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फेसबुक पर करते हैं दूसरों से तुलना, तो हो सकते हैं डिप्रेशन के शि‍कार

अगर आप फेसबुक यूजर हैं और बार-बार अपनी तुलना दूसरों की जिंदगी से करते हैं, तो जरा सावधान हो जाएं,  क्योंकि यह आदत डिप्रेशन की शुरुआत हो सकती है.

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इसमें कोई शक नहीं कि फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइट्स हमारी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ले आती हैं. पर हाल ही में हुए एक शोध में यह खुलासा किया गया है कि सोशल मीडिया पर दूसरों की जिंदगी, उनके व्यवहार, उनकी लाइफस्टाइल आदि से अपनी तुलना करने की आदत, डिप्रेशन का शिकार बना सकती है. यह शोध लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है.

यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का दावा है कि वास्तविक जिन्दगी में किसी से खुद की तुलना करने के परिणाम इतने गंभीर नहीं होते. जबकि सोशल मीडिया पर दूसरों के जीवन से कम्पेयर करने की फितरत डिप्रेशन का शिकार बना सकती है.

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बता दें कि दुनियाभर के करीब 1.8 बिलियन लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. इसमें अकेले फेसबुक यूजर्स की संख्या 1 बिलियन से ज्यादा है. इस शोध में शोधकर्ताओं ने 14 देशों के 35,000 फेसबुक यूजर्स को शामिल किया, जिनकी उम्र 15 से 88 वर्ष के बीच थी.

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दरअसल, साल 2011 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स में इसी से संबंधित एक रिपोर्ट छपी थी, जिसमें फेसबुक पर ज्यादा एक्ट‍िव रहने वाले किशोरों में डिप्रेशन की बात कही गई थी. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स की रिपोर्ट में इसे 'फेसबुक डिप्रेशन' का नाम दिया गया था. यह शोध विशेष रूप से किशोर और उससे छोटी उम्र के फेसबुक यूजर्स पर आधारित था. इसी शोध को आधार बनाते हुए लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की कि 15 से 88 साल के आयुवर्ग पर फेसबुक का क्या असर होता है. ऐसे में शोध के दौरान विशेषज्ञों ने कुछ फेसबुक यूजर्स की एक खास आदत पर भी गौर किया, जिसमें वो दूसरों की जिंदगी से अपनी तुलना करते नजर आए.

शोध के दौरान फेसबुक इस्तेमाल करने वाले ऐसे लोगों पर डिप्रेशन का खतरा सबसे ज्यादा पाया गया, जो दूसरों को देखकर ईर्ष्या करते हैं, जिन्होंने अपने एक्स ब्वॉय फ्रेंड या एक्स गर्लफ्रेंड को फेसबुक फ्रेंड की सूची में रखा है, नकारात्मक सामाजिक तुलना करते हैं और बहुत जल्दी-जल्दी निगेटिव स्टेटस अपडेट करते हैं. ऐसे लोग दूसरे की पोस्ट पर मिलने वाली सैकड़ों लाइक्स को देखकर भी स्ट्रेस में आ जाते हैं.

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हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि यह काफी हद तक आपके व्यक्त‍ित्व पर भी निर्भर करता है कि आप फेसबुक से कितने प्रभावित होते हैं. कुछ मामलों में डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों की जिंदगी में फेसबुक की वजह से सुधार होता भी पाया गया है.


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