दीर्घायु जीवन का राज अब आपकी मुट्ठी में है. विशेषज्ञों का कहना है कि मां के दूध, ताजे फल, हरी चाय, मछली और रेड वाइन के सेवन से जीवन की डोर को लंबा किया जा सकता है.
सर गंगाराम अस्पताल के नियोनेटोलाजी विभाग के डा. अरुण सोनी ने बताया कि मां का दूध शिशु में उच्च आईक्यू के लिए जरुरी माना जाता है साथ ही यह डायबिटीज अस्थमा और हायपरटेंशन का भी प्रतिरोधक है. बच्चे के बड़े होने पर भी मां के दूध के प्रभाव दिखाई देते हैं और इस तरह यह बीमारियों का प्रतिरोध करके उम्र बढ़ाने में सहयोग करता है.
उन्होंने बताया कि यह शिशुओं के लिए संपूर्ण आहार है. यह बच्चों के शरीर को रोगप्रतिरोधी क्षमता देता है और इस तरह उन्हें बीमार पड़ने से रोकता है. इंस्टीट्यूट आफ होम इकोनामिक्स के पोषण विभाग की डा. सीमा पुरी कहती हैं कि पोषण का प्रभाव न केवल आज पड़ता है बल्कि इस बात से यह भी निर्धारित होता है कि व्यक्ति विशेष में भविष्य में कैंसर, कार्डियोवेस्कुलर और डायबिटीज जैसी बीमारियां न पैदा हों.
पुरी का कहना है कि व्यक्ति को अपने आहार में सब्जियां फल और अनाज की मात्रा बढ़ानी चाहिए. अनाज का उपयोग ब्रेड और दलिए के रूप में करें न कि पास्ता के रूप में. जैतून और जैतून का तेल, कम दूध लेकिन ज्यादा चीज और मछली ज्यादा और मांस कम खाना चाहिए. अनाज, सब्जियां, फल, मछली, हरी चाय, रेड वाइन, सोयाबीन, गिरी वाले फल, लहसुन और हल्दी जैसी चीजों का भी स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और उम्र बढ़ती है.
पुरी ने कहा कि वैज्ञानिक प्रमाण लगातार इस ओर इशारा कर रहे हैं कि पोषण में परिवर्तन के स्वास्थ्य पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि रेशे वाले फल खाने से शरीर में ऐसे प्रतिरोधक तत्व बनते हैं जिनसे बीमार पड़ने के खतरे कम होते हैं और जीवन बढ़ता है.
गंगा राम अस्पताल की प्रमुख डायटीशियन शशि माथुर जापानियों के इस कथन की ओर ध्यान दिलाती हैं कि विश्व में उनकी जीवनदर सबसे ज्यादा होती है जिसके पीछे उनकी ज्यादा फल और कम परंपरागत नमकीन व्यजंन खाने की आदत का हाथ है.