किस किस को फिक्र कीजिए, किस किस को रोइए. आराम बड़ी चीज है, मुंह ढककर सोइए.
और हम हिंदुस्तानी इस कहावत को बेहद संजीदगी से बरतते हैं. आराम के उलट कसरती काम को बिल्कुल भी तरजीह नहीं देते हैं. एक हालिया सर्वे में पता चला है कि हर चौथा हिंदुस्तानी कसरत नहीं करता है.चलिए ये तो हुई चौथे की बात. मगर अचरज ये है सरकार कि जो कसरत करते भी हैं, वे भी यहां आरामतलबी का भरपूर ख्याल रखते हैं.सर्वे के मुताबिक ये तथाकथित वर्जिश करने वाले भी दरअसल दौड़ने या तैरने जैसे मेहनत भरे कामों के बजाय बागो बहार में टहलना पसंद करते हैं.
'मैक्स बुपा वॉक फॉर हेल्थ सर्वे' बीते शनिवार को जारी हुआ. इसके लिए दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों के लोगों से बातचीत की गई. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 56 फीसदी लोगों ने कहा कि खेलने या दूसरी हरकतों के बजाय उन्हें टहलने में ज्यादा मजा आता है. 42 फीसदी लोग स्वस्थ रहना चाहते हैं, इसलिए टहलते हैं. 34 फीसदी ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज के चलते इस महान काम में उतरे हैं. 24 फीसदी ऐसे भी हैं, जिन्हें डॉक्टर साहब ने कहा तो टहलने लगे. अपना कोई एजेंडा नहीं है उनका.
इस सर्वे के बारे में मैक्स बुपा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मानसी जे मिश्रा ने बताया कि रोजाना टहलने वाले लोगों का अपने आसपास समाज और लोगों के बारे में जेहन दुरुस्त होता है.वैसे इस दौरान उंगलियों मोबाइल फोन पर भी खूब मचलती हैं. खासकर तब, जब आप उम्र के उस पड़ाव में हो, जब हिलती पत्ती को देखकर भी हंसी आती है. सर्वे के मुताबिक युवा टहलते वक्त मोबाइल ऐप्स का जमकर इस्तेमाल करते हैं.