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क्‍या आप जानते हैं, कैंसर की बीमारी बना सकती है आपके दिल को कमजोर

कैंसर से पीडि़त बच्चों का लंबे समय तक इलाज चलने की वजह से उन्हें तीस की उम्र पार करने के बाद दिल के रोग होने का खतरा बढ़ जाता है.

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भारत में कैंसर पीड़ित बच्चों की संख्या 3-4 प्रतिशत है
भारत में कैंसर पीड़ित बच्चों की संख्या 3-4 प्रतिशत है

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देश में कैंसर पीड़ितों में बच्चों की संख्या 3 से 4 प्रतिशत है और हर साल 40 से 50 हजार नए मामले सामने आते हैं. इस बढ़ती संख्या की वजह औद्यौगीकरण और तकनीकी विकास को माना जा सकता है.

आशा की किरण यह है कि बचपन के 70 से 90 प्रतिशत कैंसर का इलाज संभव है. लेकिन ऐसे बच्चों का लंबे समय तक इलाज चलने की वजह से आगे चलकर उन्हें तीस की उम्र के आस पास दिल के रोगों की समस्या का खतरा होता है.

कैंसर कर सकता है दिल को कमजोर
नोएडा स्थित एक हॉस्पिटल में कार्डियॉलॉजिस्ट डॉ. संतोष कुमार अग्रवाल कहते हैं कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कैंसर के इलाज से आगे चलकर मरीज के दिल की सेहत पर असर पड़ सकता है. इसलिए यह जरूरी है कि जरूरी सावधानियां बरती जाएं और जीवन भर रोगी की पूरी सेहत का ध्यान रखा जाए.

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फैमिली की मेडिकल हिस्‍ट्री की पूरी हो जानकारी उन्होंने कहा कि ऐसा करके हाई रिस्क वाले रोगियों में बीमारी की शुरुआत को टाला जा सकता है. अभिभावकों को अपने बच्चों के इलाज का रिकार्ड संभाल कर रखना चाहिए. अगर परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज और ब्लड प्रेशर है तो इस बारे में उन्हें डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए.

संतुलित आहार करेगा मदद
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि यह भी जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति सेहतमंद व संतुलित आहार लें, तनाव मुक्त रहने के प्रभावशाली तरीके अपनाएं और शराब के सेवन और सिगरेट से दूर रहें. समय पर जांच कराना है जरूरी वहीं, सर गंगा राम हॉस्पिटल के डॉ. अनुपम सचदेवा का कहना है कि बचपन में कैंसर का इलाज करवा चुके लोगों को लगातार जांच की जरूरत होती है क्योंकि उन्हें मोटापा, दिल के रोग, दोबारा ट्यूमर और एंडोक्रिनोलॉजिकल समस्याएं होने का खतरा रहता है.

आधुनिक जीवनशैली है इसकी वजह
चिकित्सकों का कहना है कि आधुनिक जीवनशैली में कैंसर और दिल के रोगों का एक साथ होना आम बात है. कैंसर से पीड़ित 20 प्रतिशत लोगों को कोई न कोई दिल का रोग होता ही है. कुछ लोगों को कैंसर के इलाज की वजह से दिल के रोग हो जाते हैं. कीमोथेरेपी और रेडिएशन आगे चल कर दिल पर असर करते हैं.

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बच्‍चों का रखें खास ख्‍याल
बच्चों में प्रमुख रूप से ल्यूकेमिया, लिम्फोम्स, ब्रेन ट्यूमर, केंद्रीय नाड़ी तंत्र प्रणाली के कैंसर मुख्‍य रूप से पाए जाते हैं. हाल के समय में बच्चों के दुलर्भ किस्म के कैंसर जैसे, आंखों का कैंसर आदि पाए जा रहे हैं.

बचपन में कैंसर का इलाज करवा चुके व्यक्तियों को शरीर की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए और असामान्य लक्षण जैसे- सांस फूलना, अनियमित छाती का दर्द और पसीना आना नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. ऐसे लक्षण दिखते ही तुरंत मेडिकल सहायता
लेनी चाहिए.

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