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गर्भधारण के लिए ली गई दवाएं बच्‍चे के लिए खतरनाक

हर दम्‍पति की चाहत होती है कि उनकी भी संतान हो. भारत जैसे देशों में तो बच्‍चा होने के बाद ही औरत को पूर्ण माना जाता है. लेकिन हर किसी को आसानी से संतान सुख मिल जाए ऐसा नहीं होता. कुछ लोगों को इसके लिए डॉक्‍टर के चक्‍कर लगाने पड़ते हैं तो कुछ सैरोगेट मदर की मदद से बच्‍चे का सुख पाते हैं.

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हर दम्‍पति की चाहत होती है कि उनकी भी संतान हो. भारत जैसे देशों में तो बच्‍चा होने के बाद ही औरत को पूर्ण माना जाता है. लेकिन हर किसी को आसानी से संतान सुख मिल जाए ऐसा नहीं होता. कुछ लोगों को इसके लिए डॉक्‍टर के चक्‍कर लगाने पड़ते हैं तो कुछ सैरोगेट मदर की मदद से बच्‍चे का सुख पाते हैं. गर्भधारण के लिए डॉक्‍टर महिलाओं को दवाएं भी देते हैं.

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आपकी कोई जानकार या दोस्‍त, परिवार में यदि कोई महिला गर्भधारण के लिए दवाओं का इस्‍तेमाल करती हैं तो जरा सावधान हो जाएं. वैज्ञानिकों का कहना है कि जो महिलाएं गर्भधारण करने के लिए प्रजनन संबंधी दवाएं लेती हैं उनके होने वाले बच्चे को ल्यूकेमिया (एक प्रकार का रक्त कैंसर) होने का खतरा बढ़ जाता है.

फ्रांस में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जो महिलाएं अंडाशय उत्तेजक दवाओं का सेवन करती हैं उनके बच्चों को ‘एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल)’ होने का खतरा सामान्य के मुकाबले 2.6 गुना ज्यादा होता है. एएलएल बच्चों में होने वाला सबसे सामान्य ल्यूकेमिया है.

‘डेली मेल’ की खबर के मुताबिक, इन दवाओं के सेवन से बच्चों में एक दुर्लभ ल्यूकेमिया ‘एक्यूट मेलोयड ल्यूकेमिया (एएमएल)’ होने का खतरा भी 2.3 गुना बढ़ जाता है. अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि आईवीएफ प्रक्रिया से पैदा होने वाले बच्चों में ल्यूकेमिया होने का कोई खतरा नहीं होता है.

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