नियामक भारतीय औषध महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने इस वर्ष की शुरुआत में ईसीपी के विज्ञापन को दी गयी मंजूरी वापस ले ली थी. इसका कारण यह था कि विज्ञापन में यह तथ्य सामने नहीं आ पाता था कि गोली केवल आपात स्थिति में ही खानी है.{mospagebreak}बहरहाल, बाद में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस शर्त पर ईसीपी के विज्ञापन की मंजूरी दे दी कि इसके सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अन्य प्रभाव से उपभोक्ताओं को कंपनियां अवगत कराएंगी, लेकिन हाल ही में डीसीजीआई ने सरकार द्वारा उठायी गयी चिंताओं को दूर किये बना विज्ञापन दिखाये जाने को लेकर तीन दवा निर्माता कंपनियों को नोटिस दिया. सूत्र ने कहा, ‘‘तीनों कंपनियों से 14 दिन के भीतर नोटिस का जवाब देने को कहा है. जवाब नहीं देने पर डीसीजीआई कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी.’’