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डायबिटीज है तो नाइट शिफ्ट से करिए तौबा, बिगड़ जाएगी सेहत: स्‍टडी

ऑफिस में बदलते वर्क कल्चर, खासकर  देर रात की नाइट शिफ्ट के कारण डायबिटीज की बीमारी बढ़ती जा रही है. अब इसका सेहत पर कैसे पड़ रहा है असर, आप भी जानिए...

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ऑफिस में बदलते वर्क कल्चर, खासकर देर रात की नाइट शिफ्ट के कारण डायबिटीज की बीमारी बढ़ रही है. खासकर टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए नाइट शिफ्ट खतरनाक है. ये बात एक रिसर्च में सामने आई है.

डायबिटीज से बचने के लिए जरूरी है भरपूर नींद लेना...

इस रिसर्च के मुताबिक अगर टाइप 2 डायबिटीज से पीडि़त लोग नाइट शिफ्ट करते हैं तो उनका ब्लड ग्लूकोज लेवल बिगड़ सकता है. स्टडी के मुताबिक नाइट शिफ्ट करने वाले वर्कर्स का औसतन ग्लाइसमिक काउंट (ब्लड में शुगर का लेवल) 8.2 फीसदी है. ये डे शिफ्ट करने वालों के 7.6 फीसदी से काफी ज्यादा है. वहीं बेरोजगार लोगों का ग्लाइसमिक काउंट 7.5 फीसदी मापा गया है.

अमेरिका में हुई एनडोक्राइन सोसाइटी की 99वीं सालाना मीटिंग में इस रिसर्च को पेश किया गया. रिसर्च टीम ने थाइलैंड के कुल 260 टाइप 2 डायबिटीज मरीजों पर ये स्टडी की. इनमें से 62 नाइट शिफ्ट करने वाले वर्कर्स, 94 डे शिफ्ट वर्कर्स और 104 लोग बेरोजगार थे. इनमें दोनों के मुकाबले नाइट शिफ्ट करने वालों का कैलोरी लेवल और बॉडी मास इंडेक्स काफी ज्यादा था. यही नहीं, नाइट शिफ्ट करने वालों के नींद लेने के घंटे भी काफी कम थे.

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थाइलैंड की माहिडोल यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर सिरीमोन रियोट्राकुल के मुताबिक, 'कम नींद के चलते नाइट शिफ्ट वाले वर्कर्स पर डायबिटीज होने का खतरा काफी बढ़ जाता है. ऐसे में नाइट शिफ्ट करने वालों को अपने खाने-पीने, रेगुलर एक्सरसाइज पर ध्यान देना चाहिए'.

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