स्तन कैंसर के निदान में बड़ी सफलता हासिल करने वाले ब्रिटेन के तीन चिकित्सकों में एक भारतीय चिकित्सक भी शामिल हैं जिन्होंने दस वर्ष के परीक्षण के बाद, सर्जरी के दौरान विकिरण के इस्तेमाल को लंबी रेडियोथेरेपी के बराबर प्रभावी साबित करके दिखाया है.
मूलत: गोवा के रहने वाले जयंत वैद्य यूनिवर्सिटी कॉलेज, रॉयल फ्री एंड व्हाइटिंग्टन हॉस्पिटल में काम करते हैं. उन्होंने इंटर-ऑपरेटिव रेडियो थेरेपी को तैयार किया है और कैंसर रोग विशेषज्ञ जैफेरी ताबियास एवं माइक बॉम के साथ मिलकर 2000 महिलाओं पर परीक्षण किए हैं.
इस नये तरीके का मतलब यह है कि चुनिंदा मरीजों में स्तन कैंसर को दूर करने के लिए सर्जरी के दौरान विकिरण की एक तयशुदा मात्रा का इस्तेमाल किया गया.
वैद्य ने बताया, ‘यह बीते 15 वर्ष से मेरा ख्वाब था. इस नये उपचार का मतलब यह है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं स्तन कैंसर से अपना बचाव कर सकेंगी. इसमें समय और धन की बचत भी होती है.’
जयंत वैद्य ने बताया, ‘वैज्ञानिक रूप से, हमारे नतीजों ने स्तन कैंसर के बारे में सोचने और उसके उपचार के तरीके को बदल दिया है.’ उन्होंने कहा कि स्तन कैंसर में पूरे स्तन के उपचार की जरूरत नहीं होती और विकिरण की तयशुदा मात्रा बहुत कम होती है.
गोवा के एक जाने माने चिकित्सक परिवार से ताल्लुक रखने वाले वैद्य ने अपनी हाईस्कूल, कॉलेज और चिकित्सा की पढ़ाई गोवा से ही की है.
लंदन के पूर्व मिडिलसेक्स हॉस्पिटल में परीक्षण के लिए पहले मरीज का वैद्य के साथ नामांकन करने वाली ताबियास ने बताया, ‘मेरे विचार में यह परीक्षण की सुस्पष्टता के कारण ज्यादा कारगर है.’ उन्होंने कहा कि इसमें परम्परागत सर्जरी में लगने वाले 30-40 मिनिट की अपेक्षा कम समय लगता है. उन्होंने कहा कि विकिरण के अंदर जाते ही कैंसर खत्म हो जाता है और सर्जरी की प्रक्रिया पूरी हो जाती है.