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उफ्फ, ये सर्दी...मोटों की लेती है और पतले लोगों की देती है 'किक'

प्यार और मीठे एहसासों से लबालब सर्दियों और ठंडी ओस के दीवानों के चेहरे ठंड आते ही ज्यादा खिले नजर आते हैं. कोई मुहब्बत की वजह से इन सर्दियों की गोद में रहना चाहता है तो कोई गर्मियों से बेहाल जिंदगी के बाद ठंड के कुछ लम्हों को जी लेना चाहता है. लेकिन सर्दियों से दो तरह के दैवीय प्रकोप से त्रस्त लोग खुश और परेशान होते हैं. सेहत से भरपूर अर्थात 'हष्टपुष्ट मोटे लोग' सर्दियों से परेशान रहते हैं. वहीं, 'फ्रेंची' जैसी शक्ल लिए कुपोषण के लिए संघर्षरत पतले लोग. जानिए ये सर्दी कैसे पतले और मोटे लोगों की जिंदगी पर ढा रही है कहर और करम.

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प्यार और मीठे एहसासों से लबालब सर्दियों और ठंडी ओस के दीवानों के चेहरे ठंड आते ही ज्यादा खिले नजर आते हैं. कोई मुहब्बत की वजह से इन सर्दियों की गोद में रहना चाहता है तो कोई गर्मियों से बेहाल जिंदगी के बाद ठंड के कुछ लम्हों को जी लेना चाहता है. लेकिन सर्दियों से दो तरह के दैवीय प्रकोप से त्रस्त लोग खुश और परेशान होते हैं. सेहत से भरपूर अर्थात 'हष्टपुष्ट मोटे लोग' सर्दियों से परेशान रहते हैं. वहीं, 'फ्रेंची' जैसी शक्ल लिए कुपोषण के लिए संघर्षरत पतले लोग. जानिए ये सर्दी कैसे पतले और मोटे लोगों की जिंदगी पर ढा रही है कहर और करम.

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1. कपड़ों की मार: सर्दी आते ही दधिचि की हड्डियों का एक्स-रे खुद के जिस्म में समेटे पतले लोगों के चेहरों के गुल्ले 100 ग्राम भर से जाते हैं. दूर से हैंगर जैसे दिखने के सितम से बचने में स्वेटर, जैकेट, इनर, मफलर मांस के लोथड़े का काम करते हैं. कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता. हां तो यहां ये बात फिट बैठती है. भरी महफिलों में सांस रोके खड़े मोटी चर्बी के लोगों के लिए यह सर्दी तमराज किलविश बनकर आती है. एक तो पहले से ही तोंद 'हेल मोगेम्बो' करते हुए दिखती है. ऊपर से अंदर की इनर, फिर स्वेटर, जैकेट पहनकर परेशान से नजर आते हैं. उनके लिए हालात 'छिपाना भी नहीं आता' टाइप हो जाती है. 

2. सर्दियां होती हैं च्यवनप्राश: गर्मियों में मोटर साईकिल की किक भी मार दो तो पसीने से कॉलर भीग जाता है. लेकिन सर्दियां इस मामले में मां के दिल की तरह होती हैं. रहम करती रहती हैं. कोई भी काम करो, पसीना जल्दी नहीं आ सकता. ऐसे में मोटे लोग जिनके लिए पसीना निकालने का मतलब पतले होने की तरफ कदम बढ़ाना होता है. वो किसी सूखाग्रस्त इलाके के किसान की तरह पसीने की बूंदों को देखते हैं पर वो तो आने से रही. अब जब पसीना निकलेगा ही नहीं, तो खाया पिया सब सेहत में ही लगता है. और इस खाने के लगने से शरीर का आयतन बढ़ने से मोटे लोग जहां नाक-मुंह सिकोड़ते हैं, वहीं पतले लोग खेत की फसल पक जाने जैसी खुशियां मनाते हैं.

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3. सर्दियों में बजट: रात हो रही है, ठंड बढ़ गई है. ऐसे में रिक्शे वाले से लेकर ऑटो वालों तक हर कोई कहीं भी जाना हो, किराए के लिए इत्ते रुपये बता देते हैं कि मोटे-मोटों की हिल जाती है. यहां शूरवीर बनकर पतला आदमी रुपये बचाने और पैदल जाने का फैसला कर लेता है लेकिन मोटा आदमी खुद पर ये हांफतामयी सितम कैसे करे. ऐसे में मोटे लोगों को जेब से नोट खर्च करने पड़ते हैं, जबकि पतला आदमी खुद के माचिस के तिल्ली से जिस्म को गर्माहट की आड़ में 'भाग मिल्खा भाग' गाना गाते हुए दौड़ लगा देता है. पैसे भी बचे और मिली गर्मी भी. लेकिन मोटा आदमी मन मारकर रह जाता है.

4. ब्रेकअप और लिंकअप: ऐसा कहा जाता है कि सर्दियों में मनुष्य योनि में जन्म लिया इंसान आलसी सा हो जाता है और मोटे लोगों का तो आलस के मामले में अपना ही इतिहास है. इंजमाम उल हक इसके जीते जागते उदाहरण हैं. गर्लफ्रेंड से मिलने का टाइम सेट किया सुबह 10 बजे का. लेकिन रजाई से निकले 10.5 पर. देर से पहुंचने पर गर्लफ्रेंड मिली नहीं, सिलसिला चलता रहा और हो गया ब्रेकअप. ऐसे में बाजी मारता है पतला आदमी. सर्दियों में स्वेटर की वजह से खुद के फौलादी होने के गुमान से लथपथ पतला आदमी पूरी सर्दी भर खुद को दुनिया को दिखा देना चाहता है कि वो भी सेहतमंद है. और उसका यही इरादा मोटे लोगों की तुलना में उसे बनाता है ज्यादा फुर्तीला. वो सर्दियों में अपने टाइम का भरपूर इस्तेमाल कर रिश्तों को बनाने की कोशिश करता हुआ लिंकअप्स करने की कोशिश करता रहता है.

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5. संडाश में ग्लेश्यिर: चूंकि मोटे लोगों का दिल और पेट इतना बड़ा होता है कि उसमें निकालने के लिए बहुत कुछ भरा होता है. ठंड में संडाश की सीट पर बैठना और फैले पीत पदार्थों को साफ करने के लिए चिल-चिल वॉटर का इस्तेमाल करने पर मोटे लोगों की रूह कांप जाती है. जिस मौसम में पानी छूने पर भी मुंह से फौरन 'आई दैया' फूट पड़ता हो, उस मौसम में धोने में और गौर कीजिएगा, शरीर का एक बड़ा हिस्सा धोने में मोटे लोगों पर जो बीतती है, वो पतले लोग नहीं समझ सकते. पुट्ठों के मामले में छोटे जमींदार होने का पतले लोगों को फायदा मिलता है. और कुल्ले भर पानी से भी काम चल जाता है.

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